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ब्लड सेपरेटर मशीन को नहीं मिला लाइसेंस, मरीजों को हो रही परेशानी - करोड़ों की लागत

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ब्लड सेपरेटर मशीन के चालू नहीं होने से मरीजों को खासा परेसानियों का सामना करना पड़ रहा है.

ब्लड सेपरेटर मशीन को नहीं मिला लाइसेंस
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Published : Sep 20, 2019, 8:31 PM IST

Updated : Sep 20, 2019, 9:53 PM IST

रायगढ़: जिले के मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नए भवन में करोड़ों की लागत से ब्लड कॉम्पोनेंट सेपरेटर मशीन लगाई गई है, जो कई साल बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हो पाई है, जिससे मरीजों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं अधिकारियों की दलील है कि लाइसेंस नहीं मिला, इसलिए मशीन चालू नहीं हो पाई है.

ब्लड सेपरेटर मशीन को नहीं मिला लाइसेंस

दरअसल, ब्लड सेपरेटर मशीन खून में शामिल तत्वों को अलग-अलग करती है. इस मशीन की जरुरत थैलेसीमिया और आरबीसी डेंगू के मरीजों को पड़ती है, जिससे ये मशीन RBC, WBC, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा जैसे तत्वों को खून से अलग कर देती है. इससे किसी मरीज को पूरी बोतल खून चढ़ाने की जरुरत नहीं पड़ती, बल्कि जिस तत्व की आवश्यकता होती है, उसे दिया जाता है. ऐसे में एक ही खून से कई लोगों की जान बच जाती है.

सरकार से लाइसेंस मिलने के बाद होगा चालू
पूरे मामले में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सहायक अध्यक्ष हबेल सिंह उरांव का कहना है कि 'ब्लड सेपरेटर मशीन के लिए विभाग और सरकार के बीच बातचीत हो रही है और एक सही निष्कर्ष के बाद ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लगे ब्लड सेपरेटर मशीन को लाइसेंस दिया जाएगा.

रायगढ़: जिले के मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नए भवन में करोड़ों की लागत से ब्लड कॉम्पोनेंट सेपरेटर मशीन लगाई गई है, जो कई साल बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हो पाई है, जिससे मरीजों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं अधिकारियों की दलील है कि लाइसेंस नहीं मिला, इसलिए मशीन चालू नहीं हो पाई है.

ब्लड सेपरेटर मशीन को नहीं मिला लाइसेंस

दरअसल, ब्लड सेपरेटर मशीन खून में शामिल तत्वों को अलग-अलग करती है. इस मशीन की जरुरत थैलेसीमिया और आरबीसी डेंगू के मरीजों को पड़ती है, जिससे ये मशीन RBC, WBC, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा जैसे तत्वों को खून से अलग कर देती है. इससे किसी मरीज को पूरी बोतल खून चढ़ाने की जरुरत नहीं पड़ती, बल्कि जिस तत्व की आवश्यकता होती है, उसे दिया जाता है. ऐसे में एक ही खून से कई लोगों की जान बच जाती है.

सरकार से लाइसेंस मिलने के बाद होगा चालू
पूरे मामले में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सहायक अध्यक्ष हबेल सिंह उरांव का कहना है कि 'ब्लड सेपरेटर मशीन के लिए विभाग और सरकार के बीच बातचीत हो रही है और एक सही निष्कर्ष के बाद ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लगे ब्लड सेपरेटर मशीन को लाइसेंस दिया जाएगा.

Intro: रायगढ़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नए भवन में करोड़ों की लागत से ब्लड कॉम्पोनेंट सेपरेटर मशीन लगाया गया है जो कई साल बीतने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है. मशीन के होते हुए भी काम नहीं आने पर मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि इसके चालू कराने के लिए विभाग और सरकार के मध्य में बातचीत हो रही है, मशीन को चलाने के लिए मेकाहारा को लाइसेंस मिलने के बाद ही यह चालू हो पाएगा

byte01 एचएस उरांव, सहायक अध्यक्ष मेकाहारा


Body: दरअसल में ब्लड सेपरेटर मशीन खून में शामिल तत्वों को अलग अलग करती है। इससे उन मरीजों को लाभ मिलता है जैसे थैलेसीमिया के मरीजों को आरबीसी डेंगू के मरीज को प्लेटलेट्स की जरूरत होती है इस मशीन में RBC, WBC, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा आदि तत्वों को ब्लड सेपरेटर मशीन खून से अलग कर देता है जिससे किसी मरीज को पूरी बोतल खून चढ़ाने के बजाय इनमें से जिस तत्व की आवश्यकता होती है उसे दिया जाता है जिससे एक ही खून से कई लोगों की जान बच पाती है।

इस मशीन की आवश्यकता सबसे ज्यादा डेंगू के मरीजों के लिए होती है, शहर में डेंगू का दंश बढ़ता जा रहा है और सरकारी अस्पताल में ही इसकी सुविधा ना होने से मरीज परेशान हो रहे हैं।



Conclusion:पूरे मामले में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सहायक अध्यक्ष हबेल सिंह उरांव का कहना है कि ब्लड सेपरेटर मशीन के लिए विभाग और सरकार के बीच बातचीत हो रही है और एक सही निष्कर्ष के बाद ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लगे ब्लड सेपरेटर मशीन को लाइसेंस दिया जाएगा और लाइसेंस मिलते ही यह लोगों के लिए चालू कर दिया जाएगा फिलहाल मशीन कब तक चालू होगा यह कहना मुश्किल है।
Last Updated : Sep 20, 2019, 9:53 PM IST
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