रायपुर: आखिरकार इस बजट में क्या खास हो सकता है. इसे लेकर ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता प्रवीण कुमार सिंह ने अर्थशास्त्री रिटायर्ड प्रोफेसर हनुमंत यादव से खास बातचीत की. सुनिए उन्होंने बजट को लेकर क्या कहा.
सवाल : इस बार का केंद्रीय बजट कैसा होगा?
जवाब : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह पांचवा बजट होगा. या यूं कहिए कि वर्तमान सरकार का यह अंतिम बजट होगा. यही वजह है कि यह बजट पूरी तरह से मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए पेश किया जाएगा. इस बजट के जरिए मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया जाएगा. इस प्रकार से यह बजट काफी लोकलुभावन लोक हितकारी और जन हितकारी बजट होगा. इस बजट से आम सहित निम्न मध्यमवर्गीय लोगों को भी काफी फायदा होने की उम्मीद है.
सवाल : क्या छोटी बचत को लेकर बजट में कोई प्रावधान किया जा सकता है?
जवाब : केंद्र सरकार के पास केवल आयकर होता है. विक्रीकर सहित अन्य कर राज्य सरकारों के पास होते हैं. इसलिए जो छूट मिलेगी वह आयकर में ही मिल सकती है. आयकर की धारा 80 सी के तहत छोटी बचत योजनाओं में निवेश करने पर वर्तमान में डेढ़ लाख तक की छूट दी जा रही है. उम्मीद की जा रही है कि बजट में इसकी सीमा बढ़ाकर 3 से 5 लाख तक की जा सकती है. जिससे लोगों को पता चल सके कि आयकर की सीमा में बहुत बड़ी छूट दी गई है.
सवाल: इसके अलावा लोगों को और क्या राहत दी जा सकती है खासकर स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में ?
जवाब : इस बजट में स्वास्थ्य बीमा मैं छूट मिलने की संभावना है. वर्तमान में एक परिवार स्वास्थ्य बीमा करवाता है तो उसको लगभग 25000 तक की छूट है. यदि वृद्ध माता-पिता का अलग से बीमा होता है तो उस पर 50000 तक की छूट है इन दोनों की छूट की सीमा बढ़ाने की उम्मीद है. लोग भले ही छूट की सीमा की उम्मीद तो ढाई लाख करे लेकिन संभावना जताई जा रही है कि 2 गुना से अधिक हो सकती है.
सवाल : बजट में होम लोन को लेकर भी कुछ घोषणा की जा सकती है क्या ?
जवाब : होम लोन में सेक्शन 24 (6) के तहत मकान बनाने और मकान खरीदने के लिए जो कर्ज लिया जाता है उसमें छूट मिलती है. छूट की सीमा 2 लाख तक की है. लोगों का अपेक्षा है कि यह छूट 5 लाख तक की जाए. यह बजट आने के बाद ही पता चलेगा यह छूट कितनी की जाती है. इसके अलावा लघु बचत, बचत खाता जैसे अन्य खातों में 10000 तक की छूट है. लोगों को बजट में उम्मीद है कि इसकी सीमा बढ़ाकर 50000 की जाय, संभावना जताई जा रही है कि बजट में यह सीमा 50000 की जा सकती है.
सवाल : क्या केंद्र सरकार टैक्स बढ़ा सकती है
जवाब : यदि पिछले 5 साल के केंद्रीय बजट को देखा जाए तो सरकार ने कभी भी टैक्स नहीं बढ़ाया है ऐसे में सरकार का खर्च कैसे चलेगा. पिछले साल भी सरकार के द्वारा छूट दी गई. इस बार चुनावी साल है तो हो सकता है कि बड़ी-बड़ी छूट दी जाए. ऐसे इसे चुनावी बजट बोला जा सकता है. केंद्र सरकार विदेशों से कर्ज लेकर अपनी जरूरतों को पूरा करती है. इससे जनता को पता नहीं चलता है और काम भी हो जाता है. यदि देश में कर्ज लिया जाता है तो वह तत्काल लोगों को पता चल जाता. ऐसे में जो विदेशी कर्ज है वह लगातार बढ़ता जा रहा है. इतनी छूट दी गई है जन अपेक्षाओं को सरकार पूरा कर रही है कोई अतिरिक्त कर लगाया नहीं जा रहा है. आमदनी बढ़ नहीं रही है, ऐसे में खर्च कैसे चलेगा उसके लिए कर्ज लेना पड़ेगा.
सवाल : आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया के हिसाब से केंद्र सरकार चल रही है क्या ?
जवाब : केंद्र सरकार ही नहीं राज्य सरकारे भी इसी तरीके से चल रही है. राज्य सरकार वित्त मंत्री के भरोसे चल रहा है केंद्र सरकार केंद्रीय वित्त मंत्री के भरोसे चल रहे हैं. छूट पर छूट दी जा रही लेकिन किसी चीज की दर नहीं बढ़ाई गई है. जिससे इसका बोझ जनता पर पड़े. जो विदेशी कर लिया जाता है. वह जनता पर महसूस नहीं होता है. ऐसे में विदेशी कर्ज बढ़ेगा. लेकिन देश में कहीं पता नहीं चलेगा कि कितना कर्ज का बोझ लोगों पर पड़ रहा है. यदि लोगों को पता चलता तो हल्ला होता और पता ही नहीं चलता है. इसलिए हल्ला भी नहीं होता है. इसलिए कहा जा सकता है कि इस बार का बजट लोकलुभावन लाभकारी जनहितकारी बजट होगा.
सवाल : राज्य सरकारों को राज्यांश का हिस्सा नहीं मिल रहा है, इस पर भी बजट में कोई व्यवस्था किया जा सकता है क्या?
जवाब : वर्तमान की बात किया तो केंद्र सरकार के द्वारा फंड बनाए गए हैं. बाढ़, सूखा राहत दुर्घटना राहत के लिए अलग अलग मद होते है. किसी राज्य सरकार की मदद भी करनी है तो केंद्र सरकार इन मदो के जरिए मदद करती है. उसके लिए अलग फंड है। हर साल आने वाले बजट में इसमें 5 से 10% की बढ़ोतरी की जाती है. लेकिन केंद्र सरकार ऐसा नहीं करेगी कि भाजपा शासित राज्यों को ज्यादा दें या जहां दूसरे की सरकार है वहां कम करें. केंद्र सरकार का बजट आलोचना लायक नहीं होता है. क्योंकि वह पूरे देश को देखते हुए बनाया जाता है.
सवाल : जिन राज्यों में चुनाव है, क्या केंद्रीय बजट में उसे ज्यादा महत्व दिया जा सकता है ?
जवाब : यहां चुनाव वाले राज्यों को ध्यान में रखकर बजट नहीं बनाया जा सकता. किसी भी राज्य को यदि मदद करनी है तो उसके लिए अलग-अलग मद निर्धारित है उन मदों में से ही उन राज्यों को मदद की जा सकती है. अतिरिक्त मदद की संभावना कम है. किसी राज्य को बहुत ही जरूरी है मदद करना उदाहरण के तौर पर भी मान लो कोई राज्य गरीब है. तो उसके लिए जो गरीब से संबंधित राहत कोष होगा उससे मदद उपलब्ध कराई जाएगी. लेकिन केंद्र सरकार अलग से किसी राज्य को विशेष बजट नहीं दे सकती. बजट के दौरान निर्धारित किए गए सैंक्शन में जो भी छत्तीसगढ़ का हक बनता है वह बजट के दौरान दिया जाएगा.
सवाल : रेल बजट को लेकर क्या उम्मीद है?
जवाब : रेल लाइन बिछाना नया रेलवे स्टेशन बनाना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है लेकिन ट्रेन चलाना पहले भी जो ट्रेन चलाने की प्रक्रिया थी उसका खर्च अलग होता है. कौन सी ट्रेन कहां से कहां तक चलाई जाएगी. नई ट्रेन चलाई जाएगी. यह रेल मंत्रालय निर्णय लेता है. उसके बाद उसको बजट में ऐलान किया जाता है. जो रेल मंत्रालय के बजट में आएगा. आज की स्थिति में जहां सिंगल लाइन थी वहां डबल लाइन की जा रही है. जहां बिजली की व्यवस्था नहीं है. उस लाइन का भी विद्युतीकरण किया जा रहा है। यह सब रेल बजट में आ जाएगा, यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है.
सवाल : क्या चुनावी साल में रेल भाड़ा किराए में कमी की जा सकती है ?
जवाब : चुनावी साल होने के बावजूद केंद्रीय बजट में इस तरह की कोई घोषणा नहीं होती है. हम यात्रा रेल भाड़ा काम कर रहे हैं. हालाकि सीनियर सिटीजन और महिलाओं को जो विशेष रियायत दी जाती थी. उन्हें पुनः शुरू किया जा सकता है.
सवाल: आखिरकार यह बजट कैसा होगा?
जवाब : चुनावी वर्ष का बजट होने के कारण यह बजट काफी लोकलुभावन लोक हितकारी होगा. यह दिखना भी चाहिए सिर्फ लोकलुभावन देखने से काम नहीं होगा. उसका लाभ भी लोगों मिलना चाहिए. इसलिए बजट लोक हितकारी के साथ-साथ लोकलुभावन भी होगा और जब चुनावी साल का बजट हो तो वह और भी बेहतर हो सकता है.