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ब्रिटिश कालीन सुन्नी हनफी जामा मस्जिद क्यों है नमाजियों के लिए खास

रायपुर के बैरन बाजार में 1850 के आसपास मिलिट्री के जवानों के लिए पलटन मस्जिद का निर्माण कराया गया था. बताया जाता है कि उस समय लाई बाइरन मिलिट्री के चीफ थे. उस जमाने में सेना की टुकड़ी पुलिस ग्राउंड, पेंशन बाड़ा में लंबे समय तक रुका करती थी और मिलिट्री में सभी धर्म और कौम के मानने वाले जवान थे. इसलिए मिलिट्री के प्रमुख ने सभी धर्म के जवानों के लिए इबादतगाह बनवाए गए थे.

British carpet mosque
ब्रिटिश कालीन मस्जिद
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Published : Oct 18, 2021, 10:43 PM IST

Updated : Oct 18, 2021, 10:59 PM IST

रायपुर: राजधानी सहित छत्तीसगढ़ में कई पुरानी और नई मस्जिदे मौजूद हैं. जहां पर मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करते हैं. अंग्रेज जमाने में बनाई गई ऐतिहासिक और प्राचीन मस्जिद भी रायपुर में है. जिसे आज रिनोवेट कर दिया गया है. 170 साल पहले मिलिट्री के जवानों के लिए बनाई गई पलटन मस्जिद जिसे आज सुन्नी हनफी जामा मस्जिद (British era Sunni Hanafi Jama Masjid) के नाम से जाना चाहता रखता है. यह मस्जिद अंग्रेजों के जमाने में बनाई गई थी, जो मोटी दीवारों के साथ ही काफी मजबूत थी. लेकिन समय के साथ उसे रिनोवेट कर दिया गया है.

ब्रिटिश कालीन सुन्नी हनफी जामा मस्जिद

राजधानी के बैरन बाजार में 1850 के आसपास मिलिट्री के जवानों के लिए पलटन मस्जिद का निर्माण कराया गया था. बताया जाता है कि उस समय लाई बाइरन मिलिट्री के चीफ थे. उस जमाने में सेना की टुकड़ी पुलिस ग्राउंड, पेंशन बाड़ा में लंबे समय तक रुका करती थी और मिलिट्री में सभी धर्म और कौम के मानने वाले जवान थे. इसलिए मिलिट्री के प्रमुख ने सभी धर्म के जवानों के लिए इबादतगाह बनवाए गए थे. उन्हीं में से एक ब्रिटिश कालीन सुन्नी हनफी जामा मस्जिद (British era Sunni Hanafi Jama Masjid) है, जिसे पलटन मस्जिद के नाम से जाना जाता है. लेकिन समय के साथ-साथ इसकी इमारते जर्जर होने लगी. जिसके बाद सुन्नी हनफी जामा मस्जिद को रिनोवेट किया गया और आज इसे लोग सुन्नी हनफी जामा मस्जिद के नाम से पहचानते हैं.

Sunni Hanafi Jama Masjid
सुन्नी हनफी जामा मस्जिद

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इसी तरह राजधानी में और भी कई मस्जिदें हैं. जिसमें एक मौदहा पारा की मस्जिद है, जो 90 साल पुरानी है. इस मस्जिद में 5000 से अधिक लोग एक साथ नमाज अदा कर सकते हैं. चार मंजिल मस्जिद का मुख्य द्वार 56 फीट ऊंचा है. जिसका नाम बुलंद दरवाजा है. बैजनाथ पारा की मस्जिद भी पुरानी मस्जिदों में गिनी जाती है. जहां पर मुस्लिम समुदाय के लोग भारी संख्या में नमाज अदा करने पहुंचते हैं. पिछले साल कोरोना के कारण धार्मिक स्थलों पर प्रार्थना सभा या फिर किसी प्रकार के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. लेकिन धीरे-धीरे कोरोना की रफ्तार कम होने के बाद फिर से धार्मिक स्थलों पर पूजा पाठ प्रार्थना सभा और नमाज की अदायगी फिर से शुरू हो गई.

Sunni Hanafi Jama Masjid
सुन्नी हनफी जामा मस्जिद

राजधानी के बैरन बाजार मैं स्थित सुन्नी हनफी जामा मस्जिद (British era Sunni Hanafi Jama Masjid) के इमाम कारी इमरान अशरफी बताते हैं कि अंग्रेजों के जमाने में आर्मी के जवानों के लिए बनाई गई थी. यह मस्जिद उस जमाने में काफी मजबूत थी और बड़े-बड़े पत्थरों से इसका निर्माण कराया गया था. लेकिन समय के साथ-साथ मस्जिद की दीवार और छत कमजोर होने लगी और इस मस्जिद को बाद में रिनोवेट कराया गया. पहले की तुलना में मस्जिद का आकार भी बढ़ गया है.

रायपुर: राजधानी सहित छत्तीसगढ़ में कई पुरानी और नई मस्जिदे मौजूद हैं. जहां पर मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा करते हैं. अंग्रेज जमाने में बनाई गई ऐतिहासिक और प्राचीन मस्जिद भी रायपुर में है. जिसे आज रिनोवेट कर दिया गया है. 170 साल पहले मिलिट्री के जवानों के लिए बनाई गई पलटन मस्जिद जिसे आज सुन्नी हनफी जामा मस्जिद (British era Sunni Hanafi Jama Masjid) के नाम से जाना चाहता रखता है. यह मस्जिद अंग्रेजों के जमाने में बनाई गई थी, जो मोटी दीवारों के साथ ही काफी मजबूत थी. लेकिन समय के साथ उसे रिनोवेट कर दिया गया है.

ब्रिटिश कालीन सुन्नी हनफी जामा मस्जिद

राजधानी के बैरन बाजार में 1850 के आसपास मिलिट्री के जवानों के लिए पलटन मस्जिद का निर्माण कराया गया था. बताया जाता है कि उस समय लाई बाइरन मिलिट्री के चीफ थे. उस जमाने में सेना की टुकड़ी पुलिस ग्राउंड, पेंशन बाड़ा में लंबे समय तक रुका करती थी और मिलिट्री में सभी धर्म और कौम के मानने वाले जवान थे. इसलिए मिलिट्री के प्रमुख ने सभी धर्म के जवानों के लिए इबादतगाह बनवाए गए थे. उन्हीं में से एक ब्रिटिश कालीन सुन्नी हनफी जामा मस्जिद (British era Sunni Hanafi Jama Masjid) है, जिसे पलटन मस्जिद के नाम से जाना जाता है. लेकिन समय के साथ-साथ इसकी इमारते जर्जर होने लगी. जिसके बाद सुन्नी हनफी जामा मस्जिद को रिनोवेट किया गया और आज इसे लोग सुन्नी हनफी जामा मस्जिद के नाम से पहचानते हैं.

Sunni Hanafi Jama Masjid
सुन्नी हनफी जामा मस्जिद

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इसी तरह राजधानी में और भी कई मस्जिदें हैं. जिसमें एक मौदहा पारा की मस्जिद है, जो 90 साल पुरानी है. इस मस्जिद में 5000 से अधिक लोग एक साथ नमाज अदा कर सकते हैं. चार मंजिल मस्जिद का मुख्य द्वार 56 फीट ऊंचा है. जिसका नाम बुलंद दरवाजा है. बैजनाथ पारा की मस्जिद भी पुरानी मस्जिदों में गिनी जाती है. जहां पर मुस्लिम समुदाय के लोग भारी संख्या में नमाज अदा करने पहुंचते हैं. पिछले साल कोरोना के कारण धार्मिक स्थलों पर प्रार्थना सभा या फिर किसी प्रकार के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. लेकिन धीरे-धीरे कोरोना की रफ्तार कम होने के बाद फिर से धार्मिक स्थलों पर पूजा पाठ प्रार्थना सभा और नमाज की अदायगी फिर से शुरू हो गई.

Sunni Hanafi Jama Masjid
सुन्नी हनफी जामा मस्जिद

राजधानी के बैरन बाजार मैं स्थित सुन्नी हनफी जामा मस्जिद (British era Sunni Hanafi Jama Masjid) के इमाम कारी इमरान अशरफी बताते हैं कि अंग्रेजों के जमाने में आर्मी के जवानों के लिए बनाई गई थी. यह मस्जिद उस जमाने में काफी मजबूत थी और बड़े-बड़े पत्थरों से इसका निर्माण कराया गया था. लेकिन समय के साथ-साथ मस्जिद की दीवार और छत कमजोर होने लगी और इस मस्जिद को बाद में रिनोवेट कराया गया. पहले की तुलना में मस्जिद का आकार भी बढ़ गया है.

Last Updated : Oct 18, 2021, 10:59 PM IST
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