रायपुर: भाई दूज जिसे भैया दूज के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्व आज छत्तीसगढ़ में मनाया जाएगा. इस दिन बहने अपने भाइयों को टीका लगाकर पूजा करती है. बहन की रक्षा के साथ ही भाई बहन का यह अटूट रिश्ता हमेशा बना रहे इसके लिए भी बहने कामना करती हैं.
ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश शर्मा ने बताया कि भाई दूज का पर्व कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहने अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं. इस बार भाई दूज तिलक का मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 11 मिनट से दोपहर 3 बजकर 17 मिनट तक रहेगा.
क्यों मनाया जाता है भाई दूज?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा की दो संतानें थी. एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना. संज्ञा भगवान सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण अपनी छाया मूर्ति का निर्माण कर उसे ही अपने पुत्र और पुत्री को सौंपकर वहां से चली गई. छाया को यम और यमुना से किसी प्रकार का लगाव नहीं था. लेकिन यम और यमुना में बहुत प्रेम था.
यम से नाराज थी यमुना
यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्यार करते थे, लेकिन ज्यादा काम होने के कारण अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते थे. जिससे यमुना नाराज हो गई थीं. एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने के लिए उनसे मिलने चले गए. यमुना अपने भाई को देखकर खुश हो गई. भाई के लिए खाना बनाया और उनका आदर सत्कार किया. बहन का प्यार देखकर यमराज इतने खुश हुए कि उन्होंने यमुना को खूब सारी भेंट दी. यम जब बहन से मिलने के बाद विदा लेने लगे तो बहन यमुना से वरदान मांगने के लिए कहा. यमुना ने उनके इस आग्रह को सुनकर कहा कि अगर आप मुझे वर देना ही चाहते हैं, तो वहीं वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आएंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे. कहा जाता है कि इसी के बाद से हर साल भाई दूज का यह पर्व मनाया जाता है.
छत्तीसगढ़ की अनोखी परंपरा
छत्तीसगढ़ में इस पर्व में की जाने वाली पूजा थोड़ी अलग है. इस दिन बहने अपनें भाई को विपत्ति से बचाने के लिए श्राप देती हैं. मान्यता है कि, दूज के दिन भाई की हड्डियों में श्राप रहने से उनकी रक्षा होती है. हालांकि श्राप देने की वजह से बाद में बहने अपनी जीभ में कांटे भी चुभाती हैं.
भाई की लंबी उम्र की कामना
इस पूजा में गाय के गोबर से भौरा और जौरा के प्रतीकात्मक पुतले बनाकर बहनें उसे मूसल, ईंट और पत्थरों से कूटती हैं. भाइयों के दुश्मन के प्रतीक के रूप में यह रिवाज किया जाता है. इस पूजा के बाद बहने भाई को नारियल, मिठाई और चने का प्रसाद खिलाती हैं और तिलक लगाकर आरती उतारकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं.