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नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व, 2 नवंबर को पहला अर्घ्य

पूरे देश में आज नहाय खाय से छठ पर्व की शुरुआत हुई है. आज से 3 दिन तक छठ पूजा मनाया जाएगा.

नहाय-खाय से शुरू हुआ छठ का महापर्व
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Published : Oct 31, 2019, 10:22 AM IST

Updated : Oct 31, 2019, 3:31 PM IST

रायपुर: तीन दिनों के महापर्व छठ की आज शुरुआत हो गई है. आज नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हुई. यूं तो अब देश भर में लोग छठ व्रत करने लगे हैं, लेकिन बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में इसकी अधिक रौनक रहती है. इसके अलावा महाराष्ट्र और पड़ोसी देश नेपाल में भी ये त्योहार मनाया जाता है.

नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व, 2 नवंबर को पहला अर्घ्य

छठ पर्व के पहले दिन नहाए खाय होता है, जिसमें औरतें सुबह नहाने के बाद खाली पेट लौकी की सब्जी और शुद्ध अरवा चावल बनाकर ग्रहण करती है. छठ के पर्व में लौकी का खास महत्व है. जो महिलाएं व्रत नहीं रखतीं वो भी आज के दिन छठ कर रही महिलाओं को लौकी देती हैं ताकि उन्हें कुछ पुण्य मिल सके.

ऐसे करती है महिलाएं छठ की पूजा
आज सुबह नहाने के बाद व्रती महिलाएं लौकी व चावल ग्रहण करती हैं. इसके बाद वे गेंहू धोकर धूप में सूखाती हैं. इस समय साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. छठ पर्व के दूसरे दिन व्रती महिलाएं दिन भर व्रत धारण करती हैं और शाम को खीर रोटी खाती हैं. जिसको खरना कहा जाता है. इस दिन वे मट्टी के चुल्हे पर गुड़ डालकर खीर बनाती हैं, साथ ही शुद्ध गेहू के आटे से रोटी बनाती हैं, शाम को इसे ग्रहण करती हैं. इस दिन आस-पड़ोस के लोगों को भी घर में प्रसाद ग्रहण करने के लिए बुलाया जाता है.

उगते और डूबते सूरज को दिया जाता है अरघ
तीसरे दिन महिलाएं सुबह से ही नहाकर छठी मां को भोग लगाने के लिए घर में ठेकुआ बनाती है. ठेकुआ बन जाने के बाद फलों के साथ डउरा सजाया जाता है और पीले कपड़े से डउरा को बांधकर छठ घाट तक पहुंचाया जाता है. महिलाएं घाट पर डूबते सूरज को अर्घ्य देती हैं और चौथे दिन सुबह-सुबह महिलाएं घाट पर जाकर उगते सूरज को अर्घ्य देती हैं. इसके बाद घाट से वापस लौटकर घर में अदरक और गुड़ खाती है. ताकि मुंह में छाले न पड़े. वे घर में बने 5 तरह की खाद्य सामग्री से अपना उपवास तोड़ती है.

रायपुर: तीन दिनों के महापर्व छठ की आज शुरुआत हो गई है. आज नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हुई. यूं तो अब देश भर में लोग छठ व्रत करने लगे हैं, लेकिन बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में इसकी अधिक रौनक रहती है. इसके अलावा महाराष्ट्र और पड़ोसी देश नेपाल में भी ये त्योहार मनाया जाता है.

नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व, 2 नवंबर को पहला अर्घ्य

छठ पर्व के पहले दिन नहाए खाय होता है, जिसमें औरतें सुबह नहाने के बाद खाली पेट लौकी की सब्जी और शुद्ध अरवा चावल बनाकर ग्रहण करती है. छठ के पर्व में लौकी का खास महत्व है. जो महिलाएं व्रत नहीं रखतीं वो भी आज के दिन छठ कर रही महिलाओं को लौकी देती हैं ताकि उन्हें कुछ पुण्य मिल सके.

ऐसे करती है महिलाएं छठ की पूजा
आज सुबह नहाने के बाद व्रती महिलाएं लौकी व चावल ग्रहण करती हैं. इसके बाद वे गेंहू धोकर धूप में सूखाती हैं. इस समय साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. छठ पर्व के दूसरे दिन व्रती महिलाएं दिन भर व्रत धारण करती हैं और शाम को खीर रोटी खाती हैं. जिसको खरना कहा जाता है. इस दिन वे मट्टी के चुल्हे पर गुड़ डालकर खीर बनाती हैं, साथ ही शुद्ध गेहू के आटे से रोटी बनाती हैं, शाम को इसे ग्रहण करती हैं. इस दिन आस-पड़ोस के लोगों को भी घर में प्रसाद ग्रहण करने के लिए बुलाया जाता है.

उगते और डूबते सूरज को दिया जाता है अरघ
तीसरे दिन महिलाएं सुबह से ही नहाकर छठी मां को भोग लगाने के लिए घर में ठेकुआ बनाती है. ठेकुआ बन जाने के बाद फलों के साथ डउरा सजाया जाता है और पीले कपड़े से डउरा को बांधकर छठ घाट तक पहुंचाया जाता है. महिलाएं घाट पर डूबते सूरज को अर्घ्य देती हैं और चौथे दिन सुबह-सुबह महिलाएं घाट पर जाकर उगते सूरज को अर्घ्य देती हैं. इसके बाद घाट से वापस लौटकर घर में अदरक और गुड़ खाती है. ताकि मुंह में छाले न पड़े. वे घर में बने 5 तरह की खाद्य सामग्री से अपना उपवास तोड़ती है.

Intro:दिवाली के ठीक बाद छठ पर्व पूरे उत्तर भारत में मनाया जाता है। हालांकि अब छठ पर्व की रौनक बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पड़ोसी देश नेपाल में भी देखने को मिलती है। 4 दिन तक चलने वाला छठ का पावन पर्व आज से शुरू हो रहा है।

Body:पहले दिन नहाए खाय होता है जिसमें औरतें सुबह नहाने के बाद खाली पेट लोकी और चावल ग्रहण कर अपने आप को शुद्ध करती हैं उसके बाद वह उपवास रख छठ की तैयारी शुरू करती है। छठ के पर्व में लौकी का महत्व एक अलग ही है जो महिलाएं छठ नहीं कर रही होती वह भी अपने तरफ से छठ कर रही महिलाओं को लोकी देती हैं ताकि उन्हें कुछ पुण्य मिल सके। छठ के पर्व में नदी और तालाब का महत्व काफी बड़ा माना गया है क्योंकि छठ के आखिरी 2 दिन औरतें वह नदी में ढालते सूर्य देव और सूर्य देव अर्क देती हैं। यह त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस खास पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और पूरे चार दिनों तक ये पूजा होती है।

Conclusion:आज से नहाए खाय से छठ पूजा शुरू होगी। सुबह से नहाने के बाद व्रती महिलाएं लोकी वह चावल ग्रहण कर अपने आप को शुद्ध करती हैं उसके बाद पूजा सामग्री के लिए अनाज को साफ करती हैं और इसे धूप में ढक कर सुखाती हैं। अनाज को धुलने और सुखाने के दौरान साफ-सफाई का काफी ध्यान रखा जाता है। इसके बाद महिलाएं एक बार फिर स्नान करती हैं और दिन में सिर्फ एक बार अनाज लेती हैं। इस दिन से न सिर्फ व्रती महिलाएं बल्कि उनके परिवार के लोग भी सात्विक आहार लेना शुरू कर देते हैं।

बाइट :- फूल कुमारी देवी (स्थानीय निवासी)

अभिषेक कुमार सिंह ईटीवी भारत रायपुर

Last Updated : Oct 31, 2019, 3:31 PM IST
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