रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बीजेपी की दूसरी सूची जारी हो गई है.इस सूची में तीन सांसदों को टिकट दिया गया है. वहीं पहली सूची की बात करें तो एक सांसद को पार्टी ने उम्मीदवार बनाकर उतारा है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि बीजेपी ने लगभग हर संभाग से एक सांसद को टिकट देकर कहीं ना कहीं पूरे संभाग में चुनावी रणनीति से लेकर विरोधियों को चारों खाने चित करने का प्लान बनाया है.ये सांसद मौजूदा विधानसभा चुनाव में ना सिर्फ अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं,बल्कि संभाग के किसी सीट पर यदि विरोध हुआ तो डैमेज कंट्रोल करने के लिए भी तैयार रहेंगे. आईए जानते हैं किन सांसदों पर पार्टी ने जताया भरोसा और क्यों ?
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सांसदों पर भरोसा : पिछला विधानसभा चुनाव बुरी तरीके से हारने के बाद बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतने की रणनीति बनाई है.इसलिए मीटिंग से लेकर उम्मीदवारों के चयन तक पार्टी ने हर एक कदम सोच समझकर उठाया है.इसी कड़ी में पार्टी ने मध्यप्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी सांसदों पर भरोसा जताया है. पहली सूची में जहां दुर्ग सांसद विजय बघेल को पाटन विधानसभा से सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ उतारा गया वहीं दूसरी सूची में भी तीन सांसदों को टिकट देकर बीजेपी ने अपना दाव खेल दिया है.
बीजेपी की दूसरी सूची में तीन सांसद : बीजेपी की दूसरी सूची में बिलासपुर सांसद अरुण साव को लोरमी, सरगुजा सांसद रेणुका सिंह को भरतपुर सोनहत और रायगढ़ सांसद गोमती साव को पत्थलगांव सीट से बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है.यदि आप इन सांसदों की सीटों पर गौर करेंगे तो देखेंगे कि छत्तीसगढ़ के पांच संभागों में से हर एक संभाग में सांसद को उतारा गया है.कांकेर से भी सांसद मोहन मंडावी को चुनाव में उतारने की चर्चा थी.लेकिन मोहन मंडावी ने खुद ही चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया,नहीं तो बस्तर संभाग से भी एक सांसद का विधानसभा में प्रतिनिधित्व देखने को मिलता.
क्या हो सकती है रणनीति ? : बीजेपी की रणनीति पूरी तरह से साफ है. पार्टी हर हाल में छत्तीसगढ़ का चुनाव जीतना चाहती है.इसलिए वो ज्यादातर सीटों पर हल्के उम्मीदवारों का रिस्क नहीं ले रही है.कहीं पुराने प्रत्याशियों के साथ समीकरण को बिठाया गया है.तो कहीं सर्वे के बाद सामने आए नामों पर आलाकमान ने मुहर लगाई है.वहीं फैन फॉलोइंग के आधार पर पार्टी में हाल ही में शामिल हुए प्रत्याशियों को भी पार्टी ने मौका दिया है.ऐसे में ये भी संभव है कि आने वाले दिनों में पार्टी में कई जगह बगावती सुर देखने को मिले.यदि ऐसा हुआ तो उस बगावत को शांत करने की जिम्मेदारी आला नेताओं के साथ विधानसभा चुनाव में उतरे सांसदों की भी होगी.