रायपुर: कोरोना वायरस के कारण तो ऐसे तमाम इंडस्ट्री में इसका असर देखने को मिला है. पिछले 6 महीने से कोरोना इफेक्ट के कारण पहले ही इंडस्ट्रीज और कारोबार ना के बराबर रहा हैं. वहीं छत्तीसगढ़ में दूसरे राज्यों के मुकाबले इसका असर कम देखने को मिला है. अब रियल एस्टेट मार्केट फिर से पटरी पर लौटना शुरू हो चुका है, लेकिन रियल एस्टेट मार्केट में रॉ मटेरियल के दामों का असर साफ तौर पर देखा जा रहा है. रियल एस्टेट सेक्टर की रीढ़ माने जाने वाले सीमेंट उद्योग में पिछले 6 महीने में कीमतों में इजाफे से अब आम उपभोक्ताओं पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है.
कोरोना और लॉकडाउन ने वैसे तो जीवन के हर सेक्टर पर असर डाला है, लेकिन कई सेक्टर में इसका इफेक्ट काफी बड़ा देखने को मिल रहा है. मंदी के हालात ने रियल एस्टेट सेक्टर को वैसे ही तबाह कर रखा है. ऊपर से रॉ मैटेरियल्स के दामों ने अब इस सेक्टर में काम कर रहे लोगों को भी हैरान कर रखा है. रॉ मटेरियल की बात की जाए तो सीमेंट के भाव ही कोरोना के दौर में 50 से 60 रुपये तक महंगे हो गए हैं. इसका असर रियल एस्टेट सेक्टर में साफ देखने को मिल रहा है. इसे लेकर ETV भारत में सीमेंट उद्योग के जुड़े लोगों से भी पड़ताल की है. उनका भी मानना है कि रॉ मटेरियल महंगे होने का असर मकान बनाने और अन्य निर्माण कार्यों में भी देखने को मिल रहा है.
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सीमेंट कारोबारियों ने भी जताई चिंता
सीमेंट के दाम जिस तरह से होलसेल मार्केट में ही लगातार बढ़ रहे हैं. इससे रिटेलर मार्केट में भी इसका असर सीधे तौर पर पड़ेगा. पिछले लॉकडाउन के बाद से लगातार इंडस्ट्री चालू होने और निर्माण कार्यों में भी धीरे से रफ्तार पढ़ने का दौर शुरू हो चुका है. छत्तीसगढ़ में दूसरे राज्यों के मुकाबले लॉकडाउन का असर कम ही हुआ है. बावजूद इसके सीमेंट के दामों में जिस तरह से 6 महीने में ही होलसेल मार्केट में 40 से 50 रुपये तक के दाम बढ़ गए हैं. ऐसे में रिटेलर मार्केट पर भी इसका असर बहुत बड़ा पड़ रहा है. होलसेल मार्केट में ही 250 रुपये तक का रेट है. ऐसे में रिटेलर मार्केट में 270 से 280 रुपए बोरी सीमेंट बिकने लगा है. छोटे-बड़े हर निर्माण कार्यों में सीमेंट का उपयोग जरूरी तौर पर होता है.
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रियल एस्टेट कारोबारियों पर चिंता की लकीरें
कारोबारी एसके अग्रवाल कहते हैं कि सीमेंट के दामों को कंट्रोल करने के लिए जरूरी पहल उठाने की जरूरत है. लॉकडाउन के बाद निर्माण कार्यो ने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़नी शुरू की है. ऐसे में सीमेंट के दाम बढ़ने से लोगों में इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा. रियल एस्टेट का कारोबार वैसे भी पिछले कई सालों से मंदी के दौर से गुजर रहा है. छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में कोरोना और लॉकडाउन के इफेक्ट के बाद अब बड़ी मुश्किल से रियल एस्टेट का मार्केट ग्रोथ पकड़ने लगा है. अब रॉ मटेरियल के बढ़ते दामों ने रियल एस्टेट कारोबारियों पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी है.
बिल्डिंग मटेरियल और सीमेंट के दामों में इजाफा
RCP ग्रुप के मैनेजिंग डॉयरेक्टर राकेश पांडेय कहते हैं कि रियल एस्टेट कारोबार में जिस तरह से इस कोविड-19 सर देखने को मिला है. उसके बाद बड़ी मुश्किल से मार्केट धीरे-धीरे ट्रैक पर आ ही रहा है, लेकिन जिस तरह से बिल्डिंग मटेरियल और खासकर सीमेंट के दामों में इजाफा हो रहा है. इससे इस बाजार पर बुरा असर पड़ेगा. साथ ही उन्होंने यह भी आगाह किया है कि वर्तमान में रियल एस्टेट कारोबारी अपने प्रोजेक्ट को नो प्रॉफिट- नो लॉस के साथ भी बेचने का काम कर रहे हैं. अब सीमेंट के बढ़ते दामों ने आने वाले समय में रियल एस्टेट के लिए भी कई चुनौतियां खड़ी कर दी है. आम उपभोक्ताओं को आने वाले समय में अपने सपनों का आशियाना बनाने के लिए महंगे दाम भी देने पड़ सकते हैं.
उद्योगों के लिए बिजली पर विशेष सब्सिडी से मिल सकती है राहत
छत्तीसगढ़ में वैसे तो सब सर प्लस बिजली वाला स्टेट के रूप में जाना जाता है. बावजूद इसके छत्तीसगढ़ में उद्योगों को सालों से महंगी बिजली मिलती आ रही है. छत्तीसगढ़ विद्युत उपभोक्ता महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष श्याम काबरा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सरप्लस बिजली का उत्पादन होने के बावजूद भी उद्योगों को सस्ती बिजली नहीं मिल पाती है. सीमेंट उद्योग के लिए प्लांट को बिजली 7 रुपये से लेकर साढ़े 7 रुपये तक प्रति यूनिट की दर चुकानी होती है. जबकि छत्तीसगढ़ से ही दूसरे राज्यों को बिजली काफी कम दामों पर दी जाती है. हमारे यहां एवरेज 20 प्रतिशत तक बिजली सरप्लस उपलब्ध होती है. अगर यह बिजली सीमेंट उद्योगों और अन्य उद्योगों को कम दरों पर उपलब्ध करा दी जाएगी, तो प्रोडक्शन कास्ट में काफी कमी आ सकती है.
लॉकडाउन के बाद से सीमेंट के दामों इजाफा
सीमेंट के दाम की बात की जाए तो जिस तरह से अभी कोविड-19 और लॉकडाउन के बाद सीमेंट के दामों में इजाफा हो रहा है. इससे आने वाले समय में और दिक्कतें बढ़ सकती है. बिजली के बढ़े दरों के कारण प्रदेश में कैंपटिव प्लांट पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है.
बीते साल सरकार को करना पड़ा था हस्तक्षेप
बीते साल इसी तरह से सीमेंट के दाम में मनमाने रेट बढ़ने से आम उपभोक्ताओं को भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. इसे लेकर छत्तीसगढ़ में राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई थी. इसके बाद राज्य सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा था. छत्तीसगढ़ को सीमेंट उत्पादक राज्य के रूप में जाना जाता है. छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर सीमेंट के प्लांट भी है. ऐसे में छत्तीसगढ़ में ही सीमेंट के दाम बढ़ने से प्रदेश में राजनीतिक हलचल भी तेज होना वाजिब है. यही वजह रही कि सरकारी दबाव के बाद सीमेंट उत्पादकों ने 30 से 40 रुपये तक दाम कम किए थे.
छत्तीसगढ़ में सीमेंट के दाम और सियासत
छत्तीसगढ़ को सीमेंट उत्पादकों के देश के प्रमुख राज्यों में से माना जाता है. छत्तीसगढ़ में सीमेंट के दाम हमेशा से सियासी मुद्दा बनते रहे हैं.
- 2003 में यहां सीमेंट की कीमत 100 रुपये से कम थी.
- 2004 में दाम सीधे 120 रुपये प्रति बोरी हो गए.
- 2005 के शुरुआत में बढ़कर 155
- 2006 में दाम सीधे 200 के पार पहुंच गए थे.
छत्तीसगढ़ में जब-जब सीमेंट के दाम बढ़े तब तब इसका विरोध हुआ, लेकिन 2008 में दाम सीधे 250 से 300 तक पहुंच गया था. विपक्ष और जनता ने इस वृद्धि का खूब विरोध किया था. सरकार पर सीमेंट कंपनियों से साठगांठ के आरोप भी लगते रहे, लेकिन दाम कम नहीं हुए. इसके बाद मांग की कमी और आर्थिक मंदी के कारण दाम गिरकर कम हुए. बाद में फिर दाम पर सरकार की हस्तक्षेप और ज्यादा बढ़ी है.
300 रुपये तक बढ़ सकते हैं सीमेंट के दाम
कारोबारी सूत्रों के अनुसार सीमेंट कंपनियों का इरादा 300 रुपये प्रति बैग तक ले जाने का है. लॉकडाउन के बावजूद सीमेंट की डिमांड बनी रही. मार्केट का सपोर्ट मिलता रहा तो एक बार फिर से दाम बढ़ाए जाएंगे. जिस तरह से छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में बड़े दामों के बाद भी निर्माण कार्यों में लगातार इजाफा दिख रहा है. ऐसे में सीमेंट कारोबारियों में आने वाले समय में भी सीमेंट के दाम बढ़ने को लेकर शंका जताई जा रही है.