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बदहाली में अंतिम सांस लेने वाले बॉलीवुड कलाकार, अपने पीछे छोड़ गए कई सवाल - नत्थू दादा

नत्थू दादा जिन्हें छत्तीसगढ़ का चार्ली चैपलिन कहा जाता था वे इस दुनिया को अलविदा कह गए.

बॉलीवुड कलाकार नत्थू दादा नहीं रहे
बॉलीवुड कलाकार नत्थू दादा नहीं रहे
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Published : Dec 28, 2019, 11:47 PM IST

Updated : Dec 29, 2019, 11:16 AM IST

रायपुर: अपनी अदाकारी से दुनिया को हंसाने वाले नत्थू दादा बेहद खामोशी से रुखसत हो गए. 150 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुका ये सीने कलाकार अपने अंतिम समय को बेहद अभाव में काटा.

सुभाष मिश्रा

राजनांदगांव के रामपुर गांव के रहने वाले रामटेके ऊर्फ नत्थू दादा ने राजकपूर की चर्चित फिल्म मेरा नाम जोकर से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने कई हिट फिल्मों में कई बड़े सितारों के साथ काम किया. छत्तीसगढ़ से शायद ही कोई कलाकार इतनी फिल्मों में काम किया हो और वो भी इतने बड़े सितारों के साथ. वक्त का एक दौर ऐसा भी था जब नत्थू दादा खुद एक सितारे की हैसियत रखा करते थे, लेकिन एक समय के बाद वे मायानगरी मुंबई के जीवन से ऊब गए और वे अपनी माटी अपने गांव लौट आए.

अभिनेताओं के साथ बिताए पल

100 से ज्यादा हिंदी फिल्मों में काम कर चुके इस कलाकार के पास मुंबई से लौटने के बाद जो दौलत थी वो सब खत्म हो गई. राजकपूर से सीखी अभिनय की बारिकी, दारासिंह की ताकत. धर्मेंद्र और राजकुमार से अभिनेताओं के साथ बिताए पल उनकी लाइफ स्टाइल के किस्से थे. इन बातों को समेटे नत्थू दादा अपने गांव लौट आए यहां उन्होंने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के अलावा उड़िया, भोजपुरी सिनेमा में भी काम किया, लेकिन वक्त के साथ उन्हें काम मिलना कम हो गया और वे अपने गांव के दायरे में सिमटने लगे.

नत्थू दादा रोज लगभग 20 किमी साइकिल चलाते थे

इसके बाद उनकी हालत दिनों दिन खराब होते चली गई. इस खुद्दार कलाकार ने सरकार से मदद की गुहार भी लगाई, लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. कुछ साल पहले उन्हें राजनांदगांव नगर निगम की चौपाटी में दैनिक वेतन भोगी के तौर पर काम दिया गया महज 1500 रुपए के वेतन वाले इस काम को करने के लिए नत्थू दादा रोज लगभग 20 किमी साइकिल चलाते थे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कभी बॉलीवुड की चकाचौंध देख चुके नत्थूदादा की माली हालत कितनी कमजोर हो चुकी थी. वे ईटीवी भारत से बातचीत में इसका जिक्र भी किए थे कि उन्हें मदद की दरकार है, लेकिन न जाने क्यों शासन और समाज का रवैया इनके प्रति कठोर बना रहा.

कलाकार के सामने आज छोटे दिलवाले साबित हो रहे हैं

नत्थू दादा की इस तरह गरीबी में मौत सरकार की उन तमाम योजनाओं पर सवाल खड़े करते हैं जो कि कलाकारों के हित में चलाई जाने का दम्भ भरती हैं. कला की आकाश के चमचमाते उन सितारों को शायद नत्थू दादा आज याद भी न हो, जिनके साथ नत्थू दादा ने काम किया था, लेकिन सामाजिक जिम्मेदारी की कसौटी पर कसा जाए तो वो बड़े नाम भी इस बौने कलाकार के सामने आज छोटे दिलवाले साबित हो रहे हैं.

रायपुर: अपनी अदाकारी से दुनिया को हंसाने वाले नत्थू दादा बेहद खामोशी से रुखसत हो गए. 150 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुका ये सीने कलाकार अपने अंतिम समय को बेहद अभाव में काटा.

सुभाष मिश्रा

राजनांदगांव के रामपुर गांव के रहने वाले रामटेके ऊर्फ नत्थू दादा ने राजकपूर की चर्चित फिल्म मेरा नाम जोकर से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने कई हिट फिल्मों में कई बड़े सितारों के साथ काम किया. छत्तीसगढ़ से शायद ही कोई कलाकार इतनी फिल्मों में काम किया हो और वो भी इतने बड़े सितारों के साथ. वक्त का एक दौर ऐसा भी था जब नत्थू दादा खुद एक सितारे की हैसियत रखा करते थे, लेकिन एक समय के बाद वे मायानगरी मुंबई के जीवन से ऊब गए और वे अपनी माटी अपने गांव लौट आए.

अभिनेताओं के साथ बिताए पल

100 से ज्यादा हिंदी फिल्मों में काम कर चुके इस कलाकार के पास मुंबई से लौटने के बाद जो दौलत थी वो सब खत्म हो गई. राजकपूर से सीखी अभिनय की बारिकी, दारासिंह की ताकत. धर्मेंद्र और राजकुमार से अभिनेताओं के साथ बिताए पल उनकी लाइफ स्टाइल के किस्से थे. इन बातों को समेटे नत्थू दादा अपने गांव लौट आए यहां उन्होंने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के अलावा उड़िया, भोजपुरी सिनेमा में भी काम किया, लेकिन वक्त के साथ उन्हें काम मिलना कम हो गया और वे अपने गांव के दायरे में सिमटने लगे.

नत्थू दादा रोज लगभग 20 किमी साइकिल चलाते थे

इसके बाद उनकी हालत दिनों दिन खराब होते चली गई. इस खुद्दार कलाकार ने सरकार से मदद की गुहार भी लगाई, लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. कुछ साल पहले उन्हें राजनांदगांव नगर निगम की चौपाटी में दैनिक वेतन भोगी के तौर पर काम दिया गया महज 1500 रुपए के वेतन वाले इस काम को करने के लिए नत्थू दादा रोज लगभग 20 किमी साइकिल चलाते थे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कभी बॉलीवुड की चकाचौंध देख चुके नत्थूदादा की माली हालत कितनी कमजोर हो चुकी थी. वे ईटीवी भारत से बातचीत में इसका जिक्र भी किए थे कि उन्हें मदद की दरकार है, लेकिन न जाने क्यों शासन और समाज का रवैया इनके प्रति कठोर बना रहा.

कलाकार के सामने आज छोटे दिलवाले साबित हो रहे हैं

नत्थू दादा की इस तरह गरीबी में मौत सरकार की उन तमाम योजनाओं पर सवाल खड़े करते हैं जो कि कलाकारों के हित में चलाई जाने का दम्भ भरती हैं. कला की आकाश के चमचमाते उन सितारों को शायद नत्थू दादा आज याद भी न हो, जिनके साथ नत्थू दादा ने काम किया था, लेकिन सामाजिक जिम्मेदारी की कसौटी पर कसा जाए तो वो बड़े नाम भी इस बौने कलाकार के सामने आज छोटे दिलवाले साबित हो रहे हैं.

Intro:अपनी अदाकारी से दुनिया को हंसाने वाले नत्थू दादा बेहद खामोशी से रुखसत हो गए … 150 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुका ये सीने कलाकार ने अपना अंतिम समय बेहद अभाव में काटा.. राजनांदगांव के रामपुर गांव के रहने वाले रामटेके ऊर्फ नत्थू दादा ने राजकपूर की चर्चित फिल्म मेरा नाम जोकर से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की थी… इसके बाद उन्होंने कई हिट फिल्मों में कई बड़े सितारों के साथ काम किया. छत्तीसगढ़ से शायद ही कोई कलाकार इतनी फिल्मों में काम किया हो और इतने बड़े सितारों के साथ… वक्त का एक दौर ऐसा भी था जब नत्थू दादा खुद एक सितारे की हैसियत रखा करते थे…. लेकिन एक समय के बाद उन्होंने मायानगरी मुंबई के जीवन से ऊब होने लगी और वे अपनी माटी अपने गांव लौट आए… 100 से ज्यादा हिंदी फिल्मों में काम कर चुके इस कलाकार के पास मुंबई से लौटने के बाद जो दौलत थी वो … राजकपूर से सीखी अभिनय की बारिकी , दारासिंह की ताकत… धर्मेंद्र और राजकुमार से अभिनेताओं के साथ बिताए पल उनकी लाइफ स्टाइल के किस्से थे… इन बातों को समेटे नत्थू दादा अपने गांव लौट आए यहां उन्होंने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के अलावा उड़िया, भोजपुरी सिनेमा में भी काम किया… Body:लेकिन वक्त के साथ उन्हें काम मिलना कम हो गया और वे अपने गांव के दायरे में सिमटने लगे… इसके बाद उनकी माली हालत दिनों दिन खराब होते चली गई… इस खुद्दार कलाकार ने सरकार से मदद की गुहार भी लगाई, लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया…. कुछ साल पहले उन्हें राजनांदगांव नगर निगम की चौपाटी में दैनिक वेतन भोगी के तौर पर काम दिया गया महज 1500 रुपए के वेतन वाले इस काम को करने के लिए नत्थू दादा रोज लगभग 20 किमी साइकिल चलाते थे… इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कभी बॉलीवुड की चकाचौंध देख चुके नत्थूदादा की माली हालत कितनी कमजोर हो चुकी थी. वे ईटीवी भारत से बातचीत में इसका जिक्र भी किए थे कि उन्हें मदद की दरकार है. लेकिन न जाने क्यों शासन और समाज का रवैया इनके प्रति कठोर बना रहा….
नत्थू दादा की इस तरह गरीबी में मौत सरकार की उन तमाम योजनाओं पर भी सवाल खड़े करते हैं जो कि कलाकारों के हित में चलाई जाने का दम्भ भरती हैं… कला की आकाश के चमचमाते उन सितारों को शायद नत्थू दादा आज याद भी न हों जिनके साथ नत्थू दादा ने काम किया था लेकिन सामाजिक जिम्मेदारी की कसौटी पर कसा जाए तो वो बड़े नाम भी इस बौने कलाकार के सामने आज छोटे दिलवाले साबित हो रहे हैं….


Conclusion:
Last Updated : Dec 29, 2019, 11:16 AM IST
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