रायपुर : छत्तीसगढ़ में केंद्र की कई योजनाएं लंबे समय से संचालित हो रही हैं. इन योजनाओं के संचालन के लिए केंद्र सरकार (Chhattisgarh and central government face to face on central schemes) द्वारा केंद्रांश दिया जाता है. उसमें कुछ राशि राज्य सरकार की रहती है. इससे केंद्र ओर राज्य सरकार के समन्वय से उन योजनाओं का संचालन होता है. ये ऐसी कई जनकल्याणकारी योजनाएं हैं, जो केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर चलाती है. अब इन केंद्रीय योजनाओं पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है. कांग्रेस का सीधा आरोप है कि केंद्र की मोदी सरकार प्रदेश में लागू जनकल्याणकारी योजनाओं को बंद करने की साजिश रच रही है. इसके तहत कई योजनाओं में मोदी सरकार ने केंद्रांश में कटौती की है, वहीं कई योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
क्या मोदी सरकार केंद्रीय योजनाओं को बंद करने की साजिश कर रही है? इसीलिए अधिकतर केंद्रीय योजनाओं में केंद्र सरकार का या तो केंद्रांश समाप्त कर दिया गया है या कम कर दिया गया है. आइए जानते हैं कि ऐसी कौन-कौन सी योजनाएं हैं, जो इससे प्रभावित हुई हैं.
मोदी सरकार ने मनरेगा बजट में 25 फीसदी कटौती की : सुशील
केंद्रीय योजनाओं में केंद्र की कटौती या योजना को ठंडे बस्ते में डालने को लेकर कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कड़ा प्रहार किया है. सुशील का कहना है कि मोदी सरकार ने मनरेगा के बजट में 24 प्रतिशत की कटौती की. मनरेगा में पिछले साल 11.6 करोड़ लोगों ने रोजगार मांगा था, इनमें से 2 करोड़ लोगों को रोजगार नहीं मिल पाया था. इस वर्ष की गयी 25 प्रतिशत कटौती से काम नहीं मिलने वालों की संख्या और बढ़ेगी. इसके अलावा मोदी सरकार ने किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाली उपज के लिए बजट में भी 8 प्रतिशत की कटौती कर दी है. मोदी सरकार ने किसानों को मिलने वाली खाद सब्सिडी (1.40 लाख करोड़) को घटाकर 1.05 लाख करोड़ कर दिया. इस कारण खाद के दाम बढ़ गये हैं. इसके अलावा और भी योजनाओं में केंद्र ने कटौती कर दी है.
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फाइनेंस कमीशन बढ़ाकर योजनाओं में केंद्रांश में की कटौती : सिंहदेव
वहीं विभिन्न योजनाओं में केंद्रांश की कटौती को लेकर वाणिज्यकर मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि पहले फाइनेंस कमीशन के तहत राज्यों को 32 प्रतिशत राशि दी जाती थी. इसे बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया गया. दूसरी ओर अन्य योजनाओं में केंद्रांश में कटौती कर दी गई. यहां तक कि केंद्र सरकार से पोषित कई योजनाएं भी बंद कर दी गईं. एक तरफ केंद्र ने राशि बढ़ाई और दूसरी तरफ उसे वापस भी ले लिया. उदाहरण के तौर पर मॉडल स्कूल की योजना. इसे केंद्र सरकार ने शुरू किया था, बाद में सरकार ने कहा कि अब हम इसमें पैसा नहीं देंगे राज्य सरकार इसका संचालन करें. ऐसे में केंद्र सरकार अपने हिस्से से राज्य सरकारों को कितना सहयोग करती है, यह बात जब सामने आती है तो देखने को मिलता है कि हम इस योजना में पैसे नहीं देंगे. उस योजना में पैसे नहीं देंगे, इन योजनाओं को राज्य सरकार अपने पैसे से चलाएं.
केंद्र सरकार की योजना सभी राज्यों के लिए एक समान : गौरीशंकर
वहीं कांग्रेस के इन आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास ने कहा कि केंद्र सरकार की योजना सभी राज्यों के लिए एक समान होती है. यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है कि अपने राज्य को उस योजना में शामिल करके उससे राज्य का विकास करें. यह छत्तीसगढ़ में दिखाई नहीं दे रहा है. जल शक्ति मिशन के टेंडर में इनके द्वारा जो घोटाला किया गया है, वह सर्वविदित है. प्रधानमंत्री आवास योजना में छत्तीसगढ़ के लोगों के साथ जो अन्याय हुआ है, वह सभी जानते हैं.
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कई योजनाएं केंद्र-राज्य के राशि विवाद के कारण अटकीं...
बहरहाल कई ऐसी योजनाएं हैं, जो केंद्र और राज्य सरकार के अंश राशि के विवाद को लेकर अटकी हुई हैं. अब देखने वाली बात है कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकार क्या कदम उठाती है. या फिर प्रदेश की जनता इन केंद्रीय योजनाओं से वंचित रह जाती है.