रायपुर: 2012 में निर्भया गैंगरेप के बाद देशभर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई आवाजें उठी. महिलासुरक्षा के लिए नियमों के बनाए जाने की बातें कहीं गई और उस वक्त हर कोई इस ज्यादती के विरोध में खड़ा दिखाई दिया था. निर्भया कांड को करीब साढ़े आठ साल बीत चुके हैं, लेकिन अब भी देश में हालात ज्यों की त्यों बने हुए हैं. हाल में गोवा में समुद्र तट पर 2 नाबालिग लड़कियों से सामूहिक बलात्कार की घटना हुई, दिल्ली के कैंट इलाके में एक 9 साल की बच्ची को रेप के बाद मौत के घाट उतार दिया. यह घटनाएं चीख-चीख कर समाज में महिलाओं के प्रति मानसिकता और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में भी बढ़ रहे मामले
पिछले कई वर्षों से देशभर के अलावा महिला अपराध के मामले छत्तीसगढ़ में भी बढ़े हैं. प्रदेश का लॉ एंड ऑर्डर महिलाओं को सुरक्षा देने के तमाम दावे कर रहा है, लेकिन यद दावे महिलाओं के साथ रोजाना होने वाली छेड़छाड़-रेप-घरेलू हिंसा जैसे मामलों को कम नहीं कर पाए हैं.
रायपुर में कितनी सुरक्षित महिलाएं?
छत्तीसगढ़ की महिलाएं राजधानी रायपुर में सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं. यह इसलिए क्योंकि यहां महिला अपराधों के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. हाल में रायपुर के उरला क्षेत्र में एक मामला सामने आया था. यहां मुंबई से रायपुर अपने दोस्त से मिलने आई एक युवती का कुछ लोगों ने अपहरण कर लिया. फिर गाड़ी से सुबह उरला क्षेत्र में उसे फेंक दिया. पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है और वह मामले में 3 लोगों को गिरफ्तार भी तक चुकी है.
रायपुर में महिलाएं कितनी सुरक्षित है. इस बात की पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने रात के वक्त शहर के अलग-अलग इलाकों का जायजा लिया है. रायपुर शहर में रात 9 बजे महिलाएं खुद को कितना सुरक्षित महसूस करती हैं. इसे लेकर हमने महिलाओं से बात की है.
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रात 9 बजे बाद राजधानी का हाल
ईटीवी भारत की टीम रायपुर के उन इलाकों में गई जहां रात 9 बजे के बाद सड़कें सुनसान हो जाती हैं. यहां सड़कों पर स्ट्रीट लाइट तो लगी रहती हैं, लेकिन स्ट्रीट लाइट रात में नहीं जलती. जिस वजह से महिलाएं रात को उन रास्तों से जाने में असुरक्षित महसूस करती हैं. इसे लेकर महिलाओं का कहना है कि रायपुर शहर के अंदर रात 10 बजे तक घूमने में उन्हें डर नहीं लगता, लेकिन कुछ ऐसे इलाके हैं जहां वह जाने से डरती हैं. वह इसलिए क्योंकि वहां रात होते ही अंधेरा छा जाता है, सड़कें सुनसान हो जाती हैंं.
पहले की अपेक्षा अब राजधानी सुरक्षित
रात के वक्त लड़कियां रायपुर में कितनी सुरक्षित हैं, इसे लेकर कल्पिता कहती है कि पहले की अपेक्षा अब राजधानी सुरक्षित है. बहुत सारी चीजें बदली हैं, लेकिन आज भी रात 8- 9 बजे के घर के बाहर रहो तो घर वाले चिंता करने लगते हैं. बहुत सारे जगहों पर स्ट्रीट लाइट की समस्याएं हैं और बहुत से जगहों पर रास्ते भी अच्छे नहीं हैं. सेफ्टी पूरी तरह अब भी नहीं है.
राजधानी की पल्लवी कहती हैं कि उनके साथ रायपुर में घटना हुई है. कुछ अनजान लोगों ने उसका पीछा किया था. उसके बाद से उनके अंदर डर बैठ गया है और आसपास उन्होंने मदद के लिए देखा, लेकिन वहां कोई मौजूद नहीं था. रात 10 बजे के बाद घर वाले भी फिक्र करते हैं और महिला सुरक्षा को लेकर काम करने की आवश्यकता है.
महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकारों द्वारा तमाम नियम बनाए जाने के बाद भी उनका असुरक्षित महसूस होना चिंता का विषय है. आज भी लड़कियों के साथ कई प्रकार की घटनाएं राजधानी में सामने आ रही है. आलम यह है कि अब बच्चियों के साथ भी छेड़छाड़ की शिकायतें आने लग गई हैं, जो लॉ एंड ऑर्डर के फेलियर की ओर इशारा कर रहा है.