रायपुर: देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण काल और लॉकडाउन के चलते लंबे समय से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. कोरोना की मार न केवल व्यापार-व्यवसाय में बल्कि अत्यंत आवश्यक सेवाओं में पड़ा है. जीवन के लिए सबसे आवश्यक माने जाने वाले ब्लड बैंकों में भी कोरोना वायरस संक्रमण का असर देखने को मिल रहा है. राजधानी के 20 से ज्यादा ब्लड बैंकों में करोना काल में ब्लड के स्टॉक में 70 से 80 फीसदी तक की कमी आ चुकी है. ऐसे में रक्तदान और ब्लड बैंकों में खून की आपूर्ति को लेकर ETV भारत ने ब्लड बैंकों और तमाम समाजसेवी संस्थाओं से बात कर स्थिति का जायजा लिया है.
बातचीत के दौरान यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस संक्रमण के काल के दौरान लोगों में डर बढ़ गया है. जिस कारण से ब्लड डोनेट करने में लोग झिझक रहे हैं. रक्तदान को लेकर जागरूकता में भी कमी आई है. महामारी के दौर में ब्लड की आवश्यकता निरंतर बनी हुई है. लेकिन अस्पताल जाने से लोग कतरा रहे हैं. साथ ही रक्तदान को लेकर लगाए जाने वाले शिविरों में भी कमी आई है.
पिछले 6 महीनों से लगातार संक्रमण बढ़ रहा है. जीवन की तमाम चीजों में बदलाव आ गए हैं. ऐसे में इस दौर में अत्यंत आवश्यक सेवाओं पर काफी असर डाला है. कोरोना काल में लोग भले ही स्वास्थ्य के प्रति काफी अवेयर हुए हो, लेकिन अभी भी अपने ब्लड से दूसरे को जीवन देने वाले जीवनदान में बेहद कमी आ चुकी है. रायपुर में ब्लड बैंक पर भी कोरोना वायरस का असर हुआ है. विपरीत परिस्थितियों में भी लोगों तक सहायता पहुंचाने वाले ब्लड बैंक में ब्लड डोनेट करने वालों की संख्या में 70 फीसदी तक कम हो गई है.
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ब्लड बैंकों पर कोरोना इफेक्ट
कोरोना वायरस का असर ब्लड बैंक पर भी बेहद खतरनाक तरीके से पड़ा है. राजधानी में ही रेड क्रॉस और प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल अंबेडकर अस्पताल में मॉडर्न ब्लड बैंक की व्यवस्था है. इसके अलावा तमाम जिलों में रेड क्रॉस और जिला अस्पताल प्रबंधन ने ब्लड बैंक की व्यवस्था की है. राजधानी की बात की जाए तो शहर में 20 प्रमुख ब्लड बैंक है. इनमें प्रमुख तौर पर रेडक्रॉस के ब्लड बैंक में लोगों को बिना एक्सचेंज के ब्लड उपलब्ध करने की व्यवस्था रही है. रेड क्रॉस ब्लड बैंक के प्रभारी डॉक्टर धर्मवीर भारती ने बताया कि साधारण तौर पर ब्लड बैंकों में 500 यूनिट तक ब्लड होता था. इमरजेंसी के लिए 300 यूनिट ब्लड हमेशा रिजर्व रहता था, लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण ब्लड डोनेट करने वालों की संख्या में बेहद कमी आ गई है.
ब्लड बैंक में अभी केवल 50 यूनिट तक ही ब्लड बचा हुआ है. कोरोना वायरस और लॉकडाउन के इमरजेंसी के दरमियान भले ही एक्सीडेंटल केस में कमी आई है. लेकिन थैलेसीमिया, एनीमिया, डायलिसिस, सिकलिंग और तमाम तरह के ऑपरेशन के दौरान ब्लड की जरूरत अनिवार्य रूप से पड़ती है. मौजूदा परिस्थितियों में ब्लड डोनेशन कैंप नहीं लग पा रहे हैं. साथ ही यह भी बताया कि कोरोना के इलाज को लेकर प्लाज्मा थेरेपी पर भी काम चल रहा है. जिसके लिए कई अस्पतालों में प्लाज्मा डोनेट का भी काम किया जा रहा है. हालांकि इसे आईसीएमआर ने उतना कारगर नहीं बताया है.
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सामाजिक संस्थाओं की भी चिंता बढ़ी
समाज सेवा के लिए काम कर रही संस्था 'बढ़ते कदम' लगातार पिछले कई सालों से लोगों को ब्लड डोनेशन समेत कई तरह की समाज सेवा के काम कर रही है. ब्लड डोनेशन को लेकर बढ़ते कदम के पास प्रदेश के तमाम जिलों में टीम है जो इमरजेंसी में भी लोगों को ब्लड मुहैया कराने के लिए जानी जाती है, लेकिन कोरोना के इस काल में बढ़ते कदम संस्था के लोगों के सामने भी कई तरह की परेशानी आ चुकी है. बढ़ते कदम संस्था के सचिव बंटी जुमनानी बताते हैं कि वह लोग 2005 से लगातार लोगों को ब्लड उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश भर में काम कर रहे हैं. थैलेसीमिया के बच्चों को लेकर वे लोग निशुल्क ब्लड उपलब्ध कराते हैं. इसके अलावा छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत युवा विंग से भी जुड़े हैं. इसके माध्यम से उनके पास प्रदेशभर के ब्लड डोनर की बड़ी सूची है. इसके माध्यम से वे हमेशा लोगों के मदद के लिए तैयार रहते हैं. लेकिन कोविड-19 दौर में लोग भी अब पहले के मुकाबले मदद नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने बताया है कि ब्लड डोनेशन के लिए संस्था के माध्यम से साल भर कैंप करते रहते थे. जिसमें लोग बड़ी संख्या में ब्लड डोनेट करने पहुंचते थे. लेकिन कोविड-19 दौर में ब्लड डोनेशन कैंप पिछले 6 महीने से नहीं हो पा रहा है. ऐसे में लोग भी डरे हुए हैं. हालांकि वे ब्लड डोनरों की सूची से जरूरतमंदों को मदद करने के लिए दिन रात लगे हुए हैं.
कोरोना संक्रमण का भय
कोरोना संक्रमण के इस दौर में ब्लड डोनेशन को लेकर कमी आने के पीछे जब पड़ताल की गई तो यह बात सामने आई है कि लोगों में कोविड-19 और ब्लड डोनेशन के दरमियान संक्रमण फैलने का डर बना हुआ है. आशीर्वाद ब्लड बैंक के संचालक श्याम केसवानी बताते हैं कि वे लगातार लोगों से ब्लड डोनेशन के लिए बात करते रहते हैं. लेकिन कोविड-19 दौर में लोगों में इस बात का डर है कि ब्लड डोनेशन करने से उन्हें कोरोना वायरस संक्रमण हो जाएगा. यहीं वजह है कि जहां बड़े ब्लड बैंकों में 70 फीसदी तक ब्लड के स्टॉक की कमी आई है. वहीं प्राइवेट ब्लड बैंकों में तो 80 फीसदी तक ब्लड की कमी आ चुकी है. ब्लड डोनेशन को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
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स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जताई चिंता
कोरोना के दौर में लगातार ब्लड बैंकों में ब्लड की कमी को लेकर डॉक्टरों ने भी चिंता जताई है. डॉक्टर चन्द्रेश चंद्राकर कहते हैं कि लोगों को इमरजेंसी हालात में लगातार ब्लड की जरूरत होती है. खासकर थैलेसीमिया और सिकलसेल जैसी बीमारी में लगातार ब्लड की मांग बनी रहती है. लेकिन कोरोना के दौर में आम लोगों में कई तरह की भ्रांतियां भी है. जिसके चलते ब्लड डोनेशन को लेकर अब लोग सामने नहीं आ रहे हैं. सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से भी लगातार यहां प्रयास किया जा रहा है. लोग अपने समाज के लोगों को ही ब्लड डोनेशन के लिए सामने लाएं ताकि उनका रक्तदान लोगों के लिए जीवनदान बन सके.
रक्तदान को जीवनदान का दर्जा देने वाले लोग भी अब रक्तदान करने से पीछे हट रहे हैं. ऐसे में राजधानी में ही तमाम ब्लड बैंकों में 70 फीसदी तक खून की कमी आना चिंता का विषय है. ब्लड बैंकों से इमरजेंसी हालात में ब्लड की सप्लाई तो लगातार जारी है. लेकिन ब्लड कैंप की परमिशन ना मिलना और बड़े पैमाने पर ब्लड डोनेशन ना होने के चलते अब ब्लड बैंकों में भी स्टॉक लगातार खत्म होते जा रहा है.