रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सभी प्रदेश वासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी है. महंत ने कहा कि जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि में हुआ था. जन्माष्टमी पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण भक्तों को यह पर्व अपने घरों में ही मनाना होगा.
महंत ने कहा कि मैनें अपने जीवन में श्रीकृष्ण के उपदेश और पांच 1- शान्ति और धैर्य स्वभाव रखकर काम करना, 2- साधारण जीवन, 3- कभी हार न मानना, 4- दोस्ती निभाना, 5- माता-पिता का हमेशा आदर करना इसे सदैव आत्मसात किया है.
व्रत रखने का विधान
श्रीकृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं. वे कभी यशोदा मैइया के लाल होते हैं, तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खासतौर पर सजाया जाता है. जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत का विधान है. जन्माष्टमी पर सभी रात 12 बजे तक व्रत रखते हैं. जैसे ही भगवान का जन्म होता है तब भक्त उनकी पूजा करके ही अपना व्रत तोड़ते हैं.
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गीता में पूरे विश्व का ज्ञान: महंत
महंत ने कहा कि महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण का अहम योगदान रहा है. उन्होंने ही अर्जुन को धर्म और अधर्म के बारे में ज्ञान दिया था. भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पूरी गीता का बोध ज्ञान कराया था. गीता में जीवन का सारा ज्ञान समाया हुआ है.
तिथि को लेकर असमंजस
देश समेत प्रदेश में आज जन्माष्टमी मनाई जाएगी. वैसे कई जगह मंगलवार यानी 11 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाई गई. लेकिन कुछ जगहों पर आज भी जन्माष्टमी मनाई जा रही है. तिथि में असमंजस होना कोई नई बात नहीं है. हर साल जन्माष्टमी की तिथि को लेकर संशय रहता ही है.