रायपुर : हमें जीवन में कई तरह की खगोलीय घटनाएं देखने को मिलती है.उन्हीं खगोलीय घटनाओं में से एक है ग्रहण.वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा आने पर ग्रहण लगता है.चंद्र ग्रहण के दौरान सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी एक ही सीध पर आ जाते हैं.जिसके कारण चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है.जिसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है. अक्सर पूर्णिमा के दिन ही चंद्रग्रहण लगता है. वहीं इसकी एक धार्मिक मान्यता भी है.धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक जब राहु चंद्रमा को निगलता है तो ग्रहण लगता है. वैसे ही जब राहू सूर्य को निगलता है तो सूर्य ग्रहण लगता है.
28 अक्टूबर को चंद्रग्रहण: इस बार साल 2023 का आखिरी चंद्र ग्रहण शरद पूर्णिमा पर 28 अक्टूबर को लगने जा रहा है. इसका प्रभाव आंशिक रूप से भारत पर भी दिखेगा. चंद्रग्रहण के दौरान सूतक काल लगता है.जिसमें कई तरह की चीजों को करने में पाबंदियां लग जाती है. ऐसा माना जाता है कि यदि सूतक काल के दौरान कुछ चीजें की गईं तो अशुभ होती हैं.इसलिए ज्यादातर सूतक काल में धार्मिक कार्यों को करने की मना ही होती है. ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी के मुताबिक सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण दोनों में ही सूतक काल होता है. इसलिए कुछ चीजें वर्जित मानी गई हैं.
ग्रहण के दौरान क्या ना करें ?
- सूतक काल के दौरान देव पूजा नहीं करना चाहिए.
- खाट पर नहीं सोना चाहिए.
- ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए.
- शुद्ध और पवित्र रहने के साथ ही भगवान के नाम का स्मरण करना चाहिए.
- भगवान की माला और धार्मिक पुस्तकों का स्पर्श नहीं करना चाहिए.
- ग्रहण कल के दौरान सोना नहीं चाहिए.
- खाना नहीं खाना चाहिए.
- मनुष्य को वासनाओं से मुक्त होना चाहिए.
- मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए.
गर्भवती स्त्रियों को सावधान रहने की जरुरत : चंद्र ग्रहण में चंद्रमा की किरणें दूषित हो जाती है. ऐसे में गर्भवती स्त्रियों को इस दिन भूलकर भी घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. इससे बच्चों को हानि हो सकती है.
'' गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय चांद को नहीं देखना चाहिए. इसका दुष्प्रभाव मां के साथ बच्चे पर भी पड सकता है. गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के दौरान किसी नुकीली वस्तु जैसे चाकू कैंची आदि से दूर रहना चाहिए.'' पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य
ग्रहण के समय नाकारात्मक शक्तियां होती हैं हावी : मान्यता के मुताबिक ग्रहण के समय नकारात्मक शक्तियां हावी होने लगती है. ऐसे में गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण काल में हनुमान चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम, आदित्य हृदय स्त्रोत, विष्णु हस्ताक्षरी मंत्र और पंचाक्षरी मंत्र का जप और पाठ करना चाहिए.
कितने तरह के होते हैं चंद्र ग्रहण ? : आपको बता दें कि चंद्रग्रहण तीन तरह के होते हैं.
1-पूर्ण चंद्रग्रहण
2-आंशिक और उपच्छाया चंद्र ग्रहण
3- खंडग्रास चंद्र ग्रहण या आंशिक चंद्र ग्रहण