रायपुर: राजधानी रायपुर के सड़कों पर होर्डिंग पटे पड़े हैं. छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ (Chhattisgarh Olympic Association) के पदाधिकारियों को टोक्यो में आयोजित ओलंपिक में बतौर मेहमान शामिल होने का न्योता मिला है. जिसको लेकर बीजेपी प्रवक्ता गौरी शंकर श्रीवास (BJP spokesperson Gauri Shankar Srivastava) ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) को लेकर तंज कसा है.
बीजेपी प्रवक्ता गौरी शंकर श्रीवास ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ओलंपिक को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है. इधर खेल विभाग में नियुक्ति नहीं हो रही है. ना ही ओलंपिक में छत्तीसगढ़ से को खिलाड़ी प्रतिनिधित्व कर रहा है. उन्होंने कहा कि उद्घाटन समारोह में गुरुचरण सिंह होरा शामिल भी हो रहे हैं. इस सूचना को एक गौरवशाली उपलब्धि के तौर पर गिनाया जा रहा है और इसके लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व को भी श्रेय दिया जा रहा है.
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि 'खेलसंघ के कर्ताधर्ता इसे उपलब्धि मान के चल रहे हैं, लेकिन हम आपका ध्यान इस दुर्भाग्य की ओर भी आकर्षित करना चाह रहे हैं कि इस प्रदेश से एक भी खिलाड़ी इस आयोजन में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए नजर नहीं आएगा'.
Tokyo Olympics: खेलों के महाकुंभ का आगाज 23 जुलाई से, जानिए कैसे देख पाएंगे ओपनिंग सेरेमनी
भाजपा ने भी उठाए सवाल
प्रदेश ओलंपिक संघ द्वारा जिस तरह महज न्योता को बड़ी उपलब्धि बताया जा रहा है, उस पर सवाल भाजपा भी उठा रही है, और इसे व्यर्थ का ढिंढोरा पीटना कहा जा रहा है. एक तरफ प्रदेश के ज्यादातर खेल के खिलाड़ सुविधाओं का अभाव झेल रहे हैं. दूसरी तरफ हम न्योता को ही गौरवशाली मानकर संतुष्ट हो जा रहे हैं.
बदहाल खेल सुविधा कहां से क्वालिफाई करें खिलाड़ी
कहा जाता है कि खेल में राजनीति की कोई जगह नहीं है, इसके लिए सिर्फ वर्तमान सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा और खिलाड़ी तैयार करने में वक्त लगता है. ऐसे में प्रदेश में 15 साल शासन करने वाली रमन सरकार में इसके लिए जवाबदेह है कि आखिर हम दूसरे राज्यों से क्यों पिछड़ जाते हैं. देश में एक तरफ चीन और कनाडा, रूस जैसे देशों की बात होती है तो वही दूसरी तरफ छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड जैसी सुविधा मुहैया नहीं करा पा रहा है.
स्कूल स्तर से करनी होगी तैयारी-
ओलंपिक, वर्ल्ड चैंम्पियनशिप जैसी प्रतियोगिता में पदक तालिका में जो देश ऊपर के पायदान में होते हैं. दरअसल उनकी तैयारी कोई दो चार दिन की नहीं बल्कि वहां इस दिशा में मेहनत स्कूल लेवल पर ही शुरू हो जाती है. हमारे देश में स्कूल और कॉलेजों के पास किस तरह का इनफ्रास्ट्रक्चर है ये बात किसी से छुपी नहीं है. हमारे मैदान अब मेलों या राजनीति-धार्मिक कार्यक्रमों में ज्यादा उपयोग हो रहे हैं. बच्चे गलियों में या घर पर मोबाइल पर गेम खेलकर बड़े हो रहे हैं. ऐसे में हम कहां से ओलंपिक क्वालिफायर लाएंगे. पदक लाने वाले की बात तो सपना ही अगर यही हाल रहा तो हम महज इन आयोजनों में कुछ पदाधिकारियों को मिलने वाले न्योतों पर नाज जताते रहेंगे.