रायपुर: रायपुर के जिला भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने प्रेसवार्ता की. प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस सरकार पर कई आरोप लगाये. उन्होंने कहा "कांग्रेस सरकार सहकारिता के चुनाव को लंबित करके या फिर इसकी समय सीमा आगे बढ़ाकर लोकतंत्र का गला घोटने का काम कर रही है. आखिर सरकार चुनाव से क्यों भागना चाहती है जबकि वह दावा करती है कि उसे जनता का विश्वास हासिल है."
छत्तीसगढ़ सहकारिता संशोधन विधेयक लोकतंत्र की हत्या: भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, "छत्तीसगढ़ सहकारिता संशोधन विधेयक लोकतंत्र की हत्या है. यह संशोधन विधायक छत्तीसगढ़ के किसानों, लार्ज एरिया मल्टीपरपज सोसायटी के लघु वन उपज बेचने वाले जो आदिवासी साथी हैं, उनके अधिकारों को सरकार छीनने की कोशिश है. इस संशोधन विधेयक के माध्यम से सरकार ने अधिकार ले लिया है कि, वह सहकारिता समिति के लार्ज एरिया मल्टीपरपज सोसायटी के चुनाव वो अनिश्चितकालीन समय तक लंबित रख सकते हैं.कांग्रेस सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है, उसने सहकारिता चुनाव में संशोधन करते हुए नया नियम जोड़ दिया है. भाजपा इसका विरोध करती है."
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वोट बैंक के लिए पांच नए जिलों की घोषणा: हर घर तिरंगा अभियान को लेकर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस पर निशाना साधा. इसके अलावा पांच नए जिलों को लेकर भी प्रशासन पर बृजमोहन अग्रवाल ने हमला बोला है. "कांग्रेस ने 5 नए जिलों की घोषणा कर वहां प्रशासन का सेटअप भी बैठा दिया है. आईएएस आईपीएस को भी जिम्मेदारी दी गई है लेकिन इन पांचों जिलों में इस बार स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया गया.कांग्रेस ने स्वतंत्रता दिवस को लेकर 28 जिलों में मुख्य अतिथियों की घोषणा की. उनमें 5 नए जिलों का जिक्र नहीं था. जबकि इन जिलों में जनता पहली बार यह उम्मीद लगा रही थी कि इस बार प्रथम स्वतंत्र जिले के रूप में वह स्वतंत्रता दिवस पर्व मना सकेगी."
कांग्रेस ने किया पलटवार: इधर, कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि, "विधानसभा देश की लोकतांत्रिक पंचायत है. वहां से कोई विधेयक पारित हो गया है और भारतीय जनता पार्टी के द्वारा यह कहा जाना कि हम राज्यपाल से मुलाकात कर कहेंगे कि इस विधेयक पर हस्ताक्षर ना करें...यह भाजपा का गैर लोकतांत्रिक चरित्र है. भाजपा के पास 14 विधायक थे और विधानसभा सत्र के दौरान भी उनके पास पर्याप्त समय था. वे इस विधेयक के संबंध में विधानसभा में चर्चा करते हैं. तब भाजपा के पास कोई तथ्य नहीं था. भाजपा सरकार में 15 साल तक सहकारिता का माखौल उड़ाया गया और एक सरकार जो सहकारिता के लिए नियम कानून बनाने जा रही है. उस पर अड़ंगा लगा रहे हैं. यह निंदनीय है."