ETV Bharat / state

Azadi ka amrit mahotshav  स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित रामदयाल तिवारी की कहानी

आजादी की लड़ाई में ऐसे कई नाम हैं जो लोगों को जुबानी याद हैं. लेकिन कुछ नाम ऐसे हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में ना सिर्फ हिस्सा लिया बल्कि अपने योगदान की अमिट छाप छोड़ी.

Azadi ka amrit mahotshav
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित रामदयाल तिवारी की कहानी
author img

By

Published : Aug 10, 2022, 5:22 AM IST

Updated : Aug 13, 2022, 11:38 AM IST

रायपुर : आजादी के 75वीं वर्षगांठ (Azadi ka amrit mahotshav) के मौके पर देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा (Story of Freedom Fighter Pandit Ramdayal Tiwari) है. इस खास मौके पर हम आपको ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर के आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्हीं में से एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पण्डित रामदयाल तिवारी थे. इतिहासकार रमेन्द्र नाथ मिश्र ने बताया कि '' छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय आंदोलन में राजनीतिक और बौद्धिक चेतना की दृष्टि से पंडित रामदयाल तिवारी एक समवाहक के रूप में रूप है. जिनके नाम से रायपुर में पंडित आरडी तिवारी स्कूल भी है. पंडित रामदयाल तिवारी का नाम पूरे देश में गांधी मीमांसा नामक पुस्तक लिखने से हुआ जो कि काफी बड़ी किताब है, इस किताब की प्रशंसा गांधी जी और पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने भी की थी.''



कैसे लिया आजादी की लड़ाई में हिस्सा : इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया "आजादी की लड़ाई में भाग लेने के साथ साथ पंडित रामदयाल तिवारी जी रचनात्मक लेखन से उन्होंने में देश को आजाद कराने के लिए जन जागरूकता का काम किया था. युवकों के लिए उन्होंने स्वराज प्रस्तुति की पुस्तक लिखी थी.इसके अलावा हमारे नेता नामक किताब युवकों के लिए लिखा था. उनके बहुत सारे लेख देश के समाचार पत्रों में छपते रहे. हिंदी सम्मेलन और राजनीतिक सम्मेलनों में बहुत सारी जिम्मेदारियों को निभाया. उनने जीवन में कोई कठिनाई नहीं थी. वो पढ़ने में होशियार थे. ऐसे में हर बाधाओं को उन्होंने आसानी से पार किया. आनंद समाज लाइब्रेरी के सामने पंडित रामदयाल तिवारी का निवास हुआ करता था. उनकी बेटी की शादी भारत छोड़ो आंदोलन के युवा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित रामानंद दुबे से हुआ था."

ये भी पढ़ें- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी घनश्याम सिंह गुप्त...जिन्होंने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका


छत्तीसगढ़ के लिए काम : इतिहासकार ने बताया कि '' पंडित रामदयाल तिवारी ने देश के साथ साथ छत्तीसगढ़ के लिए समर्पित भाव से काम किया . शिक्षा के क्षेत्र में उनकी अच्छी सानी थी और भी अंग्रेजी में भी उनकी पकड़ बहुत अच्छी थी. अंगेजी में भी उन्होंने महात्मा गांधी पर किताब लिखी. इस दृष्टि से हम देखते है पंडित रामदयाल तिवारी आज की युवा पीढ़ी के लिए उनका जीवन आदर्श है. उन्होंने शिक्षा को लेकर भी बहुत अच्छा काम किया और बहुत लगन और मेहनत से उन्हें आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़कर भाग लिया.''

रायपुर : आजादी के 75वीं वर्षगांठ (Azadi ka amrit mahotshav) के मौके पर देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा (Story of Freedom Fighter Pandit Ramdayal Tiwari) है. इस खास मौके पर हम आपको ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर के आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्हीं में से एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पण्डित रामदयाल तिवारी थे. इतिहासकार रमेन्द्र नाथ मिश्र ने बताया कि '' छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय आंदोलन में राजनीतिक और बौद्धिक चेतना की दृष्टि से पंडित रामदयाल तिवारी एक समवाहक के रूप में रूप है. जिनके नाम से रायपुर में पंडित आरडी तिवारी स्कूल भी है. पंडित रामदयाल तिवारी का नाम पूरे देश में गांधी मीमांसा नामक पुस्तक लिखने से हुआ जो कि काफी बड़ी किताब है, इस किताब की प्रशंसा गांधी जी और पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने भी की थी.''



कैसे लिया आजादी की लड़ाई में हिस्सा : इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया "आजादी की लड़ाई में भाग लेने के साथ साथ पंडित रामदयाल तिवारी जी रचनात्मक लेखन से उन्होंने में देश को आजाद कराने के लिए जन जागरूकता का काम किया था. युवकों के लिए उन्होंने स्वराज प्रस्तुति की पुस्तक लिखी थी.इसके अलावा हमारे नेता नामक किताब युवकों के लिए लिखा था. उनके बहुत सारे लेख देश के समाचार पत्रों में छपते रहे. हिंदी सम्मेलन और राजनीतिक सम्मेलनों में बहुत सारी जिम्मेदारियों को निभाया. उनने जीवन में कोई कठिनाई नहीं थी. वो पढ़ने में होशियार थे. ऐसे में हर बाधाओं को उन्होंने आसानी से पार किया. आनंद समाज लाइब्रेरी के सामने पंडित रामदयाल तिवारी का निवास हुआ करता था. उनकी बेटी की शादी भारत छोड़ो आंदोलन के युवा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित रामानंद दुबे से हुआ था."

ये भी पढ़ें- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी घनश्याम सिंह गुप्त...जिन्होंने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका


छत्तीसगढ़ के लिए काम : इतिहासकार ने बताया कि '' पंडित रामदयाल तिवारी ने देश के साथ साथ छत्तीसगढ़ के लिए समर्पित भाव से काम किया . शिक्षा के क्षेत्र में उनकी अच्छी सानी थी और भी अंग्रेजी में भी उनकी पकड़ बहुत अच्छी थी. अंगेजी में भी उन्होंने महात्मा गांधी पर किताब लिखी. इस दृष्टि से हम देखते है पंडित रामदयाल तिवारी आज की युवा पीढ़ी के लिए उनका जीवन आदर्श है. उन्होंने शिक्षा को लेकर भी बहुत अच्छा काम किया और बहुत लगन और मेहनत से उन्हें आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़कर भाग लिया.''

Last Updated : Aug 13, 2022, 11:38 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.