रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इन दिनों शहर के अलग-अलग हिस्सों में भागवत कथा का आयोजन चल रहा है. कोरोनाकाल और लॉकडाउन के दौरान जिन परिजनों ने अपनों को खोया है या फिर अंतिम संस्कार जैसे धार्मिक आयोजन नहीं करा पाए थे. ऐसे परिजन अब मृत आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए भागवत कथा का आयोजन करवा रहे हैं. कोरोना की रफ्तार कम होने के बाद शहर के बहुत से जगहों पर भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है.
रायपुर में कई जगहों पर भागवत कथा का आयोजन : छत्तीसगढ़ में मार्च 2020 से लेकर अब तक लगभग 14 हजार से अधिक लोगों की मौत कोरोना की वजह से हुई है. कोरोना की गाइडलाइन और सख्ती के कारण परिजन मृतकों का पूरे रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार भी नहीं करा पाए. लॉकडाउन और कोरोना के कारण मृतकों के परिजन अस्थि विसर्जन के लिए गंगा या फिर इलाहाबाद नहीं पहुंच पाए. रायपुर जिले में लगभग 1100 जगहों पर भागवत कथा का आयोजन चल रहा है. अकेले राजधानी में लगभग 200 जगहों पर धार्मिक अनुष्ठान भागवत कथा का आयोजन हो रहा है. इतनी संख्या में भागवत कथा का आयोजन हो रहा है कि लोगों को पंडित या फिर भागवताचार्य भी नहीं मिल पा रहे हैं. लोग ऐसे समय में भागवत कथा का आयोजन कराने को तैयार हैं. लेकिन उन्हें आने वाले दो-तीन महीनों के लिए वेटिंग मिला हुआ है.
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ललित कुमार देवांगन ने बताया कि लगभग साल भर पहले कोरोना की वजह से उनके पिता की मौत हो गई थी. लेकिन अंतिम संस्कार पूरे रीति रिवाज से नहीं हो पाया था. ऐसी स्थिति में परिवार के लोगों ने मार्च के महीने में वार्षिक श्राद्ध के साथ ही भागवत कथा का आयोजन कराया है. ताकि मृत आत्मा को मोक्ष मिल सके.
देव कुमार देवांगन ने बताया कि आज से लगभग डेढ़ साल पहले कोरोना काल के दौरान उनकी माता का निधन हो गया था. लेकिन लॉकडाउन और कोरोना की वजह से अस्थि विसर्जन के लिए गंगा या फिर इलाहाबाद नहीं जा पाए थे. कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम होने के बाद 2 महीने के बाद अपनी माता के अस्थि का विसर्जन देव कुमार देवांगन ने किया. उस समय उन्हें कई तरह की समस्याएं भी झेलनी पड़ी. उन्होंने बताया कि अपनी मां की मृत आत्मा की शांति के साथ ही दूसरे पूर्वजों के लिए दिसंबर 2021 में भागवत कथा का आयोजन कराया. जिससे मृत आत्मा को मोक्ष मिल सके.
भागवत कथा का महत्व : ETV भारत ने भागवताचार्य पंडित आशुतोष झा से बात की तो उन्होंने बताया कि काम, क्रोध, मद, लोभ इन चीजों से मुक्ति पाने के लिए भागवत कथा का आयोजन कराया जाता है. किसी अन्य मार्ग से मृत आत्मा को शांति नहीं मिलती है. तब श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कराते हैं. भागवत कथा के पद्म पुराण के 6 अध्याय में इसका वर्णन है. कोरोना की वजह से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन रुक सा गया था. लेकिन अब भागवत कथा करवाने के लिए लोगों के इतने फोन आ रहे हैं कि पंडितों की संख्या भी कम पड़ने लगी है'.
भागवताचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि 18 पुराणों में श्रीमद्भागवत को महापुराण का दर्जा दिया गया है. श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. मृत आत्मा की तृप्ति मोक्ष और शांति के लिए श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कराया जा रहा है.
इस विषय में पंडित डीके दुबे का कहना है कि श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कराना अच्छी बात है. लेकिन उसके पहले त्रिवेणी या फिर इलाहाबाद जाकर मृत आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करना चाहिए. इसके साथ ही गरुड़ पुराण भी सुनना चाहिए. गौ दान ना करके वृषभ का दान करना चाहिए. यह दान भी महत्वपूर्ण दान कहलाता है. इससे भी मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है.