रायपुर: एक और दो दिसम्बर को छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है. छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर दलों कर बीच बयानबाजी का शुरू हो गई है. सत्र के पहले ही विपक्ष सत्ता पर आक्रामक है. शुक्रवार को पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने इस विशेष सत्र को लेकर सरकार पर जमकर बरसे हैं.
बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि अभी के मुद्दे पर किसी तरह से चर्चा नहीं हुई है. हम सत्ता द्वारा लाए जा रहे आरक्षण संशोधन विधेयक को पढ़ेंगे. उसके बाद ही जानेंगे कि समर्थन करना है या नहीं. लेकिन जो वातावरण बन रहा है उसमें सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, सरकार 58% रिजर्वेशन को बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई है. छत्तीसगढ़ सरकार 76% आरक्षण देना चाहती है जो देश में सर्वाधिक होगा. क्या सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा आने वाले फैसले को वापस लेगी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरफ कहते हैं कि मैं 81% आरक्षण देने के लिए तैयार हूं तो इस बिल में 76% आरक्षण ही क्यों है. कांग्रेस इस पूरे मामले पर कंफ्यूज है. 10% ईओडब्ल्यू के लिए आरक्षण तय हुआ था. कांग्रेस ने एक बार इसमें सहमति दे दी कि हम तैयार हैं लेकिन जब उनके सहयोगी दल स्टारलिन ने अपत्ति ली तब उन्होंने स्टैंड बदल दिया."
अजय ने साझा करने को कहा है. विधानसभा का विशेष सत्र को लेकर हमें नोटिफिकेशन नहीं मिला था लेकिन कांग्रेस के अधिकृत सोशल मीडिया पेज पर विशेष सत्र की जानकारी डाली गई, यह विधानसभा की अवमानना है. अगर विधानसभा सत्र का नोटिफिकेशन जारी कर रहे हैं तो उन्हें सारे सरकारी काम करने चाहिए जो विधानसभा में होते हैं. पूरी तरह से सरकार आत्मविश्वास खो चुकी है. सरकार को इतनी हड़बड़ी क्यों है ?
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कांग्रेस लाशों पर करती है राजनीति: अजय चंद्राकर ने निशाना साधते हुए कहा कांग्रेस सरकार को इसलिए जल्दी बोल रही है क्योंकि 5 दिसंबर को भानूप्रतापपुर उप चुनाव का मतदान होना है. कांग्रेस को आरक्षण जैसे मुद्दे पर कोई मतलब नहीं है, हम पहले विधानसभा में आने वाले बिल को देखेंगे. अधिकृत चर्चा तो सदन में होगी. आरक्षण के विषय में भारतीय जनता पार्टी के सकारात्मक विचार हैं और रहेंगे समाज का कमजोर वर्ग समाज के मुख्यधारा में शामिल हो यह हमारा स्टैंड है. आरक्षण हमारा राजनीतिक स्टेट नहीं है. अगर मोहन मंडावी स्वर्गवास नहीं होते तो यह विशेष सत्र भी नहीं होता. कांग्रेस लाशों पर राजनीति करती है.
अजय चंद्राकर ने दिया चैलेंज: आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार पूरा सत्र क्यों नहीं बुला रही है. पूरा सत्र बुलाया जाए और उसकी लाइव चर्चा की जाए. अगर उनके हिम्मत है तो इसकी लाइव चर्चा भी कराई जाए. 1 दिन का सत्र दो संकल्प और विधेयक में चर्चा होगी. उसी दिन सारे नियमों को शिथिलीकरण कर दिया जाएगा. मैं संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे से पूछना चाहता हूं कि उनकी सरकार आत्मविश्वास हो चुकी है जो विधेयक लाने से पहले ही भाजपा से समर्थन मांग रही है, वे चर्चा से क्यों भागना चाहते हैं जब इतना महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है, सरकार एक ही दिन में सब क्यों करना चाहती है और 5 तारीख के भानूप्रतापपुर उपचुनाव के पहले ही यह चर्चा क्यों करना चाहते हैं.