रायपुर: CG Assembly Election 2023 मिशन 2023 से पहले कांग्रेस की आंतरिक रिपोर्ट ने सीएम बघेल की मुश्किलें बढ़ा दी है. कांग्रेस के कई विधायकों का रिपोर्ट कार्ड चिंताजनक है. फिलहाल कांग्रेस के पास 70 विधायक हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि इनमें से लगभग 30 से 35 विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं. यानी कि आधे से ज्यादा विधायकों के टिकट काटने पर पार्टी विचार कर सकती है. यह वह विधायक होंगे जो विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के कारण जीते थे. लेकिन क्षेत्र में जनता का समर्थन नहीं था.Congress MLAs won with less margin not get ticket
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कम अंतर से जीते विधायकों का कट सकता है टिकट: सूत्रों की माने तो जिन विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार चंद वोटों से जीते हैं. उन्हें बदला जा सकता है ऐसे कई विधानसभा क्षेत्र है जहां कांग्रेस के उम्मीदवार महज 8 से 10 हजार वोटों से जीते हैं. इतने कम अंतर से जीतने वाले विधायकों की टिकट पर खतरा मंडरा रहा है. जानकार बताते है कि जितने भी कम वोटों से जीतने वाले कांग्रेस उम्मीदवार हैं. उन्हें जनता का समर्थन तो नहीं था लेकिन 15 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा के खिलाफ बने सत्ता विरोधी लहर के कारण इन्होंने जीत हासिल की. यह जानकारी भी आ रही है कि सिटिंग विधायक को लेकर कांग्रेस के द्वारा एक सर्वे रिपोर्ट भी तैयार कराई जा रही है. जिसमें विधायक के रिपोर्ट कार्ड तो तैयार किए ही जा रहे हैं. साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि ऐसे कौन से सिटिंग विधायक है जो सत्ता विरोधी लहर में जीत गए हैं. लेकिन उन्हें जनसमर्थन प्राप्त नहीं है. भले ही जीत के वोटों का अंतर ज्यादा रहा हो
विधानसभा क्रमांक | विधानसभा | विधायक का नाम | जीत का अंतर |
01 | मनेंद्रगढ़ | विनय जायसवाल | 4011 |
03 | बैकुंठपुर | अंबिका सिंह देव | 5339 |
12 | जशपुर | विनय कुमार भगत | 8026 |
13 | कुसमी | यू डी मिंज | 4293 |
23 | पाली-तानाखर | मोहित राम | 9656 |
36 | चंद्रपुर | रामकुमार यादव | 4418 |
43 | बिलाईगढ़ | चंद्र देव प्रसाद राय | 9847 |
65 | भिलाई नगर | देवेंद्र यादव | 2849 |
83 | कोंडागांव | मोहन मरकाम | 1796 |
84 | नारायणपुर | चंदन कश्यप | 2647 |
90 | कोंटा | कवासी लखमा | 6709 |
करीब 30 से 35 विधायकों के कट सकते हैं टिकट-सूत्र: जानकारी के मुताबिक आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वर्तमान 70 विधायकों में से लगभग 30 से 35 विधायकों की टिकट काटी जा सकती है. इस बार पार्टी के लिए निर्णय लेना भी काफी कठिन होगा. क्योंकि यदि बिना जनसमर्थन वाले विधायकों को टिकट दे दिया गया तो उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में पार्टी के सामने एक बड़ी चुनौती होगी कि सत्ता विरोधी लहर में जीतने वाले किस विधायक को टिकट दिया जाए और किसे टिकट नहीं दिया जाए. इस बीच पार्टी यह भी सर्वे करवा रही है कि जीतने के बाद कौन सा विधायक अपने क्षेत्र में सक्रिय रहा, किसने काम किया और कौन घर बैठा रहा. इन तमाम पहलुओं की पड़ताल के बाद ही आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी वर्तमान विधायकों को टिकट देगी.
कांग्रेस नेताओं ने साधी चुप्पी: हालांकि इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस पदाधिकारियों से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि टिकट देने का काम पार्टी और हाईकमान करते हैं. इस पर वही निर्णय लेंगे. लेकिन उन्होंने यह जरूर दावा किया है कि इस बार पार्टी की ओर से छत्तीसगढ़ में 'अबकी बार 75 पार' का टारगेट रखा गया है इसे लेकर पार्टी काम कर रही है
"एंटी इनकंबेंसी की वजह से हारी थी बीजेपी": राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी ने कहा कि "पिछली बार भाजपा के हार के कई कारण थे , anti-incumbency भी इसमें प्रमुख वजह रही. जिस कारण से भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को इसका फायदा मिलेगा ऐसा नहीं लगता है. यही वजह है कि कांग्रेस आंतरिक सर्वे करा रही है और ऐसे विधायकों की सूची तैयार कर रही है जो anti-incumbency के कारण जीते हैं. इसमें वे विधायक तो शामिल हैं जिनके जीत का अंतर लगभग 10 हजार मतों के आसपास था बल्कि उन विधायकों को भी शामिल किया गया है जो भारी मतों से जीत गए हैं. लेकिन उन्हें जनता का समर्थन प्राप्त नहीं है. यही वजह है कि आगामी विधानसभा चुनाव में हो सकता है कि पार्टी वर्तमान के लगभग 30 से 35 विधायकों को टिकट न दें. हालांकि उस समय चुनावी परिस्थिति क्या होती है वह भी टिकट वितरण में महत्वपूर्ण होगा"
बता दें कि 2018 विधानसभा चुनाव के लिए 2 चरणों में मतदान किया गया था. जिसके नतीजे कांग्रेस के पक्ष में गए. कांग्रेस ने 90 में से 68 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं 15 साल सत्ता पर काबिज रही भाजपा को महज 15 सीटें मिली. जेसीसीजे के खाते में 5 और बहुजन समाज पार्टी के खाते में 2 सीटें आई थी. छत्तीसगढ़ में वोट शेयर के आधार पर कांग्रेस को 43 फ़ीसदी मत मिले. जबकि बीजेपी के पक्ष में 33 फ़ीसदी वोट आए थे. वर्तमान में हुए उपचुनाव के बाद छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीट में से 70 सीट पर कांग्रेस काबिज है. वही 14 सीटें भाजपा की झोली में है. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे )3 और बहुजन समाजवादी पार्टी 2 सीटों पर काबिज है. एक सीट वर्तमान में रिक्त है. इस तरह कुल 90 सीटों में से सबसे ज्यादा सीटें कांग्रेस के पास है. यही वजह है कि इस बार कांग्रेस ने 70 में 5 और सीटों को जोड़ते हुए 75 पार का नारा दिया है