रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन काफी हंगामेदार रहा. सबसे पहले विधायक संत राम नेताम ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत दवा और उपकरण की खरीदी को लेकर प्रश्न पूछा. जिस पर जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा " विभाग की तरफ से सदन में बताया गया था कि इसकी जांच कराई जाएगी. जांच के बाद कार्रवाई की बात रखी गई थी. जिन बिंदुओं को उठाया गया है उसमें कई अनियमितता पाई गई थी. तत्काल प्रभाव से तत्कालीन सीएमएचओ को सस्पेंड करने का निर्णय लिया गया. "Chhattisgarh Assembly winter session
अजय चंद्राकर ने सवाल पूछा "छत्तीसगढ़ में कितने राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया और कहां कैंप लगाकर खिलाड़ियों का चयन किया गया. इसमें सलेक्शनकर्ता कौन कौन थे." इस पर उमेश पटेल ने जवाब दिया. उमेश पटेल ने कहा "खिलाड़ियों का चयन ओलंपिक एसोसिएशन की तरफ से किया जाता है. प्रपत्र में सारी जानकारी दी गई है. " इस पर अजय चंद्राकर ने कहा " छत्तीसगढ़ की टीम का भारतीय तीरंदाजी संघ सलेक्शन करेगा." भारतीय संघ छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों का चयन कर रहा है. " winter session second day Proceedings
डीएमएफ की राशि से लाइवलीहुड कॉलेज को 18 करोड़ रुपए के भुगतान का मामला गूंजा. विपक्षी विधायकों ने उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल को घेरा. इस मुद्दे पर सदन की कमेटी से जांच करने की मांग रखी. विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने आसंदी से जांच कराने का निर्देश दिया. इससे असंतुष्ट विपक्षी विधायकों ने हंगामा किया.
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भाजपा विधायक सौरभ सिंह ने लाइवलीहुड कॉलेज जांजगीर और रोजगार कार्यालय को तीन साल में भुगतान के मुद्दे पर जानकारी मांगी. मंत्री ने बताया कि लाइवलीहुड कॉलेज में 18.23 करोड़ का भुगतान हुआ है. इसके जरिए 17874 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है. सौरभ सिंह ने आरोप लगाया कि 300 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है. उन्हीं के नाम सभी जगह हैं.
मधुमक्खी प्रशिक्षण के नाम पर 52 लाख रुपए के भुगतान पर भाजपा के सदस्यों ने सवाल किया. नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि पूरे छत्तीसगढ़ में डीएमएफ का दुरुपयोग हो रहा है. उन्होंने पूछा कि क्या मधुमक्खी प्रशिक्षण के मामले में शिकायत हुई है. मंत्री ने बताया कि दो शिकायतें मिली थीं, जिसमें रिकवरी की तैयारी है. वहीं बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर ने डीएमएफ में गड़बड़ी और बंदरबांट का आरोप लगाया.
उच्च शिक्षा मंत्री ने गड़बड़ी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पिछली सरकार में मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था. उन्होंने कहा कि वो जांच के लिए गए थे वहां संस्था तो दूर कमरा भी नहीं था. विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बाद पिछले पांच साल में कौशल विकास प्रशिक्षण के नाम पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने डीएमएफ के खर्चों की जांच के निर्देश दिए.