रायपुर: छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की रफ्तार बेहद सुस्त है. एक नवंबर से धान खरीदी की शुरुआत हुई थी उसके बाद से लगातार धान की वैसी खरीदी नहीं हुई है जैसे पहले के वर्षों में होती थी. जानकार इसकी वजह से चुनावी वादों और फेस्टिव सीजन को मानते हैं. लेकिन चुनावी वादों का असर और नई सरकार का इंतजार धान खरीदी पर ज्यादा पड़ा है.
किसानों में धान खरीदी को लेकर सुस्त रवैया: दुर्ग के पाटन जिले के सावनी गांव किसान लीलारम चंद्राकरण ने 18 एकड़ में धान की खेती की है. लेकिन अब तक वह धान खरीदी को लेकर कोई हरकत नहीं दिखा रहे हैं. उनका कहना है कि उन्हें धान खरीदी को लेकर कोई जल्दी नहीं है. उन्होंने अपने धान के स्टॉक को रोक रखा है. दुर्ग जिले सहित छत्तीसगढ़ में लीलाराम चंद्राकर जैसे लाखों किसान हैं. जिन्होंने धान के स्टॉक को रोककर रखा है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा धान के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के वादे उन प्रमुख कारकों में से हैं, जिन्होंने चालू खरीफ विपणन सीजन में धान की बिक्री की गति को प्रभावित किया है.
अब तक छत्तीसगढ़ में कितनी हुई धान खरीदी: सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एक नवंबर से 28 नवंबर के बीच 3,17,223 किसानों से करीब 13.21 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया, जो राज्य में पिछले खरीफ सीजन में खरीदी गई मात्रा से कम है.पिछले खरीफ सीजन (2022-23) में 5.42 लाख किसानों ने 1 नवंबर से 29 नवंबर तक 19.3 लाख मीट्रिक टन धान बेचा था.
इस वर्ष कितनी धान खरीदी का लक्ष्य: छत्तीसगढ़ के एक अधिकारी ने बताया कि इस साल चालू खरीफ विपणन सत्र के दौरान 130 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए 2,739 खरीद केंद्र स्थापित किए हैं. 1 नवंबर से शुरू हुआ खरीद अभियान अगले साल 31 जनवरी तक जारी रहेगा. इस बार लगभग 26.87 लाख किसानों ने अपनी उपज बेचने के लिए पंजीकरण कराया है. इस साल एक नवंबर से शुरू हुई धान खरीदी 31 जनवरी 2024 तक जारी रहेगी.
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी क्यों हुई धीमी: छत्तीसगढ़ में धान खरीदी धीमी होने की मुख्य वजह जानकार जो बता रहे हैं उसमें राजनीतिक दलों की तरफ से चुनाव में जो वादे किए गए हैं वो सबसे बड़ी वजह है .
कांग्रेस ने क्या वादा किया है ?: मौजूदा कांग्रेस सरकार केंद्र द्वारा निर्धारित एमएसपी पर धान खरीद कर रही थी. जो इस सीजन के लिए लगभग 2,200 रुपये है, और धान उत्पादकों को प्रति एकड़ 9,000 रुपये की इनपुट सब्सिडी दे रही है. इसने चालू ख़रीफ़ सीज़न के लिए खरीद की सीमा 15 क्विंटल प्रति एकड़ से बढ़ाकर 20 क्विंटल प्रति एकड़ कर दी है. यह निर्णय उसके चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल किया गया है. इसके अलावा चुनाव में कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर वह दोबारा छत्तीसगढ़ में सत्ता में आती है तो किसानों को धान के लिए 3,200 रुपये प्रति क्विंटल मिलेंगे. कांग्रेस ने ऋण माफी का भी वादा किया है. जैसा वादा बीते विधानसभा चुनाव में किया गया था.
बीजेपी ने क्या वादा किया ?: बीजेपी ने भी धान खरीदी को लेकर बड़ा वादा किया है. बीजेपी ने चुनावी घोषणा पत्र में कहा है कि अगर बीजेपी छत्तीसगढ़ में सत्ता में आती है तो वह कृषि उन्नति योजना शुरू करेगी, जिसके तहत किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा. बीजेपी ने यह भी वादा किया है कि धान खरीद का भुगतान एक बार में किया जाएगा. यह मौजूदा प्रथा से अलग है जिसके तहत केंद्र द्वारा तय एमएसपी के अनुसार गणना किए गए भुगतान को एक किश्त में मंजूरी दे दी जाती है और इससे अधिक कुछ भी किस्तों के माध्यम से इनपुट सब्सिडी के रूप में भुगतान किया जाता है.
"धान खरीद की धीमी गति की ऐसी ही स्थिति 2018 के चुनावों के दौरान देखी गई थी. जब कांग्रेस ने प्रति क्विंटल धान पर 2,500 रुपये एमएसपी और ऋण माफी का वादा किया था.इस बार भी किसान चुनाव नतीजों का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि, राजनीतिक दलों ने अपने घोषणापत्रों में यह उल्लेख नहीं किया है कि धान खरीद के बदले अधिक कीमत किस खरीफ सीजन से दी जाएगी": आरएस कृष्ण दास, राजनीतिक विश्लेषक
दोनों पार्टियों के एलान में क्या है पेच: बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से किए ऐलान में एक बड़ा पेच है. दोनों पक्षों ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि धान की ऊंची कीमत किस फसल सीजन से लागू होगी.
"मेरे क्षेत्र के अधिकांश किसानों ने अपनी धान की उपज नहीं बेची है. क्योंकि वे नई सरकार के गठन का इंतजार कर रहे हैं. गांव में स्थित सहकारी समिति (खरीद केंद्र) में अब तक एक प्रतिशत किसानों ने ही धान बेचा है. इस बार फसल कटाई में देरी का एक कारण अधिक नमी की मात्रा भी है. उपार्जन केंद्रों में 17 प्रतिशत तक नमी वाला धान स्वीकार्य है": लीलारम चंद्राकरण, किसान, पाटन
अन्य किसानों का क्या है कहना: इसी तरह रौता गांव के किसान भीखम पटेल ने कहा है कि" चुनावी वादों के अलावा, नवंबर में दिवाली जैसे त्योहारों ने भी धान की कटाई को प्रभावित किया क्योंकि किसान उत्सवों में व्यस्त थे. मैंने 26 एकड़ में धान की खेती की है. अब तक मैंने केवल 7.5 एकड़ भूमि पर उगाई गई अपनी उपज बेची है. किसान यह सोचकर भी असमंजस में हैं कि अगर भाजपा जीतेगी तो खरीद केंद्र 21 क्विंटल प्रति एकड़ स्वीकार करेंगे. अगर वे चुनाव नतीजों से पहले अपना धान 20 क्विंटल प्रति एकड़ की मौजूदा सीमा पर बेचते हैं, तो उन्हें घाटा होगा"
तो इस तरह आप समझ गए होंगे कि किसानों में धान खरीदी को लेकर अभी उदासीनता क्यों है. अब छत्तीसगढ़ के सभी किसानों को नई सरकार का इंतजार है. ऐसे में अब साफ है कि तीन दिसंबर के बाद ही छत्तीसगढ़ में धान खरीदी में तेजी आएगी.
सोर्स: पीटीआई