रायपुर: महिला आरक्षण बिल चर्चा में है. साल 2008 में भी संविधान में संशोधन बिल लाया गया था. वह 2010 में राज्यसभा में पास हुआ था. यह बिल भी उसी के समान है, जिसके तहत एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होगी. छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व आयुक्त और रिटायर्ड आईएएस डॉ सुशील त्रिवेदी का कहना है कि इसके लिए पहले जनगणना होना जरूरी है. जनगणना में करीब 1 साल का समय लगेगा, उसके बाद बिल इंप्रेशन होगा. अभी तो 2011 और 2021 की ही जनगणना नहीं हुई है.
महिला आरक्षण बिल भी बाद में समाप्त करना नहीं होगा संभव ! आरक्षण बिल 10 साल के लिए लाया गया था, लेकिन वह आज भी लागू है. अब महिला आरक्षण बिल 15 साल के लिए लाया जा रहा है. सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होगी. ऐसे में पांच पांच साल के तीन टर्म के बाद एक सर्कल पूरा हो जाएगा. उसके बाद इसे कंटिन्यू करना है या नहीं, इसका निर्णय संसद लेगी.
''जब संविधान बना था तो आरक्षण 10 साल के लिए लागू किया गया था. बाद में पुनर्विचार की बात कही गई थी, लेकिन वह समाप्त नहीं हुआ. एक बार आरक्षण लागू हो जाता है तो उसे समाप्त करना संभव नहीं होता है.''-सुशील त्रिवेदी, पूर्व आयुक्त, राज्य निर्वाचन आयोग
बिल में एसटी एससी के लिए होगा आरक्षण, ओबीसी को नहीं मिलेगा लाभ: अभी इस महिला आरक्षण बिल में एसटी एससी के लिए आरक्षण रहेगा. ओबीसी की डिमांड की जा रही है लेकिन अभी ओबीसी का प्रावधान इसमें नहीं किया गया है. छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो 90 में से 29 सीटें आदिवासियों के लिए और 10 सीटे एससी के लिए रिजर्व हैं. उसमें एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है. ओबीसी के लिए रिजर्वेशन का प्रावधान नहीं किया गया है, क्योंकि अभी लोकसभा, विधानसभा में ओबीसी का रिजर्वेशन नहीं है.
महिला आरक्षण बिल का श्रेय लेने राजनीतिक दलों में लगेगी होड़: महिला आरक्षण बिल पर श्रेय लेने की राजनीति भी हो रही है. सुशील त्रिवेदी के मुताबिक कांग्रेस, बीजेपी और जनता दल सभी बिल लाने का दावा करेंगे, लेकिन जनता और वोटर बहुत समझदार हैं. उसी हिसाब से वह अपना निर्णय लेते हैं. उन्हें मालूम है कि यह अभी लागू नहीं होना है. कांग्रेस कहेगी हम इस बिल को लेकर आए थे और विपक्ष ने इसे पास नहीं होने दिया. हमने राज्य सभा में बिल पास कराया था, लेकिन लोकसभा में बिल को पास नहीं होने दिया.
छत्तीसगढ़ विधानसभा में 17 प्रतिशत महिला विधायक: हिंदुस्तान में जितनी 28 विधानसभा है, वहां लगभग 10 प्रतिशत महिलाएं हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्वाधिक 17% महिलाएं हैं. यह छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है.