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Chhattisgarh assembly election 2023: रायपुर उत्तर विधानसभा सीट का चुनावी गणित, क्षेत्र में अतिक्रमण की समस्या - पंडरी और गंजपारा रेलवे स्टेशन

छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव है. ईटीवी भारत छत्तीसगढ़ विधानसभा की हर सीट की जानकारी दे रहा है. हम इस सीरीज में विधानसभा सीट की अहमियत, वीआईपी प्रत्याशी, क्षेत्रीय मुद्दे की जानकारी दे रहे हैं. आइए नजर डालते हैं रायपुर उत्तर विधानसभा सीट पर. इस सीट पर अब तक कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं आ पाया.

Raipur North Assembly
रायपुर उत्तर विधानसभा
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Published : Jun 18, 2023, 7:27 PM IST

Updated : Nov 12, 2023, 4:17 PM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कुल 7 विधानसभा सीटें हैं. आज हम बात करेंगे रायपुर उत्तर विधानसभा सीट की. ये एक सामान्य सीट है, जो कि साल 2008 में अस्तित्व में आया. साल 2008 के बाद हुए 3 विधानसभा चुनाव में से दो में कांग्रेस ने जीत हासिल की है. जबकि एक बार भाजपा ने भी यहां परचम लहराया. वर्तमान में यहां से कांग्रेस के कुलदीप जुनेजा विधायक हैं. कांग्रेस ने एक बार फिर कुलदीप जुनेजा पर भरोसा जताते हुए उन्हें प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बीजेपी ने इस सीट से पुरंदर मिश्रा को टिकट दिया है.

रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र को जानिए: यह विधानसभा काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि, इसी विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री, राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष, कई मंत्री, विधायक और सांसद रहते हैं. यह सीट भौगोलिक परिस्थिति से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि इसी क्षेत्र में रेलवे स्टेशन सहित तमाम बाजार, व्यापारिक केंद्र व्यापारिक प्रतिष्ठान मौजूद है. इस विधानसभा क्षेत्र में कई आईएएस, आईपीएस भी रहते हैं. यही कारण है कि रायपुर का ये सीट काफी महत्वपूर्ण है.

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रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में कितने मतदाता हैं: रायपुर उत्तर विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं की संख्या 182507 है. इनमें 100545 पुरुष मतदाता हैं. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 101509 है. इसके अलावा 96 थर्ड जेंडर के मतदाता भी हैं. यहां महिला और पुरुष मतदाताओं की संख्या में अधिक अंतर नहीं है. यानी कि यहां महिला और पुरुष मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर है.

Problem of Raipur North Assembly
रायपुर उत्तर विधानसभा की समस्या

रायपुर उत्तर विधानसभा सीट की मुद्दे और समस्याएं: रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के समस्याओं की बात करें तो अब तक इस क्षेत्र में कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट नहीं आ पाया है. सरकार ने जैम एंड ज्वेलरी पार्क का वादा किया था. इसे देवेंद्र नगर में मंडी के सामने विकसित किया जाना था. हालांकि इस पर कोई काम नहीं हुआ है. इस सीट में कुछ ऐसे इलाके भी हैं, जो आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. क्षेत्र में अतिक्रमण की समस्या बनी हुई है. यहां मौजूद पुराना तालाब अतिक्रमण के कारण सिमट गया है. पानी के मटमैला और बदबूदार होने के कारण आसपास के लोगों ने इस तालाब का उपयोग करना ही छोड़ दिया है. तालाब की साफ-सफाई के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया.

राजातालाब, मौदहापारा भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ गया है. कोरोना के कारण पंडरी और गंजपारा रेलवे स्टेशन के पास स्थित किसान उपभोक्ता बाजार को बंद किया गया था. जो अब तक चालू नहीं हुआ है. यहां लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए लाखों रुपये की लागत से किसान उपभोक्ता सब्जी बाजार तैयार किया गया था. ये बाजार भी खंडहर में बदल गया है. सब्जी विक्रेता सड़कों पर दुकान लगाने को मजबूर हैं. इस क्षेत्र में बड़े खेल मैदान की कमी है. प्रगति मैदान तो है लेकिन वहां भी कोई न कोई आयोजन होता रहता है, जिससे हमेशा भीड़ बनी रहती है. बच्चों को खेलने के लिए दूसरी जगह जाना पड़ता है. हालांकि, वार्डों में छोटे-छोटे पार्क जरूर बनाए गए हैं. अवंती विहार तालाब का सुंदरीकरण कार्य भी अब तक अधूरा पड़ा हुआ है.

Raipur North Assembly Election Result 2018
रायपुर उत्तर विधानसभा 2018 चुनाव परिणाम

2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर: साल 2018 विधानसभा चुनाव में रायपुर उत्तर विधानसभा सीट पर 60.28 फीसद मतदान हुआ. कांग्रेस से कुलदीप जुनेजा ने इस सीट पर जीत हासिल की. कुलदीप जुनेजा को 59843 वोट मिले, जो कि कुल मतदान का 54.40 फीसदी था. जबकि भाजपा के श्रीचंद सुंदरानी को 43502 वोट मिले, जो कि कुल मतदान का 39.54 फीसदी था.

कौन तय करता है जीत और हार: रायपुर उत्तर विधानसभा सीट पर सिंधी समाज, उत्कल समाज, गुजराती समाज, सिख समाज, मुस्लिम और ब्राम्हण मतदाताओं की संख्या लगभग-लगभग बराबर है. यही कारण है कि यहां कांग्रेस और भाजपा की ओर से समाज विशेष का उम्मीदवार मैदान में उतारा जाता है. अब तक रायपुर उत्तर सीट के मतदाता हर चुनाव में अलग-अलग पार्टी के विधायक चुनते आ रहे हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के परिसीमन के बाद हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के सिख समाज के नेता कुलदीप जुनेजा ने जीत हासिल की थी. खास बात यह है कि, कांग्रेस ने पिछले तीनों चुनाव में जुनेजा को उम्मीदवार बनाया. जिसमें से वह दो बार साल 2008 और साल 2018 में जीते. वहीं, भाजपा ने साल 2008 में सच्चिदानंद उपासने को उम्मीदवार बनाया था, जो जुनेजा से हार गए थे. इसके बाद सिंधी समाज के नेता श्रीचंद सुंदरानी को भाजपा ने जुनेजा के खिलाफ मैदान में उतारा था. जो कि साल 2012 में जीत गए थे. इसके बाद साल 2015 में एक बार फिर जुनेजा ने यहां से जीत हासिल की थी.

रायपुर:छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कुल 7 विधानसभा सीटें हैं. आज हम बात करेंगे रायपुर उत्तर विधानसभा सीट की. ये एक सामान्य सीट है, जो कि साल 2008 में अस्तित्व में आया. साल 2008 के बाद हुए 3 विधानसभा चुनाव में से दो में कांग्रेस ने जीत हासिल की है. जबकि एक बार भाजपा ने भी यहां परचम लहराया. वर्तमान में यहां से कांग्रेस के कुलदीप जुनेजा विधायक हैं. कांग्रेस ने एक बार फिर कुलदीप जुनेजा पर भरोसा जताते हुए उन्हें प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बीजेपी ने इस सीट से पुरंदर मिश्रा को टिकट दिया है.

रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र को जानिए: यह विधानसभा काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि, इसी विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री, राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष, कई मंत्री, विधायक और सांसद रहते हैं. यह सीट भौगोलिक परिस्थिति से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि इसी क्षेत्र में रेलवे स्टेशन सहित तमाम बाजार, व्यापारिक केंद्र व्यापारिक प्रतिष्ठान मौजूद है. इस विधानसभा क्षेत्र में कई आईएएस, आईपीएस भी रहते हैं. यही कारण है कि रायपुर का ये सीट काफी महत्वपूर्ण है.

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रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में कितने मतदाता हैं: रायपुर उत्तर विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं की संख्या 182507 है. इनमें 100545 पुरुष मतदाता हैं. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 101509 है. इसके अलावा 96 थर्ड जेंडर के मतदाता भी हैं. यहां महिला और पुरुष मतदाताओं की संख्या में अधिक अंतर नहीं है. यानी कि यहां महिला और पुरुष मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर है.

Problem of Raipur North Assembly
रायपुर उत्तर विधानसभा की समस्या

रायपुर उत्तर विधानसभा सीट की मुद्दे और समस्याएं: रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के समस्याओं की बात करें तो अब तक इस क्षेत्र में कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट नहीं आ पाया है. सरकार ने जैम एंड ज्वेलरी पार्क का वादा किया था. इसे देवेंद्र नगर में मंडी के सामने विकसित किया जाना था. हालांकि इस पर कोई काम नहीं हुआ है. इस सीट में कुछ ऐसे इलाके भी हैं, जो आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. क्षेत्र में अतिक्रमण की समस्या बनी हुई है. यहां मौजूद पुराना तालाब अतिक्रमण के कारण सिमट गया है. पानी के मटमैला और बदबूदार होने के कारण आसपास के लोगों ने इस तालाब का उपयोग करना ही छोड़ दिया है. तालाब की साफ-सफाई के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया.

राजातालाब, मौदहापारा भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ गया है. कोरोना के कारण पंडरी और गंजपारा रेलवे स्टेशन के पास स्थित किसान उपभोक्ता बाजार को बंद किया गया था. जो अब तक चालू नहीं हुआ है. यहां लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए लाखों रुपये की लागत से किसान उपभोक्ता सब्जी बाजार तैयार किया गया था. ये बाजार भी खंडहर में बदल गया है. सब्जी विक्रेता सड़कों पर दुकान लगाने को मजबूर हैं. इस क्षेत्र में बड़े खेल मैदान की कमी है. प्रगति मैदान तो है लेकिन वहां भी कोई न कोई आयोजन होता रहता है, जिससे हमेशा भीड़ बनी रहती है. बच्चों को खेलने के लिए दूसरी जगह जाना पड़ता है. हालांकि, वार्डों में छोटे-छोटे पार्क जरूर बनाए गए हैं. अवंती विहार तालाब का सुंदरीकरण कार्य भी अब तक अधूरा पड़ा हुआ है.

Raipur North Assembly Election Result 2018
रायपुर उत्तर विधानसभा 2018 चुनाव परिणाम

2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर: साल 2018 विधानसभा चुनाव में रायपुर उत्तर विधानसभा सीट पर 60.28 फीसद मतदान हुआ. कांग्रेस से कुलदीप जुनेजा ने इस सीट पर जीत हासिल की. कुलदीप जुनेजा को 59843 वोट मिले, जो कि कुल मतदान का 54.40 फीसदी था. जबकि भाजपा के श्रीचंद सुंदरानी को 43502 वोट मिले, जो कि कुल मतदान का 39.54 फीसदी था.

कौन तय करता है जीत और हार: रायपुर उत्तर विधानसभा सीट पर सिंधी समाज, उत्कल समाज, गुजराती समाज, सिख समाज, मुस्लिम और ब्राम्हण मतदाताओं की संख्या लगभग-लगभग बराबर है. यही कारण है कि यहां कांग्रेस और भाजपा की ओर से समाज विशेष का उम्मीदवार मैदान में उतारा जाता है. अब तक रायपुर उत्तर सीट के मतदाता हर चुनाव में अलग-अलग पार्टी के विधायक चुनते आ रहे हैं. इस विधानसभा क्षेत्र के परिसीमन के बाद हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के सिख समाज के नेता कुलदीप जुनेजा ने जीत हासिल की थी. खास बात यह है कि, कांग्रेस ने पिछले तीनों चुनाव में जुनेजा को उम्मीदवार बनाया. जिसमें से वह दो बार साल 2008 और साल 2018 में जीते. वहीं, भाजपा ने साल 2008 में सच्चिदानंद उपासने को उम्मीदवार बनाया था, जो जुनेजा से हार गए थे. इसके बाद सिंधी समाज के नेता श्रीचंद सुंदरानी को भाजपा ने जुनेजा के खिलाफ मैदान में उतारा था. जो कि साल 2012 में जीत गए थे. इसके बाद साल 2015 में एक बार फिर जुनेजा ने यहां से जीत हासिल की थी.

Last Updated : Nov 12, 2023, 4:17 PM IST
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