ETV Bharat / state

Bakrid 2019: बकरीद आज, जानिए कुर्बानी की ये कहानी - state news

बकरीद या ईद-उल-अजहा या ईद-उल जुहा का पर्व रमजान के पवित्र महीने के खत्‍म होने के लगभग 70 दिनों के बाद मनाया जाता है.इस त्योहार को मुख्‍य रूप से कुर्बानी के पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है.

डिजाइन इमेज
author img

By

Published : Aug 11, 2019, 11:46 PM IST

रायपुरः आज बकरीद या ईद-उल-अजहा या ईद-उल जुहा है. ये पर्व रमजान के पवित्र महीने के खत्‍म होने के लगभग 70 दिनों के बाद मनाया जाता है. बकरीद का त्‍योहार मुख्‍य रूप से कुर्बानी के पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है. इस्‍लाम धर्म में ईद के बाद बकरीद सबसे प्रमुख त्‍योहार है.

कुर्बानी के पीछे की कहानी
इस्‍लाम को मानने वाले लोगों के लिए बकरीद का विशेष महत्‍व है. इस्‍लामिक मान्‍यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे. तब अल्लाह ने उनके नेक जज्‍बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवनदान दे दिया. यह पर्व इसी की याद में मनाया जाता है. इसके बाद जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून शुरू हो गया.

हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. जब अपना काम पूरा करने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिन्‍दा खड़ा हुआ देखा. बेदी पर कटा हुआ दुम्बा (सउदी में पाया जाने वाला भेंड़ जैसा जानवर) पड़ा हुआ था, तभी से इस मौके पर कुर्बानी देने की प्रथा है.

रायपुरः आज बकरीद या ईद-उल-अजहा या ईद-उल जुहा है. ये पर्व रमजान के पवित्र महीने के खत्‍म होने के लगभग 70 दिनों के बाद मनाया जाता है. बकरीद का त्‍योहार मुख्‍य रूप से कुर्बानी के पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है. इस्‍लाम धर्म में ईद के बाद बकरीद सबसे प्रमुख त्‍योहार है.

कुर्बानी के पीछे की कहानी
इस्‍लाम को मानने वाले लोगों के लिए बकरीद का विशेष महत्‍व है. इस्‍लामिक मान्‍यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान करने जा रहे थे. तब अल्लाह ने उनके नेक जज्‍बे को देखते हुए उनके बेटे को जीवनदान दे दिया. यह पर्व इसी की याद में मनाया जाता है. इसके बाद जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून शुरू हो गया.

हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. जब अपना काम पूरा करने के बाद पट्टी हटाई तो उन्होंने अपने पुत्र को अपने सामने जिन्‍दा खड़ा हुआ देखा. बेदी पर कटा हुआ दुम्बा (सउदी में पाया जाने वाला भेंड़ जैसा जानवर) पड़ा हुआ था, तभी से इस मौके पर कुर्बानी देने की प्रथा है.

Intro:Body:

bakrid


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.