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नवरात्र 2021: शेर पर सवार होकर आएंगी माता चंद्रघंटा, जानिए-पूजा की संपूर्ण विधि

नवरात्र के तीसरे दिन दुर्गाजी के तीसरे रूप चंद्रघंटा देवी (Chandraghanta Devi) के वंदन, पूजन और स्तवन करने का विधान है. इन देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्र विराजमान है. इसीलिये इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा.

Navratri
माता चंद्रघंटा
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Published : Oct 6, 2021, 6:24 PM IST

Updated : Oct 9, 2021, 6:24 AM IST

रायपुर: 9 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का तृतीय और चतुर्थी पर्व एक साथ मनाया जाएगा. तिथि विलोप के कारण माता चंद्रघंटा स्वरूप और कुष्मांडा माता की पूजा एक ही दिन की जाएगी. यहां पहले हम चंद्रघंटा माता की स्वरूप रूप पूजा विधि का वर्णन करेंगे. चंद्रघंटा माता अपने मुकुट पर घंटे की आकृति से चंद्र को धारण की हुई है. इसलिए माता चंद्रघंटा देवी कहलाती है. ऐसे जातक जिनको चंद्रमा की कमजोरी हो या ऐसे बच्चे जो बोलने में विलंब हो या जिनकी बुद्धि थोड़ी धीमी हो. ऐसे जातकों को निश्चित ही माता चंद्रघंटा की उपासना साधना करनी चाहिए. चंद्रघंटा माता के 10 हाथ हैं. माता की साधना करने पर मणिपुर चक्र जागृत होता है. चंद्रघंटा देवी वीरता निर्भयता के साथ सौम्यता प्रदान करने वाली है.

शेर पर सवार होकर आएंगी माता चंद्रघंटा

चंद्रघंटा माता की कहानी

मान्यता है कि महिषासुर नामक राक्षस में जब इंद्र पर कब्जा कर लिया. वायु और चंद्रमा की शक्तियों को शून्य कर दिया तब चंद्रघंटा माता वीरता के फल स्वरुप आगे चलकर महिषासुर मारा गया. माता महिषासुर मर्दिनी भी कहलाती है. विशाखा नक्षत्र तृतीय योग शुभ योग गर और करण के सुयोग में माता चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी. ऐसे जातक जिनकी कुंडली में चंद्रमा और शनि की युति है. उन्हें विशेष रुप से ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान योग से निवृत्त होकर चंद्रघंटा माता की साधना आराधना करनी चाहिए.

गौ माता को पर्याप्त भोजन कराना चाहिए. योग्य व्यक्तियों को दान देकर दिन की शुरुआत करें. कुष्ठ, कोढ़ और दिव्यांग व्यक्तियों की सेवा करने से भी बहुत लाभ मिलता है. चंद्रघंटा माता हमें अधिक कर्म करने के लिए प्रेरित करती हैं. शनिवार का पूरा दिन परिश्रम पुरुषार्थ और कर्म से भरा होना चाहिए. साथ ही पूरे दिन सात्विकता के साथ अन्य जल फलों का रस ग्रहण करना चाहिए. माता को रोली चंदन सिंदूर बंधन कुमकुम आदि पूरी श्रद्धा और शुद्धता के साथ अर्पण करना चाहिए. माता को धूप, दीप और दीपक विधान पूर्वक लगाया जाना चाहिए. सुगंधित अगरबत्ती का भी प्रयोग करने से माता प्रसन्न होती है.

शेर पर सवार होकर आएंगी माता

ऐसी मान्यता है कि योग साधक चंद्रघंटा माता की साधना से अपने मणिपुर चक्र को जागृत कर पाते हैं. जिससे असीमित शक्तियां जागृत हो जाती हैं और व्यक्ति मेधावान प्रज्ञावान होकर सामने आता है. चंद्रघंटा माता सोने के समान चमकीली मानी गई है. माता का आभामंडल बहुत ही दिव्य है. माता सिंह की सवारी कर प्रचंड वीरता प्रचंड शौर्य का आशीष प्रदान करती हैं. हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए पराक्रमी और शूरवीरता होने का संकेत प्रदान करती हैं .

रायपुर: 9 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का तृतीय और चतुर्थी पर्व एक साथ मनाया जाएगा. तिथि विलोप के कारण माता चंद्रघंटा स्वरूप और कुष्मांडा माता की पूजा एक ही दिन की जाएगी. यहां पहले हम चंद्रघंटा माता की स्वरूप रूप पूजा विधि का वर्णन करेंगे. चंद्रघंटा माता अपने मुकुट पर घंटे की आकृति से चंद्र को धारण की हुई है. इसलिए माता चंद्रघंटा देवी कहलाती है. ऐसे जातक जिनको चंद्रमा की कमजोरी हो या ऐसे बच्चे जो बोलने में विलंब हो या जिनकी बुद्धि थोड़ी धीमी हो. ऐसे जातकों को निश्चित ही माता चंद्रघंटा की उपासना साधना करनी चाहिए. चंद्रघंटा माता के 10 हाथ हैं. माता की साधना करने पर मणिपुर चक्र जागृत होता है. चंद्रघंटा देवी वीरता निर्भयता के साथ सौम्यता प्रदान करने वाली है.

शेर पर सवार होकर आएंगी माता चंद्रघंटा

चंद्रघंटा माता की कहानी

मान्यता है कि महिषासुर नामक राक्षस में जब इंद्र पर कब्जा कर लिया. वायु और चंद्रमा की शक्तियों को शून्य कर दिया तब चंद्रघंटा माता वीरता के फल स्वरुप आगे चलकर महिषासुर मारा गया. माता महिषासुर मर्दिनी भी कहलाती है. विशाखा नक्षत्र तृतीय योग शुभ योग गर और करण के सुयोग में माता चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी. ऐसे जातक जिनकी कुंडली में चंद्रमा और शनि की युति है. उन्हें विशेष रुप से ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान योग से निवृत्त होकर चंद्रघंटा माता की साधना आराधना करनी चाहिए.

गौ माता को पर्याप्त भोजन कराना चाहिए. योग्य व्यक्तियों को दान देकर दिन की शुरुआत करें. कुष्ठ, कोढ़ और दिव्यांग व्यक्तियों की सेवा करने से भी बहुत लाभ मिलता है. चंद्रघंटा माता हमें अधिक कर्म करने के लिए प्रेरित करती हैं. शनिवार का पूरा दिन परिश्रम पुरुषार्थ और कर्म से भरा होना चाहिए. साथ ही पूरे दिन सात्विकता के साथ अन्य जल फलों का रस ग्रहण करना चाहिए. माता को रोली चंदन सिंदूर बंधन कुमकुम आदि पूरी श्रद्धा और शुद्धता के साथ अर्पण करना चाहिए. माता को धूप, दीप और दीपक विधान पूर्वक लगाया जाना चाहिए. सुगंधित अगरबत्ती का भी प्रयोग करने से माता प्रसन्न होती है.

शेर पर सवार होकर आएंगी माता

ऐसी मान्यता है कि योग साधक चंद्रघंटा माता की साधना से अपने मणिपुर चक्र को जागृत कर पाते हैं. जिससे असीमित शक्तियां जागृत हो जाती हैं और व्यक्ति मेधावान प्रज्ञावान होकर सामने आता है. चंद्रघंटा माता सोने के समान चमकीली मानी गई है. माता का आभामंडल बहुत ही दिव्य है. माता सिंह की सवारी कर प्रचंड वीरता प्रचंड शौर्य का आशीष प्रदान करती हैं. हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए पराक्रमी और शूरवीरता होने का संकेत प्रदान करती हैं .

Last Updated : Oct 9, 2021, 6:24 AM IST
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