ETV Bharat / state

कुमारी शैलजा और ओम माथुर की क्या है खासियत, छत्तीसगढ़ में क्या होंगी चुनौतियां - कुमारी शैलजा और ओम माथुर

chhattisgarh assembly election 2023 छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 की बिसात सूबे में बिछनी शुरू हो गई है. दोनों दलों ने अपने नए लड़ैय्या का ऐलान कर दिया है. challenges of BJP in charge Om Mathur नए सेनापति के साथ दोनों पार्टियों में से किसे सत्ता मिलती है. CG Assembly election 2023 ये अभी नहीं कहा जा सकता है. लेकिन मिशन 2023 की महाभारत से पहले दोनों पार्टियों ने अपने प्रभारी को बदलकर चुनावी घमासान में और तेजी का संदेश दिया है.challenges of Congress in charge Kumari Selja

challenges of Congress in charge Kumari Selja
कुमारी शैलजा और ओम माथुर की चुनौतियां
author img

By

Published : Dec 6, 2022, 9:51 PM IST

Updated : Dec 6, 2022, 9:58 PM IST

रायपुर: chhattisgarh assembly election 2023 छत्तीसगढ़ में 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियों ने कमर कस ली है. भाजपा ने अपना नया प्रभारी ओम माथुर को बनाया है. तो वहीं लंबे समय से कांग्रेस प्रभारी रहे पीएल पुनिया की छुट्टी कर दी है. पुनिया 5 साल से कांग्रेस के प्रभारी रहें है. उनकी जगह पर कुमारी शैलजा को नया प्रभारी बनाया गया है. मतलब साफ है कि दोनों के नेतृत्व में 2023 का चुनाव लड़ा जाएगा. ऐसे में ईटीवी भारत ने दोनों राजनीतिक दलों के साथ ही राजनीतिक जानकार से बातचीत की और यह जानने की कोशिश की आखिर इनकी खासियत क्या है. CG Assembly election 2023 साथ ही इनकी पार्टी की चुनौतियों को कैसे पार कर पाएंगे. challenges of Congress in charge Kumari Selja

नए सेनापति से मिलेगी सत्ता

भाजपा और कांग्रेस ने नए प्रभारियों की नियुक्ति की: challenges of BJP in charge Om Mathur छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक हलचले तेज हो गई है. भाजपा ने अपना नया प्रभारी ओम माथुर को बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने कुमारी शैलजा को पीएल पुनिया की जगह जिम्मेदारी सौंपी है. पुनिया पिछले पांच साल से छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी रहे हैं. वहीं भाजपा की बात की जाए तो पिछले पांच साल में तीन प्रभारी बदले गए. पहले अनिल जैन की जगह डी पुरंदेश्वरी को कमान सौंपी गई. उसके बाद अब ओम माथुर को छत्तीसगढ़ भाजपा का नया प्रभारी बनाया गया है. ऐसे में सबसे पहले जानते हैं. आखिर ये दोनों नए प्रभारी कौन हैं. राजनीति में इनका क्या कद है.


कौन हैं ओम माथुर: ओम प्रकाश माथुर राजस्थान के रहने वाले हैं. वर्तमान में वे राजस्थान से ही राज्यसभा के सांसद है. इससे पहले वे राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी बनाए जाने से पहले ओमप्रकाश माथुर उत्तर प्रदेश के प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. इसके पहले वे गुजरात और महाराष्ट्र के भी प्रभारी रह चुके हैं.

छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर
छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर
ओम माथुर की चुनौतियां
ओम माथुर की चुनौतियां

ये भी पढ़ें: Bjp pc in raipur :बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस सरकार को कहा नामर्द


कौन हैं कुमारी शैलजा: कुमारी शैलजा हरियाणा कांग्रेस की सीनियर लीडर हैं. वो केन्द्र सरकार में मंत्री भी रह चुकीं हैं. साथ ही हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रहीं हैं. उन्हें खाटी समाज का प्रखर नेता माना जाता है. वो हरियाणा से 4 बार लोकसभा सांसद रहीं. दो बार वह सिरसा और दो बार अंबाला संसदीय सीट से सांसद रहीं. 2014 में चुनाव हारने के बाद वो राज्यसभा सांसद बनीं थीं. कुमारी शैलजा CWC में मेम्बर भी थी अब प्रमोट करके AICC महासचिव बनाया गया. साथ ही अब छत्तीसगढ़ का प्रभारी भी बन चुकी है.

छत्तीसगढ़ कांग्रेस की नई प्रभारी कुमारी शैलजा
छत्तीसगढ़ कांग्रेस की नई प्रभारी कुमारी शैलजा
कुमारी शैलजा की चुनौतियां
कुमारी शैलजा की चुनौतियां


क्या है ओम माथुर की खासियत और उपलब्धियां: भाजपा प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने कहते हैं कि "भाजपा में भी बदलाव हुआ है. जिसमें प्रभारी के तौर पर ओम माथुर, शिवप्रकाश और जामवाल की नियुक्तियां हुई है. उनके राजनीतिक जीवन की बात करें तो तीनों ने पार्टियों के लिए जीवन समर्पित किया है. जिन राज्यों में भाजपा विपक्ष में रही. उन राज्यों में काफी लंबे समय तक बतौर प्रभारी का काम किया. जिसका परिणाम हुआ कि भाजपा सरकार बनाने में सफल रही. इनकी कुशल रणनीति का लाभ भाजपा को मिला है. अनेक राज्य ऐसे हैं जहां हम कभी सोच नहीं सकते थे. वहां भी हमारी सरकार बनी है. तो यह जो व्यक्तिव का गुण होता है उस गुण के अनुसार संगठन की संरचना करना, जहां पर विपक्ष में हैं वहां किस प्रकार आंदोलनात्मक भूमिका अदा करना. कौन से मुद्दों को महत्व देना और किसे नहीं देना. यह जो सोच होती है राजनीतिक परिपक्वता की वह सभी चीजें इनमें हैं." वहीं वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा कहते हैं कि "भाजपा बड़े अग्रेसिव मोड के साथ 2023 के चुनाव में आ रही है. उनके मुखिया प्रभारी ओम माथुर राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं. उनकी खास बात यह है कि वे काफी एग्रेसिव मोड में काम करते हैं. बडे़-बड़े राज्यों के प्रभारी रहे हैं. उनकी रिपोर्टिंग सीधे अमित शाह, नड्डा और मोदी जी को है. उनका खेलने का बैटिंग करने का अंदाज अलग है. बूथ स्तर से लेकर राज्य स्तर तक की मीटिंग को कैसे हैंडल करना है. भाजपा के सभी धड़ों को कैसे हैंडल कर एकत्र करने में वो माहिर हैं. राजनीति अगर एक विश्वविद्यालय हैं तो वे अपने आप में एक कुलपति के रूप में अपने आप को देख सकते हैं. उनके आने से राज्य में भाजपा को एक सुखद परिणाम मिल सकता है."


क्या है कुमारी शैलजा की खासियत और उपलब्धियां: कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर बताते हैं "कुमारी शैलजा की खासियत बताते हुए कहते हैं कि कुमारी शैलजा जी को संगठन का एक लंबा अनुभव है. उनके पास संसदीय ज्ञान भी है. वो चार बार सांसद रह चुकीं हैं. महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकीं हैं. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की भी अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा चुकी हैं. CWC की मेंबर रही हैं. केंद्र सरकार में राज्य मंत्री भी रही हैं. उनके पास एक बड़ा राजनीतिक अनुभव है. उन्होंने संगठन में भी काम किया है. संसद में भी काम किया है और महिलाओं के बीच उनकी पकड़ है. ऐसे में उन्हें छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी सौंपी गई है तो निश्चित ही उसका लाभ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी को मिलेगा. हम 2023 में फिर से सरकार बनाने में कामयाब होंगे. इसमें हमें एक बड़ी लीड मिलेगी." वहीं वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा कहते हैं कि " शैलजा लंबे समय से कांग्रेस से जुड़ी रही हैं. सासंद रही हैं. काफी सीनियर लीडर हैं. महिला होने की वजह से शायद उन्हें जिम्मेदारी मिली है. उनकी खास बात यह है कि वह काफी अच्छा मैनेज करती है. काफी पढ़ी लिखी महिला हैं. वह हरियाणा से बिलॉन्ग करती हैं. इसके अलावा केंद्रीय नेतृत्व की काफी करीबी हैं. सभी राजनीतिक उठा पटक के दांव खेलना जानती हैं. छत्तीसगढ़ आते जाते रही हैं. यहां के लोगों से उनके घनिष्ठ सम्बंध हैं. उनके लिए छत्तीसगढ़ कोई नया नहीं है."

ये भी पढ़ें: भानुप्रतापपुर उपचुनाव में मतगणना की तैयारी पूरी, 8 दिसंबर को आएंगे नतीजे

ओम माथुर के सामने क्या हैं चुनौतियां:भाजपा प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने कहते हैं कि "पार्टी हर चुनाव को चुनौती मानकर चलती है और तैयारियां करती है. भाजपा का संगठनात्मक ढांचा है, जो बूथ से लेकर ऊपर तक है. उसमें हम पांच साल में संगठनात्मक दृष्टि से चुनाव की तैयारी करते हैं. अंतिम वर्ष होता है जिसमें कि अमली जामा पहनाया जाता है. स्वभाविक रूप से ओम माथुर जी का कार्य पद्धति का गुण है. उसका लाभ मिलेगा. वहीं जामवाल जी जब से आए हैं मंडल से लेकर जिलों तक उनका प्रवास रहा है. कार्यकर्ताओं को सुन रहे हैं. छत्तसीगढ़ का इतिहास जान रहे हैं. कार्यकर्ताओं का इतिहास जान रहे हैं. उस हिसाब से पार्टी में बदलाव कर रहे हैं. यहां रह कर कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं. ओम माथुर जी, शिवप्रकाश जी और जामवाल जी की जो कुशल रणनीति है उसका लाभ निश्चित तौर पर पार्टी को मिलेगा." वहीं पत्रकार उचित शर्मा कहते हैं कि "ओम माथुर जी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह रहेगी कि इस दौड़ में वे बहुत पीछे हैं. ऐसे में पार्टी को बराबरी में लाने के लिए प्रयास करेंगे. यही उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगी. कैसे वो 14 से 44-42 सीटों पर आए. जिस तरह से पार्टी बिखरी हुई है, डॉ. रमन सिंह के गुट, बृजमोहन के गुट, तो इन तमाम धड़ों के गुट को एक मुख्य धारा में लाने का प्रयास रहेगा. चूंकि इसमें वे सफल होंगे. क्योंकि भाजपा एक कैडर पार्टी है और वो लोग बड़े अनुशासन से चलते हैं."


शैलजा के लिए क्या हैं चुनौतियां:छत्तीसगढ़ कांग्रेस की नई प्रभारी कुमारी शैलजा को क्या चुनौतियां हो सकती है. इसे लेकर जब सवाल किया गया तो कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि "कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी कहीं पर भी नहीं है. गुटबाजी कि जो खबरें हैं वह हवा हवाई है. विरोधी दल के जो लोग हैं वह इस प्रकार की खबरें बनाकर अपने आपको मीडिया में बनाए रखते हैं. कांग्रेस पार्टी में छोटे से छोटे कार्यकर्ता और बड़े से बड़ा लीडर है वह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे जी, हमारे राहुल गांधी जी, सोनिया गांधी जी और प्रियंका गांधी जी के साथ कांग्रेस का झंडा उठाकर एक साथ चलते हैं और उनका उद्देश्य होता है जनता की सेवा करना. सरकार की जो जिम्मेदारियों का पालन करते हुए अपने कर्तव्यों का पूर्ण पालन किया जाता है. साथ ही शैलजा जी के लिए छत्तीसगढ़ में कोई चुनौती नहीं है." वही वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति जानकर उचित शर्मा ने चुनौतियों को लेकर कहते हैं " इनके लिए भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के दोनों गुटों में सामंजस्य बैठाना बड़ी बात है. साथ ही 70-71 सीटों को डिटेन करना बड़ी बात है, भाजपा कांग्रेस में सीटों को लेकर जो गैप है उसे बनाए रखना शैलजा जी के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी. क्योंकि यदि 70-71 सीटों से नीचे कांग्रेस आती है तो पूरी जिम्मेदारी प्रभारी की ही होगी. चूंकि भाजपा अब तक के सबसे न्यूनतम स्कोर पर है. ऐसे में दोनों धड़ों में सामंजस्य बरकरार रखना और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने के साथ लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कराना भी चुनौती रहेगी."

रायपुर: chhattisgarh assembly election 2023 छत्तीसगढ़ में 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियों ने कमर कस ली है. भाजपा ने अपना नया प्रभारी ओम माथुर को बनाया है. तो वहीं लंबे समय से कांग्रेस प्रभारी रहे पीएल पुनिया की छुट्टी कर दी है. पुनिया 5 साल से कांग्रेस के प्रभारी रहें है. उनकी जगह पर कुमारी शैलजा को नया प्रभारी बनाया गया है. मतलब साफ है कि दोनों के नेतृत्व में 2023 का चुनाव लड़ा जाएगा. ऐसे में ईटीवी भारत ने दोनों राजनीतिक दलों के साथ ही राजनीतिक जानकार से बातचीत की और यह जानने की कोशिश की आखिर इनकी खासियत क्या है. CG Assembly election 2023 साथ ही इनकी पार्टी की चुनौतियों को कैसे पार कर पाएंगे. challenges of Congress in charge Kumari Selja

नए सेनापति से मिलेगी सत्ता

भाजपा और कांग्रेस ने नए प्रभारियों की नियुक्ति की: challenges of BJP in charge Om Mathur छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक हलचले तेज हो गई है. भाजपा ने अपना नया प्रभारी ओम माथुर को बनाया है तो वहीं कांग्रेस ने कुमारी शैलजा को पीएल पुनिया की जगह जिम्मेदारी सौंपी है. पुनिया पिछले पांच साल से छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी रहे हैं. वहीं भाजपा की बात की जाए तो पिछले पांच साल में तीन प्रभारी बदले गए. पहले अनिल जैन की जगह डी पुरंदेश्वरी को कमान सौंपी गई. उसके बाद अब ओम माथुर को छत्तीसगढ़ भाजपा का नया प्रभारी बनाया गया है. ऐसे में सबसे पहले जानते हैं. आखिर ये दोनों नए प्रभारी कौन हैं. राजनीति में इनका क्या कद है.


कौन हैं ओम माथुर: ओम प्रकाश माथुर राजस्थान के रहने वाले हैं. वर्तमान में वे राजस्थान से ही राज्यसभा के सांसद है. इससे पहले वे राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी बनाए जाने से पहले ओमप्रकाश माथुर उत्तर प्रदेश के प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. इसके पहले वे गुजरात और महाराष्ट्र के भी प्रभारी रह चुके हैं.

छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर
छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर
ओम माथुर की चुनौतियां
ओम माथुर की चुनौतियां

ये भी पढ़ें: Bjp pc in raipur :बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस सरकार को कहा नामर्द


कौन हैं कुमारी शैलजा: कुमारी शैलजा हरियाणा कांग्रेस की सीनियर लीडर हैं. वो केन्द्र सरकार में मंत्री भी रह चुकीं हैं. साथ ही हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रहीं हैं. उन्हें खाटी समाज का प्रखर नेता माना जाता है. वो हरियाणा से 4 बार लोकसभा सांसद रहीं. दो बार वह सिरसा और दो बार अंबाला संसदीय सीट से सांसद रहीं. 2014 में चुनाव हारने के बाद वो राज्यसभा सांसद बनीं थीं. कुमारी शैलजा CWC में मेम्बर भी थी अब प्रमोट करके AICC महासचिव बनाया गया. साथ ही अब छत्तीसगढ़ का प्रभारी भी बन चुकी है.

छत्तीसगढ़ कांग्रेस की नई प्रभारी कुमारी शैलजा
छत्तीसगढ़ कांग्रेस की नई प्रभारी कुमारी शैलजा
कुमारी शैलजा की चुनौतियां
कुमारी शैलजा की चुनौतियां


क्या है ओम माथुर की खासियत और उपलब्धियां: भाजपा प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने कहते हैं कि "भाजपा में भी बदलाव हुआ है. जिसमें प्रभारी के तौर पर ओम माथुर, शिवप्रकाश और जामवाल की नियुक्तियां हुई है. उनके राजनीतिक जीवन की बात करें तो तीनों ने पार्टियों के लिए जीवन समर्पित किया है. जिन राज्यों में भाजपा विपक्ष में रही. उन राज्यों में काफी लंबे समय तक बतौर प्रभारी का काम किया. जिसका परिणाम हुआ कि भाजपा सरकार बनाने में सफल रही. इनकी कुशल रणनीति का लाभ भाजपा को मिला है. अनेक राज्य ऐसे हैं जहां हम कभी सोच नहीं सकते थे. वहां भी हमारी सरकार बनी है. तो यह जो व्यक्तिव का गुण होता है उस गुण के अनुसार संगठन की संरचना करना, जहां पर विपक्ष में हैं वहां किस प्रकार आंदोलनात्मक भूमिका अदा करना. कौन से मुद्दों को महत्व देना और किसे नहीं देना. यह जो सोच होती है राजनीतिक परिपक्वता की वह सभी चीजें इनमें हैं." वहीं वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार उचित शर्मा कहते हैं कि "भाजपा बड़े अग्रेसिव मोड के साथ 2023 के चुनाव में आ रही है. उनके मुखिया प्रभारी ओम माथुर राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं. उनकी खास बात यह है कि वे काफी एग्रेसिव मोड में काम करते हैं. बडे़-बड़े राज्यों के प्रभारी रहे हैं. उनकी रिपोर्टिंग सीधे अमित शाह, नड्डा और मोदी जी को है. उनका खेलने का बैटिंग करने का अंदाज अलग है. बूथ स्तर से लेकर राज्य स्तर तक की मीटिंग को कैसे हैंडल करना है. भाजपा के सभी धड़ों को कैसे हैंडल कर एकत्र करने में वो माहिर हैं. राजनीति अगर एक विश्वविद्यालय हैं तो वे अपने आप में एक कुलपति के रूप में अपने आप को देख सकते हैं. उनके आने से राज्य में भाजपा को एक सुखद परिणाम मिल सकता है."


क्या है कुमारी शैलजा की खासियत और उपलब्धियां: कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर बताते हैं "कुमारी शैलजा की खासियत बताते हुए कहते हैं कि कुमारी शैलजा जी को संगठन का एक लंबा अनुभव है. उनके पास संसदीय ज्ञान भी है. वो चार बार सांसद रह चुकीं हैं. महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकीं हैं. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की भी अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा चुकी हैं. CWC की मेंबर रही हैं. केंद्र सरकार में राज्य मंत्री भी रही हैं. उनके पास एक बड़ा राजनीतिक अनुभव है. उन्होंने संगठन में भी काम किया है. संसद में भी काम किया है और महिलाओं के बीच उनकी पकड़ है. ऐसे में उन्हें छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी सौंपी गई है तो निश्चित ही उसका लाभ छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी को मिलेगा. हम 2023 में फिर से सरकार बनाने में कामयाब होंगे. इसमें हमें एक बड़ी लीड मिलेगी." वहीं वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा कहते हैं कि " शैलजा लंबे समय से कांग्रेस से जुड़ी रही हैं. सासंद रही हैं. काफी सीनियर लीडर हैं. महिला होने की वजह से शायद उन्हें जिम्मेदारी मिली है. उनकी खास बात यह है कि वह काफी अच्छा मैनेज करती है. काफी पढ़ी लिखी महिला हैं. वह हरियाणा से बिलॉन्ग करती हैं. इसके अलावा केंद्रीय नेतृत्व की काफी करीबी हैं. सभी राजनीतिक उठा पटक के दांव खेलना जानती हैं. छत्तीसगढ़ आते जाते रही हैं. यहां के लोगों से उनके घनिष्ठ सम्बंध हैं. उनके लिए छत्तीसगढ़ कोई नया नहीं है."

ये भी पढ़ें: भानुप्रतापपुर उपचुनाव में मतगणना की तैयारी पूरी, 8 दिसंबर को आएंगे नतीजे

ओम माथुर के सामने क्या हैं चुनौतियां:भाजपा प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने कहते हैं कि "पार्टी हर चुनाव को चुनौती मानकर चलती है और तैयारियां करती है. भाजपा का संगठनात्मक ढांचा है, जो बूथ से लेकर ऊपर तक है. उसमें हम पांच साल में संगठनात्मक दृष्टि से चुनाव की तैयारी करते हैं. अंतिम वर्ष होता है जिसमें कि अमली जामा पहनाया जाता है. स्वभाविक रूप से ओम माथुर जी का कार्य पद्धति का गुण है. उसका लाभ मिलेगा. वहीं जामवाल जी जब से आए हैं मंडल से लेकर जिलों तक उनका प्रवास रहा है. कार्यकर्ताओं को सुन रहे हैं. छत्तसीगढ़ का इतिहास जान रहे हैं. कार्यकर्ताओं का इतिहास जान रहे हैं. उस हिसाब से पार्टी में बदलाव कर रहे हैं. यहां रह कर कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं. ओम माथुर जी, शिवप्रकाश जी और जामवाल जी की जो कुशल रणनीति है उसका लाभ निश्चित तौर पर पार्टी को मिलेगा." वहीं पत्रकार उचित शर्मा कहते हैं कि "ओम माथुर जी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह रहेगी कि इस दौड़ में वे बहुत पीछे हैं. ऐसे में पार्टी को बराबरी में लाने के लिए प्रयास करेंगे. यही उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगी. कैसे वो 14 से 44-42 सीटों पर आए. जिस तरह से पार्टी बिखरी हुई है, डॉ. रमन सिंह के गुट, बृजमोहन के गुट, तो इन तमाम धड़ों के गुट को एक मुख्य धारा में लाने का प्रयास रहेगा. चूंकि इसमें वे सफल होंगे. क्योंकि भाजपा एक कैडर पार्टी है और वो लोग बड़े अनुशासन से चलते हैं."


शैलजा के लिए क्या हैं चुनौतियां:छत्तीसगढ़ कांग्रेस की नई प्रभारी कुमारी शैलजा को क्या चुनौतियां हो सकती है. इसे लेकर जब सवाल किया गया तो कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि "कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी कहीं पर भी नहीं है. गुटबाजी कि जो खबरें हैं वह हवा हवाई है. विरोधी दल के जो लोग हैं वह इस प्रकार की खबरें बनाकर अपने आपको मीडिया में बनाए रखते हैं. कांग्रेस पार्टी में छोटे से छोटे कार्यकर्ता और बड़े से बड़ा लीडर है वह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे जी, हमारे राहुल गांधी जी, सोनिया गांधी जी और प्रियंका गांधी जी के साथ कांग्रेस का झंडा उठाकर एक साथ चलते हैं और उनका उद्देश्य होता है जनता की सेवा करना. सरकार की जो जिम्मेदारियों का पालन करते हुए अपने कर्तव्यों का पूर्ण पालन किया जाता है. साथ ही शैलजा जी के लिए छत्तीसगढ़ में कोई चुनौती नहीं है." वही वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति जानकर उचित शर्मा ने चुनौतियों को लेकर कहते हैं " इनके लिए भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के दोनों गुटों में सामंजस्य बैठाना बड़ी बात है. साथ ही 70-71 सीटों को डिटेन करना बड़ी बात है, भाजपा कांग्रेस में सीटों को लेकर जो गैप है उसे बनाए रखना शैलजा जी के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी. क्योंकि यदि 70-71 सीटों से नीचे कांग्रेस आती है तो पूरी जिम्मेदारी प्रभारी की ही होगी. चूंकि भाजपा अब तक के सबसे न्यूनतम स्कोर पर है. ऐसे में दोनों धड़ों में सामंजस्य बरकरार रखना और कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने के साथ लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कराना भी चुनौती रहेगी."

Last Updated : Dec 6, 2022, 9:58 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.