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भाजपा की B टीम को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा तेज, खुद पार्टी के नेता ने ये क्या कह दिया ?

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर बी टीम का शोर सुनाई दे रहा है. बीजेपी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश (Shivprakash) ने ही अपने पार्टी के नेताओं को कह दिया कि 15 सालों तक सत्ता में वे अपनी मेहनत से नहीं बल्कि दूसरों के सहयोग से बने रहे हैं. इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है.

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भाजपा की बी टीम पर सियासत
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Published : Jun 24, 2021, 8:03 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक सरकार में रही भारतीय जनता पार्टी अब विपक्ष में आने के बाद आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में जुटी है. वहीं पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश (BJP National Co-Organization General Secretary Shivprakash) ने ही अपने पार्टी के नेताओं को कह दिया कि 15 सालों तक सत्ता में वे अपनी मेहनत से नहीं बल्कि दूसरों के सहयोग से बने रहे हैं. शिवप्रकाश की दो टूक से लंबे वक्त के बाद एक बार फिर प्रदेश में बीजेपी की बी टीम को लेकर चर्चा तेज हो गई है.

भाजपा की बी टीम पर सियासत

छत्तीसगढ़ की राजनीति में हमेशा से बीजेपी की बी टीम को लेकर चर्चा होती रही है. लेकिन ये सियासी गलियारों में केवल कयास और बयानों तक ही सीमित था. लेकिन हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और प्रदेश प्रभारी शिवप्रकाश ने मिशन 2023 (Mission 2023) के लिए भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दो टूक कह दिया है कि, भाजपा किसी के भरोसे न रहे. इसका सीधा अंदाजा इस बात से लगाया जा रहा है कि भाजपा किसी के भरोसे और कमजोरियों के सहारे चुनाव लड़ने के बजाय अकेले चुनाव लड़े और जीते. शिवप्रकाश के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में बयानबाजी का दौर तेज है. वहीं राजनीतिक समीक्षक भी कई तरह के कयास लगा रहे हैं.

कांग्रेस के आपसी विवाद ने भी की मदद !

दरअसल छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहला चुनाव भाजपा ने जीता था. साल 2001 से 2003 तक प्रदेश की जनता अजीत जोगी (Ajit jogi) सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं थी. इस वजह से विकल्प के रूप में बीजेपी चुनाव में आगे रही. लेकिन इसके पीछे बड़ा कारण कांग्रेस का आपसी विवाद रहा था. उस दरमियान तीसरे मोर्चे के रूप में कांग्रेस के दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल (Vidyacharan Shukla) ने कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी से नाता जोड़ा था. उन्होंने काफी हद तक कांग्रेस के वोट बैंक को तोड़ने का काम किया था.

इस बार भी आपसी कलह के भरोसे थी बीजेपी !

साल 2003 से 2008 तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार का पहला कार्यकाल रहा. 2008 में प्रदेश की जनता के मन में डर था कि अगर कांग्रेस की सरकार आती है तो स्थिति फिर से वही रहेगी. बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाया और 2008 में भी सरकार बना ली. ऐसा बताया जाता है कि 2013 में जीत के दौरान भी कई तरह के समझौते हुए थे. सूत्रों की माने तो भाजपा में गुप्त समझौता भी हो गया था. इस समझौते के तहत ही पूर्व सीएम अजीत जोगी ने अपने समर्थकों को कांग्रेस की टिकट दिलवाई थी. इसका फायदा उठाते हुए बीजेपी ने तीसरी बार सरकार बना ली. साल 2018 में भी भाजपा अजीत जोगी और कांग्रेसी की आपसी गुटबाजी के भरोसे थी. लेकिन उन्हें इस बार करारी हार मिली.

अनुच्छेद 370 के विरोध में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दिया था नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा: दुष्यंत कुमार

पूरे प्रदेश को पता है भाजपा बी टीम के सहारे थी : रविंद्र चौबे

छत्तीसगढ़ सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे (Cabinet Minister Ravindra Choubey) कहते हैं कि मुझे लगता है कि छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति और राजनीतिक परिस्थितियों से शिवप्रकाश जी को अवगत नहीं कराया गया है. किसी के सहयोग से सरकार बनने का काम हुआ था. साल 2003 में रमन सिंह जी एक्सीडेंटल सीएम बनाए गए थे. इसके बाद के दोनों विधनसभा चुनाव में खुलेआम किसके द्वारा कांग्रेस से विश्वासघात किया जाता रहा और उनको कैसे सहयोग करते रहे ये पूरे छत्तीसगढ़ के जनता जानती है. लेकिन इस बार भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस कि जो सरकार बनी है, उसे यहां के किसानों और आम जनता ने बनाया है. इसमें किसी को संशय नहीं होना चाहिए.

शिवप्रकाश का बयान कार्यकर्ताओं के हौसले तोड़ने वाला: जेसीसीजे

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) (JCCJ) के प्रदेश प्रवक्ता भगवानू नायक कहते हैं कि छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी शिवप्रकाश जी का बयान छत्तीसगढ़ के बीजेपी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराने वाला है. जो पार्टी में रात दिन मेहनत करते हैं, ऐसे निष्ठावान कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित करने वाला है. जैसे बिना पानी की मछली तड़पती है, उसी तरह से 15 साल तक सरकार बनाने के बाद भाजपा की सरकार जाने से ये लोग तड़प रहे हैं. इसी कारण इस तरह से आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ की जनता ने 15 साल तक भाजपा के कुशासन को झेला है, ढाई साल से कांग्रेसी सरकार को देखा है, जो छत्तीसगढ़ की जनता के साथ किस तरह से वादाखिलाफी की गई है. अब पश्चिम बंगाल में जिस तरह से ममता दीदी ने सरकार बनाई है वैसे ही छत्तीसगढ़ में भी क्षेत्रीय पार्टियों का बोलबाला रहेगा.

कांग्रेस ने जनता की नब्ज को पकड़ा: वरिष्ठ पत्रकार

वरिष्ठ पत्रकार गिरीश केशरवानी कहते हैं कि सीधी सी बात है, जो भाजपा 15 साल तक शासन में रही है तो इसके पीछे सीधा सा कारण ये है कि दूसरी पार्टियों की जो कमजोरी रही है उसका फायदा भाजपा को मिला है. कही न कहीं कांग्रेसियों ने जनता की नब्ज को पकड़ लिया. वे बड़े बहुमत के साथ सत्ता में आई है. भाजपा को उन सारी चीजों से उबरना होगा. उन्हें जमीनी स्तर पर काम करना होगा. जमीनी स्तर पर पब्लिक की जो समस्याएं हैं उसे पकड़ना होगा. तभी वे सत्ता में आ सकते हैं. उनको अपनी बी टीम के भरोसे नहीं रहना चाहिए. उनके राष्ट्रीय पदाधिकारी ने भी इशारा करके सारी चीजें कह दी है. कि दूसरों के कंधे पर बंदूक चलाने से अब सत्ता हासिल नहीं होगी. खुद मेहनत करना होगा.

बीजेपी को तलाशनी होगी जमीन

इस तरह से छत्तीसगढ़ की सियासत में एक बार फिर से भाजपा की बी टीम को लेकर चर्चा तेज हो गई है. लेकिन इस बार ये बात कांग्रेस ने नहीं बल्कि भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी ने अपने ही प्रदेश पदाधिकारियों के सामने कही है. ऐसे में भाजपा के तमाम नेताओं को भी नसीहत मिली है कि वह दूसरों की कमजोरी को आधार न बनाए. बल्कि जमीनी स्तर पर जाकर मेहनत करें और अपने कार्यकर्ताओं की टीम खड़ी करने के साथ ही प्रदेश की सत्ता हसिल करें.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक सरकार में रही भारतीय जनता पार्टी अब विपक्ष में आने के बाद आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में जुटी है. वहीं पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश (BJP National Co-Organization General Secretary Shivprakash) ने ही अपने पार्टी के नेताओं को कह दिया कि 15 सालों तक सत्ता में वे अपनी मेहनत से नहीं बल्कि दूसरों के सहयोग से बने रहे हैं. शिवप्रकाश की दो टूक से लंबे वक्त के बाद एक बार फिर प्रदेश में बीजेपी की बी टीम को लेकर चर्चा तेज हो गई है.

भाजपा की बी टीम पर सियासत

छत्तीसगढ़ की राजनीति में हमेशा से बीजेपी की बी टीम को लेकर चर्चा होती रही है. लेकिन ये सियासी गलियारों में केवल कयास और बयानों तक ही सीमित था. लेकिन हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और प्रदेश प्रभारी शिवप्रकाश ने मिशन 2023 (Mission 2023) के लिए भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दो टूक कह दिया है कि, भाजपा किसी के भरोसे न रहे. इसका सीधा अंदाजा इस बात से लगाया जा रहा है कि भाजपा किसी के भरोसे और कमजोरियों के सहारे चुनाव लड़ने के बजाय अकेले चुनाव लड़े और जीते. शिवप्रकाश के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में बयानबाजी का दौर तेज है. वहीं राजनीतिक समीक्षक भी कई तरह के कयास लगा रहे हैं.

कांग्रेस के आपसी विवाद ने भी की मदद !

दरअसल छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहला चुनाव भाजपा ने जीता था. साल 2001 से 2003 तक प्रदेश की जनता अजीत जोगी (Ajit jogi) सरकार के कामकाज से संतुष्ट नहीं थी. इस वजह से विकल्प के रूप में बीजेपी चुनाव में आगे रही. लेकिन इसके पीछे बड़ा कारण कांग्रेस का आपसी विवाद रहा था. उस दरमियान तीसरे मोर्चे के रूप में कांग्रेस के दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल (Vidyacharan Shukla) ने कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी से नाता जोड़ा था. उन्होंने काफी हद तक कांग्रेस के वोट बैंक को तोड़ने का काम किया था.

इस बार भी आपसी कलह के भरोसे थी बीजेपी !

साल 2003 से 2008 तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार का पहला कार्यकाल रहा. 2008 में प्रदेश की जनता के मन में डर था कि अगर कांग्रेस की सरकार आती है तो स्थिति फिर से वही रहेगी. बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाया और 2008 में भी सरकार बना ली. ऐसा बताया जाता है कि 2013 में जीत के दौरान भी कई तरह के समझौते हुए थे. सूत्रों की माने तो भाजपा में गुप्त समझौता भी हो गया था. इस समझौते के तहत ही पूर्व सीएम अजीत जोगी ने अपने समर्थकों को कांग्रेस की टिकट दिलवाई थी. इसका फायदा उठाते हुए बीजेपी ने तीसरी बार सरकार बना ली. साल 2018 में भी भाजपा अजीत जोगी और कांग्रेसी की आपसी गुटबाजी के भरोसे थी. लेकिन उन्हें इस बार करारी हार मिली.

अनुच्छेद 370 के विरोध में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दिया था नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा: दुष्यंत कुमार

पूरे प्रदेश को पता है भाजपा बी टीम के सहारे थी : रविंद्र चौबे

छत्तीसगढ़ सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे (Cabinet Minister Ravindra Choubey) कहते हैं कि मुझे लगता है कि छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति और राजनीतिक परिस्थितियों से शिवप्रकाश जी को अवगत नहीं कराया गया है. किसी के सहयोग से सरकार बनने का काम हुआ था. साल 2003 में रमन सिंह जी एक्सीडेंटल सीएम बनाए गए थे. इसके बाद के दोनों विधनसभा चुनाव में खुलेआम किसके द्वारा कांग्रेस से विश्वासघात किया जाता रहा और उनको कैसे सहयोग करते रहे ये पूरे छत्तीसगढ़ के जनता जानती है. लेकिन इस बार भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस कि जो सरकार बनी है, उसे यहां के किसानों और आम जनता ने बनाया है. इसमें किसी को संशय नहीं होना चाहिए.

शिवप्रकाश का बयान कार्यकर्ताओं के हौसले तोड़ने वाला: जेसीसीजे

छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जे) (JCCJ) के प्रदेश प्रवक्ता भगवानू नायक कहते हैं कि छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी शिवप्रकाश जी का बयान छत्तीसगढ़ के बीजेपी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराने वाला है. जो पार्टी में रात दिन मेहनत करते हैं, ऐसे निष्ठावान कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित करने वाला है. जैसे बिना पानी की मछली तड़पती है, उसी तरह से 15 साल तक सरकार बनाने के बाद भाजपा की सरकार जाने से ये लोग तड़प रहे हैं. इसी कारण इस तरह से आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ की जनता ने 15 साल तक भाजपा के कुशासन को झेला है, ढाई साल से कांग्रेसी सरकार को देखा है, जो छत्तीसगढ़ की जनता के साथ किस तरह से वादाखिलाफी की गई है. अब पश्चिम बंगाल में जिस तरह से ममता दीदी ने सरकार बनाई है वैसे ही छत्तीसगढ़ में भी क्षेत्रीय पार्टियों का बोलबाला रहेगा.

कांग्रेस ने जनता की नब्ज को पकड़ा: वरिष्ठ पत्रकार

वरिष्ठ पत्रकार गिरीश केशरवानी कहते हैं कि सीधी सी बात है, जो भाजपा 15 साल तक शासन में रही है तो इसके पीछे सीधा सा कारण ये है कि दूसरी पार्टियों की जो कमजोरी रही है उसका फायदा भाजपा को मिला है. कही न कहीं कांग्रेसियों ने जनता की नब्ज को पकड़ लिया. वे बड़े बहुमत के साथ सत्ता में आई है. भाजपा को उन सारी चीजों से उबरना होगा. उन्हें जमीनी स्तर पर काम करना होगा. जमीनी स्तर पर पब्लिक की जो समस्याएं हैं उसे पकड़ना होगा. तभी वे सत्ता में आ सकते हैं. उनको अपनी बी टीम के भरोसे नहीं रहना चाहिए. उनके राष्ट्रीय पदाधिकारी ने भी इशारा करके सारी चीजें कह दी है. कि दूसरों के कंधे पर बंदूक चलाने से अब सत्ता हासिल नहीं होगी. खुद मेहनत करना होगा.

बीजेपी को तलाशनी होगी जमीन

इस तरह से छत्तीसगढ़ की सियासत में एक बार फिर से भाजपा की बी टीम को लेकर चर्चा तेज हो गई है. लेकिन इस बार ये बात कांग्रेस ने नहीं बल्कि भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी ने अपने ही प्रदेश पदाधिकारियों के सामने कही है. ऐसे में भाजपा के तमाम नेताओं को भी नसीहत मिली है कि वह दूसरों की कमजोरी को आधार न बनाए. बल्कि जमीनी स्तर पर जाकर मेहनत करें और अपने कार्यकर्ताओं की टीम खड़ी करने के साथ ही प्रदेश की सत्ता हसिल करें.

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