रायपुर: बस्तर संभाग में विधानसभा की 12 और लोकसभा की दो सीटें हैं. विधानसभा की सभी 12 और लोकसभा की एक सीट कांग्रेस के पास है. बस्तर संभाग की दोनों लोकसभा सीटों पर 20 साल तक कांग्रेस को जीत के लिए तरसाने वाली भाजपा अब खुद ही यहां जीत के तरस रही है. यहां की केवल 1 लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है. छत्तीसगढ़ की सत्ता बस्तर से होकर गुजरती है. यह भी कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ के सत्ता की चाभी बस्तर संभाग है, जिसे फतह करने के लिए अब भाजपा ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बाद अब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का ताबड़तोड़ छत्तीसगढ़ दौरा इसी ओर इशारा कर रहा है.
रक्षामंत्री ने भी धर्मांतरण के मुद्दे को दी हवा: धर्मांतरण को लेकर भाजपा पहले से ही कांग्रेस पर हमलावर है. सबसे ज्यादा धर्मांतण की शिकायत भी बस्तर संभाग से आती हैं. ऐसे में 1 जुलाई को कांकेर पहुंचे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने न केवल धर्मांतरण के मुद्दे को हवा दी, बल्कि कांग्रेस सरकार को घेरा भी. रक्षामंत्री ने भूपेश बघेल सरकार को धर्मांतरण रोकने में नाकाम बताया और इस पर केंद्र से मदद न लेने का इल्जाम भी लगाया. भूपेश सरकार पर घपले घोटाले का आरोप लगाते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने केंद्र में भाजपा सरकार की 9 साल की उपलब्धियां गिनाई और रमन सिंह के 15 साल के काम काज का लेखा जोखा रखा.
भारतीय जनता पार्टी के राज्य इकाई के नेताओं को प्रदेश की जनता ने नकार दिया है. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को भी प्रदेश के नेताओं पर भरोसा नहीं है. अब तक मोदी सरकार के मंत्रियों ने लगभग 150 बार छत्तीसगढ़ का दौरा किया है. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व चुनाव को देखते हुए आ रहे हैं. लेकिन प्रदेश की जनता को पता है कि यह वादाखिलाफी करने वाले लोग हैं, यह महंगाई बढ़ाने वाले, किसानों के विरोध में काम करने वाले हैं. यह जितनी बार छत्तीसगढ़ में आएंगे कांग्रेस को मजबूती मिलेगी और कांग्रेस की सीटें बढ़ेगी.-धनंजय सिंह ठाकुर, प्रवक्ता, कांग्रेस
विधानसभा चुनाव 2023 में भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ में बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाने वाली है. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को भूपेश बघेल पर भरोसा नहीं हुआ तो अब सामूहिक नेतृत्व की बात होने लगी है. सामूहिक नेतृत्व के साथ साथ में अब बाबा को ले आए हैं. छत्तीसगढ़ में टीएस बाबा ही नहीं, अगर राहुल बाबा को भी यह लेकर आएंगे तो कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है. -डॉ रमन सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा
2018 हारने के बाद से बस्तर पर है भाजपा का फोकस: विधानसभा चुनाव 2018 हारने के बाद से ही भाजपा का फोकस बस्तर पर है. 2018 में भाजपा की प्रदेश प्रभारी बनीं डी पुरंदेश्वरी जब भी छत्तीसगढ़ दौरा करती, बस्तर जरूर जातीं. प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के विधानसभा क्षेत्र कोंडागांव में वे जरूर जातीं. उनकी चिंता का कारण बस्तर था. आज वर्तमान भारतीय जनता पार्टी के प्रभारी ओम माथुर की चिंता का कारण भी बस्तर है. कुछ दिन पहले ओम माथुर का हेलीकॉप्टर से बस्तर दौरा हुआ था. बस्तर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का हाल ही में आना हुआ. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी भी आए और अब केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांकेर में बड़ी सभा ली है. दरअसल भाजपा अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाना चाहती है. इसलिए लगातार उनका फोकर बस्तर पर ही है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही जानती हैं कि छत्तीसगढ़ में सत्ता की निर्धारण बस्तर और सरगुजा संभाग के विधानसभा सीटों से ही होता है. इसी कड़ी में राजनाथ सिंह भी बस्तर को साधने पहुंचे.
राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में धर्मांतरण का जिक्र किया. पूर्व में भी भारतीय जनता पार्टी ने बस्तर में हो रहे धर्मांतरण का मुद्दा उठाया था. धर्मांतरण का मुद्दा अभी भी भाजपा के पास है. 2023 के विधानसभा चुनाव में बस्तर में धर्मांतरण का मुद्दा भी हावी रहेगा. भाजपा अपने खोए हुए आदिवासी सीटों को पाने की कवायद में लगी हुई है और बस्तर संभाग उनकी प्राथमिकता में है. -अनिरुद्ध दुबे, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषण
ये है बस्तर संभाग का चुनावी गुणा गणित: अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से बस्तर कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. सन 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर भी कांग्रेस की सरकार थी. उस दौरान कांग्रेस के पास बस्तर से 11 विधानसभा सीटें थीं. 2003 में विधानसभा चुनाव के समय से बस्तर का राजनीतिक समीकरण बदलने लगा. 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बस्तर संभाग की 8 सीटें हासिल की. 2008 विधानसभा चुनाव में 11 सीटों पर भाजपा को जीत मिली. 2013 के विधानसभा चुनाव से भाजपा का बस्तर क्षेत्र में एकतरफा प्रभाव नहीं था. 2013 विधानसभा चुनाव में बस्तर संभाग की 12 सीटों में सिर्फ 4 सीटें भाजपा को मिलीं, वहीं 8 सीटों पर कांग्रेस जीतकर आई. 2018 विधानसभा चुनाव में बस्तर में 11 सीटों पर कांग्रेस आई और 1 सीट पर भाजपा के भीमा मंडावी जीते. नक्सली हमले में भीमा मंडावी की शहादत के बाद उपचुनाव हुए और यह सीट भी कांग्रेस के खाते में चली गई. वर्तमान में बस्तर संभाग की सभी 12 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है.
बस्तर संभाग में हैं 12 विधानसभा सीटें: बस्तर संभाग में कुल 12 विधानसभा सीटें हैं. 12 विधानसभा सीटों में 11 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं और एक सीट सामान्य वर्ग के लिए है. इनमें अंतागढ़, भानूप्रतापपुर, कांकेर, केशकाल, कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, बीजापुर यह सभी सीटें अनुसूचित जनजाति की आरक्षित हैं. वहीं जगदलपुर विधानसभा सीट सामान्य है.
20 साल के बाद कांग्रेस ने चखा था जीत का स्वाद: बस्तर संभाग की दो लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को 1999 के बाद 2019 के चुनाव में जीत नसीब हुई. बस्तर से कांग्रेस के दीपक बैज ने भाजपा के बैदू राम कश्यप को शिकस्त दी. हालांकि कांग्रेस के बीरेश ठाकुर करीबी मुकाबले में भाजपा के मोहन मंडावी से हार गए. ऐसे में भाजपा 2024 इलेक्शन को लेकर अभी से ही बस्तर संभाग की दोनों लोकसभा सीटों को साधने में जी जान से जुट गई है.
बस्तर है छत्तीसगढ के सत्ता की चाभी: माना जाता है कि प्रदेश में अगर सत्ता में आना है तो बस्तर का किला फतह करना जरूरी है. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी अपने पुराने किले को फिर से फतह करने में जी जान से जुटी हुई है. इसलिए भाजपा के प्रदेश प्रभारी के साथ-साथ केंद्रीय नेतृत्व का भी बस्तर दौरा हो रहा है. विधानसभा चुनाव 2023 और लोकसभा चुनाव 2024 में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की सभा का कितना असर होगा यह आने वाले समय में पता चलेगा.