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सरकारनामा : बघेल की छत्तीसगढ़िया सरकार में कितना अपनापन?

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Published : Dec 16, 2019, 2:00 PM IST

Updated : Dec 17, 2019, 1:24 AM IST

नई सरकार ने छत्तीसगढ़िया संस्कृति और लोक संस्कृति को सहेजे रखने के लिए कई फैसले लिए हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़िया तीज त्योहारों को बड़े ही भव्य तरीके से मना प्रदेशवासियों को छत्तीसगढ़िया सरकार होने का एहसास दिलाते रहे हैं.

छत्तीसगढ़िया सरकार भपेश बघेल
छत्तीसगढ़िया सरकार भूपेश बघेल

रायपुर: छत्तीसगढ़ को लोक प्रदेश के रूप में जाना जाता है. अपनी विशिष्ट परंपराओं और मान्यताओं को सहेजने के उद्देश्य से ही पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का गठन भी किया गया था. हालांकि छत्तीसगढ़ गठन के बाद भी यहां के लोगों के बीच अपनी ही जमीन पर अपनेपन का एहसास कम होने के बजाय बढ़ता गया, लेकिन छत्तीसगढ़ में पिछले साल बनी नई सरकार ने छत्तीसगढ़िया संस्कृति और लोक संस्कृति को सहेजे रखने के लिए कई फैसले लिए हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़िया तीज त्योहारों को बड़े ही भव्य तरीके से मना प्रदेशवासियों को छत्तीसगढ़िया सरकार होने का एहसास दिलाते रहे हैं.

भूपेश बघेल की छत्तीसगढ़िया सरकार

मुख्यमंत्री निवास में पारंपरिक त्योहार मनाने का फैसला
छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद दिसंबर 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी, तो प्रदेश में एक बार फिर ये चर्चा तेज हो गई कि, जिसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ है, वो अब साकार होने वाला है. मतलब एक बार फिर छत्तीसगढ़ अपनी लोक कला, संस्कृति और आदिवासी परंपरा के लिए देश में जाना जाएगा. इसकी झलक भूपेश सरकार के विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह में भी दिखा, जब कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों ने विधानसभा में छत्तीसगढ़ी में ही शपथ ली. हालांकि मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद से जिनकी भी सरकार बनी सभी ने छत्तीसगढ़िया सरकार ही होने का दावा किया, लेकिन वर्तमान सरकार के मुखिया इससे एक कदम आगे बढ़कर मुख्यमंत्री निवास में ही सभी पारंपरिक त्योहारों को मनाने का ऐलान कर दिया.

भूपेश में दिखता है ठेठ छत्तीसगढ़ियापन
दरअसल, सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने ठेठ छत्तीसगढ़ियापन को अपना हथियार बनाया. अधिकांश मौके पर मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी में ही बोलते नजर आए. इसके अलावा मुख्यमंत्री बघेल ने पारंपरिक त्योहार हरेली और तीजा-पोरा पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी, जिसे देखते हुए छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति पर काम करने वालों ने भी इसकी जमकर तारीफ की.

सरकार के तर्क पर विपक्ष के सवाल
हालांकि, विपक्ष इस पर सवाल भी उठा रहे हैं. उसका कहना है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने बंगले में तीज-त्योहार मनाने से यहां की संस्कृति की रक्षा और उसे बढ़ाया नहीं जा सकता. बीजेपी के सच्चिदानंद उपासने ने भूपेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर भूपेश सरकार के यहां की संस्कृति की इतनी चिंता है, तो विपक्ष में रहते हुए उन्होंने कितनी बार अपने घर में ऐसे कार्यक्रम का आयोजन कराये हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ को लोक प्रदेश के रूप में जाना जाता है. अपनी विशिष्ट परंपराओं और मान्यताओं को सहेजने के उद्देश्य से ही पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का गठन भी किया गया था. हालांकि छत्तीसगढ़ गठन के बाद भी यहां के लोगों के बीच अपनी ही जमीन पर अपनेपन का एहसास कम होने के बजाय बढ़ता गया, लेकिन छत्तीसगढ़ में पिछले साल बनी नई सरकार ने छत्तीसगढ़िया संस्कृति और लोक संस्कृति को सहेजे रखने के लिए कई फैसले लिए हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़िया तीज त्योहारों को बड़े ही भव्य तरीके से मना प्रदेशवासियों को छत्तीसगढ़िया सरकार होने का एहसास दिलाते रहे हैं.

भूपेश बघेल की छत्तीसगढ़िया सरकार

मुख्यमंत्री निवास में पारंपरिक त्योहार मनाने का फैसला
छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद दिसंबर 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी, तो प्रदेश में एक बार फिर ये चर्चा तेज हो गई कि, जिसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ है, वो अब साकार होने वाला है. मतलब एक बार फिर छत्तीसगढ़ अपनी लोक कला, संस्कृति और आदिवासी परंपरा के लिए देश में जाना जाएगा. इसकी झलक भूपेश सरकार के विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह में भी दिखा, जब कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों ने विधानसभा में छत्तीसगढ़ी में ही शपथ ली. हालांकि मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद से जिनकी भी सरकार बनी सभी ने छत्तीसगढ़िया सरकार ही होने का दावा किया, लेकिन वर्तमान सरकार के मुखिया इससे एक कदम आगे बढ़कर मुख्यमंत्री निवास में ही सभी पारंपरिक त्योहारों को मनाने का ऐलान कर दिया.

भूपेश में दिखता है ठेठ छत्तीसगढ़ियापन
दरअसल, सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने ठेठ छत्तीसगढ़ियापन को अपना हथियार बनाया. अधिकांश मौके पर मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी में ही बोलते नजर आए. इसके अलावा मुख्यमंत्री बघेल ने पारंपरिक त्योहार हरेली और तीजा-पोरा पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी, जिसे देखते हुए छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति पर काम करने वालों ने भी इसकी जमकर तारीफ की.

सरकार के तर्क पर विपक्ष के सवाल
हालांकि, विपक्ष इस पर सवाल भी उठा रहे हैं. उसका कहना है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने बंगले में तीज-त्योहार मनाने से यहां की संस्कृति की रक्षा और उसे बढ़ाया नहीं जा सकता. बीजेपी के सच्चिदानंद उपासने ने भूपेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर भूपेश सरकार के यहां की संस्कृति की इतनी चिंता है, तो विपक्ष में रहते हुए उन्होंने कितनी बार अपने घर में ऐसे कार्यक्रम का आयोजन कराये हैं.

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रायपुर। छत्तीसगढ़ को लोक प्रदेश के रूप में जाना जाता है अपनी विशिष्ट परंपराओं मान्यताओं विश्वासों और मूल्यों को सहेजने के उद्देश्य के साथ ही पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की कल्पना की गई थी। छत्तीसगढ़ के लोग स्वयं ही अस्मिता को बचाए रखने के लिए छटपटा रहे थे। 19 साल पहले अलग राज्य बन जाने के बाद अपनी ही जमीन से पर अपनेपन का एहसास कम होने के बजाय बढ़ता ही गया। लेकिन छत्तीसगढ़ में पिछले साल भर पहले बनी नई सरकार ने छत्तीसगढ़िया संस्कृति और लोक संस्कृति को सहेजे रखने के लिए कई फैसले लिए हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़िया तीज त्यौहारों को बड़े ही भव्य तरीके से मना कर पूरे प्रदेश में छत्तीसगढ़िया सरकार होने का एहसास दिलाते दिख रहे हैं।Body:
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ओपनिंग पीटीसी

छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद दिसंबर 2018 में जब कांग्रेस पार्टी की राज्य में सरकार बनी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बने. इसके बाद चर्चा होने लगी कि प्रदेश में 15 साल बाद छत्तीसगढ़िया सरकार बनी है. कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों ने विधानसभा में छत्तीसगढ़ी में ही शपथ भी ली. हालांकि मध्यप्रदेश से अलग होकर 2000 में छत्तीसगढ़ का निर्माण हुआ तब से ही यहां जिनकी भी सरकार बनी सभी ने छत्तीसगढ़िया सरकार ही होने का दावा किया. छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़िया तीज त्योहारों पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। इन त्योहारों में हरेली, तीजा, कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस,छठ और भाई दूज जैसे त्यौहारों को शामिल किया गया है, जो कि पूरी तरह से छत्तीसगढ़िया त्यौहार के तौर पर मनाए जाते हैं। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद मुख्यमंत्री निवास में इन पारंपरिक त्यौहारों मैं छत्तीसगढ़िया संस्कृति को संजोने के लिए ना केवल गेड़ी और भौरा चलाते दिखे। तो तीजा त्योहारों में महिलाओं बहनों का अभिनंदन किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद सार्वजनिक मंचों में छत्तीसगढ़ की अस्मिता और संस्कृति को बचाने व सम्मान दिलाने की बात कहते नजर आते है।

बाईट- भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़

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दरअसल सत्ता में आने के बाद से कांग्रेस ने यहां के ठेठ छत्तीसगढ़ियापन को सबसे पहले अपना हथियार बनाया। सीएम भूपेश बघेल भी ठेठ छत्तीसगढ़ी में अपना भाषण देते हैं। अधिकांश मौकों पर वे छत्तीसगढ़ी में बोलते नजर आते हैं। उन्होंने इसकी शुरुआत यहां के पारंपरिक त्यौहार हरेली आैर तीजा पोरा की छुटि‌टयां घोषित कर की। इसके बाद हरेली के दौरान सीएम हाउस से ही गेड़ी पर चढ़कर सीएम भूपेश निकले। जबकि तीजा पोरा के दौरान महिलाआें के लिए सीएम हाउस में तीज मिलन आैर बच्चों को पोरा बांटकर त्योहार मनाया गया। हरेली तीजा भाईदूज, कर्मा जयंती और विश्व आदिवासी दिवस छत्तीसगढ़ के बड़े पर्वो में विडंबना यह थी कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 19 सालों बाद भी कोई छुट्टियां नही मिलती थी। ऐसे में छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के निर्णय का ना केवल राजनीतिक विशेषज्ञों बल्कि लोक संस्कृति के विशेषज्ञों ने भी राज्य सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। पद्मश्री मीर अली मीर अपने अंदाज में सरकार के इस निर्णय और छत्तीसगढ़िया संस्कृति को बढ़ावा देने के प्रयास को सराहा है।

बाईट- रमेश नैय्यर, वरिष्ठ पत्रकार
बाईट- मीर अली मीर, पद्मश्री लोक कवि


वीओ 3

वहीं दूसरी ओर विपक्ष के नेताओ का कहना है कि राज्य सरकार के मुखिया भोले भाले छत्तीसगढ़ के लोगो को इन सब जाल में फांस रहे है। छत्तीसगढ़ में सालों से हरेली, तीजा पोला त्योहार यहाँ के लोग मनाते आ रहे है। अगर इतनी ही चिंता थी तो पहले कभी अपने बंगलो में ऐसा आयोजन क्यो नही किए।

बाईट- सच्चिदानंद उपासने, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

Conclusion:फाइनल वीओ

छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण जिन बहुत से सपनों के साथ हुआ था , उनमें से एक सपना यहां के लोक कला संस्कृति को सहेजने और सम्मान दिलाने का भी था। राज्य तो बन गया लेकिन यहां की संस्कृति और कला को सजना सवारना और सम्मान दिलाना सही मायनों में साकार नहीं हो पाया था। गांव, किसान, खेत, जंगल और आदिवासी जहां के तहां खड़े रहे लेकिन अब जाकर स्थानीय सरकार ने ना केवल तीज त्योहारों को सरकारी छुट्टियां दिलवाई गई बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भी इन तीज त्यौहारों और संस्कृति को सम्मान दिलाने में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

पीटीसी

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत रायपुर
Last Updated : Dec 17, 2019, 1:24 AM IST
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