रायपुर: छत्तीसगढ़ के नवीन विधानसभा भवन का भूमिपूजन 29 अगस्त को दोपहर 12 बजे सांसद सोनिया गांधी और राहुल गांधी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया जाएगा. बता दें कि छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर अटल नगर में विधानसभा का नवीन भवन बनेगा. भूमिपूजन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू, संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे, विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी सहित कई मंत्री, सांसद, संसदीय सचिव और विधायक मौजूद रहेंगे.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के नवीन विधानसभा भवन का निर्माण महानदी और इन्द्रावती भवन के पीछे स्थित 51 एकड़ जमीन पर किया जाएगा. नवीन भवन 52 हजार 497 वर्गमीटर में तैयार किया जाएगा. भवन में विधायकों की बैठक क्षमता के हिसाब से सदन का निर्माण और अध्यक्षीय दीर्घा, अधिकारी दीर्घा, प्रतिष्ठित दर्शक दीर्घा, पत्रकार दीर्घा और दर्शक दीर्घा का निर्माण किया जाएगा.
कई कक्षों का किया जाएगा निर्माण
वहीं विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, मंत्रियों, नेता प्रतिपक्ष, उपाध्यक्ष, मुख्य सचिव, विधानसभा के प्रमुख सचिव और अन्य सचिव के लिए कक्ष, मीटिंग हॉल और स्टाफ कक्षों का निर्माण किया जाएगा. नवीन भवन में विभिन्न समिति कक्षों का निर्माण, पुस्तकालय, एलोपैथिक, होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक औषधालय, पोस्ट ऑफिस, रेलवे रिजर्वेशन काउंटर और बैंक के लिए भी कक्षों का निर्माण किया जाएगा. वहीं विधानसभा के चारों ओर सड़क निर्माण और पौधरोपण सहित सौंदर्यीकरण का काम किया जाएगा.
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बता दें कि छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद सत्ता में वापसी करते ही कांग्रेस सबसे पहले प्रदेश के हर जिले में अपना कार्यालय बनाने में जुट गई है. जिस पर अब सियासी घमासान मचा है. कांग्रेस और बीजेपी में इसी बात को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है.
कांग्रेस को नए कार्यालयों से कितना मिलेगा लाभ ?
बहरहाल, कांग्रेस ने प्रदेश के 22 जिलों में कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. पार्टी की ओर से इस बात के भी संकेत दिए गए हैं कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव इन्हीं कार्यालयों से संचालित होंगे. अब देखने वाली बात है कि आने वाले समय में कांग्रेस को इन कार्यालयों का कितना लाभ मिलता है या फिर बीजेपी की तरह कांग्रेस भी चुनाव में बुरी तरह हार का मुंह देखेगी, क्योंकि भाजपा के द्वारा नए प्रदेश कार्यालय से चुनाव लड़ने के बाद पार्टी को बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा है.