रायपुर: 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद एक बार फिर 19 दिनों के लिए इसे आगे बढ़ा दिया गया है. इन सबके बीच ऐसे शहर, जहां कोरोना वायरस का प्रकोप कम है, वहां सरकार कुछ शर्तों के साथ चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन में छूट देने की बात कही है, जिससे अर्थव्यवस्था और दिहाड़ी मजदूरों को थोड़ी राहत मिल सके, लेकिन इन 21 दिनों में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों पर मानो पहाड़ टूट गया है. लॉकडाउन के कारण रोज कमाने खाने वाले परिवार पर रोजी-रोटी का संकट है. इन्हीं में से एक मोटर मेकैनिक हैं, जिनकी दुकानें बीते 21 दिनों से बंद हैं और अगले 19 दिनों खुलने के आसार नहीं है.
गाड़ी मेकैनिक खिलेश्वर झा बताते हैं, लॉकडाउन के शुरुआत से ही दुकानें बंद करा दी गई है, जिससे उनके परिवार के सामने अब खाने-पीने की परेशानी आ गई है. खिलेश्वर ऐसे असंगठित वर्ग से आते हैं, जो रोज कमाते और खाते हैं. इनका न तो सरकार के पास डेटा है और ना ही इन्हें कहीं से कोई वित्तीय मदद मिलती है. बस एक सहारा है. राशन कार्ड, लेकिन वहां भी सिर्फ अनाज ही मिलता है. फिलहाल ये भाई रिस्तेदार से मदद ले रहे हैं.
कब तक मदद करेंगे दोस्त-रिस्तेदार ?
रोज कमाने और खाने वाले ऐसे असंगठित क्षेत्र के लोग फिलहाल तो जी रहे हैं, लेकिन दोस्त-रिस्तेदार और परिवार कितने दिनों तक मदद करेंगे. अब सबकुछ जल्द ही पटरी में नहीं लौटा, तो हालात ऐसे लोगों के लिए बद से बदतर हो जाएंगे, जिसकी भरपाई करना मुश्किल होगा. कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें इस नुकसान की भरपाई में कई दशक लग जाएंगे.