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Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरुप की होती है पूजा - माता चंद्रघंटा समस्त शत्रुओं का वध करने वाली होती है

चैत्र नवरात्रि 2022 की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरुप की पूजा होती है. इस दिन जानिए क्या करना चाहिए.

Chaitra Navratri 2022
मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरुप की पूजा
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Published : Apr 3, 2022, 8:50 PM IST

रायपुर: भरणी नक्षत्र, विषकुंभ योग, बालव और तैतिल करण के दिन गौरी तृतीया गणगौर व्रत मनुवादी योगों के साथ माता चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी. आज के शुभ दिन अर्धचंद्र युक्त और घंटे को धारण किए हुए माता चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना, साधना, उपासना और व्रत करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है.नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा- अर्चना की जाती है. पंडितों के मुताबिक माता चंद्रघंटा को राक्षसों की वध करने वाला कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि मां अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखे हुए है.

मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरुप की पूजा

रतनपुर का प्रसिद्ध मां महामाया मंदिर : चैत्र नवरात्र मेला आज से शुरू, नौ अप्रैल तक चलेगा

माता की सवारी शेर से माता चंद्रघंटा समस्त शत्रुओं का वध करने वाली होती है. समस्त दुखों, वेदना और पीड़ा को नाश करने वाली होती है. अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करने की वजह से माता का नाम चंद्रघंटा पड़ा है. माता शेर की सवारी कर युद्ध में दुष्टों का नाश करने का संदेश प्रदान करती है. आज के शुभ दिन लाल मिठाई का भोग, लाल फल, जैसे सेब और अनार, लाल चुनरी, दूध से बनी मिठाइयां और मखाने से बनी खीर माता चंद्रघंटा को श्रद्धा और विश्वास से अर्पित की जाती है.

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मां की तीसरी शक्ति मां चंद्रघंटा मानी गई है. माता चंद्रघंटा के हाथ में शंख मृदंग और घंटा है. माता चंद्रघंटा पापियों, दुष्टों और असुर वृत्तियों का संहार करने वाली मानी जाती है. आज के शुभ दिन मंदिरों में ज्योति का प्रकाश बढ़ जाता है. साथ ही साथ भक्तों की संख्या मंदिरों में बढ़ने लगती है. माता चंद्रघंटा का स्वरूप बहुत ही आकर्षक, मनमोहक और प्रेरित करने वाला है. आज के शुभ दिन दुर्गा सप्तशती, दुर्गा कवच, दुर्गा चालीसा पढ़ना और मां दुर्गा की आरती करना बहुत शुभ माना गया है.

रायपुर: भरणी नक्षत्र, विषकुंभ योग, बालव और तैतिल करण के दिन गौरी तृतीया गणगौर व्रत मनुवादी योगों के साथ माता चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी. आज के शुभ दिन अर्धचंद्र युक्त और घंटे को धारण किए हुए माता चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना, साधना, उपासना और व्रत करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है.नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा- अर्चना की जाती है. पंडितों के मुताबिक माता चंद्रघंटा को राक्षसों की वध करने वाला कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि मां अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखे हुए है.

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माता की सवारी शेर से माता चंद्रघंटा समस्त शत्रुओं का वध करने वाली होती है. समस्त दुखों, वेदना और पीड़ा को नाश करने वाली होती है. अपने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करने की वजह से माता का नाम चंद्रघंटा पड़ा है. माता शेर की सवारी कर युद्ध में दुष्टों का नाश करने का संदेश प्रदान करती है. आज के शुभ दिन लाल मिठाई का भोग, लाल फल, जैसे सेब और अनार, लाल चुनरी, दूध से बनी मिठाइयां और मखाने से बनी खीर माता चंद्रघंटा को श्रद्धा और विश्वास से अर्पित की जाती है.

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मां की तीसरी शक्ति मां चंद्रघंटा मानी गई है. माता चंद्रघंटा के हाथ में शंख मृदंग और घंटा है. माता चंद्रघंटा पापियों, दुष्टों और असुर वृत्तियों का संहार करने वाली मानी जाती है. आज के शुभ दिन मंदिरों में ज्योति का प्रकाश बढ़ जाता है. साथ ही साथ भक्तों की संख्या मंदिरों में बढ़ने लगती है. माता चंद्रघंटा का स्वरूप बहुत ही आकर्षक, मनमोहक और प्रेरित करने वाला है. आज के शुभ दिन दुर्गा सप्तशती, दुर्गा कवच, दुर्गा चालीसा पढ़ना और मां दुर्गा की आरती करना बहुत शुभ माना गया है.

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