रायपुर: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए देश में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. इसके साथ ही फ्लाइट, ट्रेन और बस सेवा पर भी रोक लगा दी गई थी. लॉकडाउन के 2 महीने बाद ट्रेन सेवा 12 मई से शुरू हुई. जिसके बाद 25 मई से देशभर में फ्लाइट सेवा भी शुरू कर दी गई. धीरे-धीरे सभी सेक्टर पटरी पर आने लगे हैं. लेकिन बस संचालकों की हालत अभी भी खस्ता है. मार्च से अगस्त तक पूरे छत्तीसगढ़ में बसों के पहिए थमे हुए थे. जिसके बाद सितंबर में केवल 5 परसेंट बसों का संचालन प छत्तीसगढ़ में शुरू हुआ. अभी भी सभी रूटों पर लगभग 20 से 25 फीसदी बसों का संचालन किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में कुल 3000 बसें चलती हैं. अभी सिर्फ 700 से 800 बस से ही सभी रूट पर चल रही है.
बस ड्राइवर ने बताया कि लगभग सितंबर से पूरे प्रदेश में बसों का संचालन शुरू किया गया है. बावजूद इसके अभी भी बस ड्राइवरों और बस संचालकों की हालत सुधर नहीं सकी है. 50 सीटर बसो में केवल 12 से 15 यात्री ही बैठ रहे हैं. जिससे डीजल का किराया भी नहीं निकल पा रहा है. 1 दिन के डीजल का रेट 800 से 1 हजार रुपये होता है. लेकिन 400 से 500 रुपये की ही कमाई हो पा रही है. ऐसे में बसों का संचालन काफी महंगा पड़ रहा है.
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त्योहारी सीजन में यात्री मिलने की संभावना
निजी बस ट्रैवल्स के मालिक अनवर अली ने बताया कि कोरोना संक्रमण के शुरुआती छह महीनों में बस अड्डों पर खड़ी की खड़ी रह गई. इसके बाद जब 8 सूत्रीय मांगों को लेकर हम परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर से मिलने गए तो. कुछ शर्तों पर छूट दी गई. जिसके बाद हमने प्रदेश में 5% बस का संचालन किया. अभी 20 से 25 फीसदी बसें प्रदेश में चलाई जा रही हैं. लॉन्ग रूट की बसों में फिर भी थोड़ी बहुत कमाई हो जा रही है. लेकिन लोकल चलने वाली में कमाई ना के बराबर है. जो छोटे ट्रेवल्स मालिक हैं वह तो अपनी बस खड़ी कर चुके हैं. यात्री ना मिलने से हम काफी परेशान हैं. अगर किराये बढ़ोतरी की जाती है तो नुकसान से बच सकते है. त्योहारी सीजन शुरू हो चुका है. यात्री मिलने की संभावना लग रही हैं. इस वजह से हम भी बस चला रहे हैं.