रायपुर : कालसर्प दोष ज्योतिष शास्त्र में एक प्रकार का दोष है. जिसे कालसर्प योग या कालसर्प दोष के नाम से जाना जाता है. इसे किसी जातक के जन्मकुंडली में राहु और केतु ग्रह के कुंडली के सभी ग्रहों से जोड़े जाने पर पाया जाता है. ज्यादातर ज्योतिष विशेषज्ञ इसे एक नकारात्मक योग मानते हैं. जो किसी व्यक्ति के जीवन में अभाग्यशाली प्रभाव डालता है.
कालसर्प दोष के लक्षण
- स्वप्न में भयानक सपने आना
- धन संबंधी परेशानियां या धन की समस्याएं
- परिवार में अनबन, आत्महत्या या बढ़ती हुई मुसीबतें
- स्वास्थ्य से सम्बंधित चिंताएं और बीमारियां
- विवाह में देरी या विवाह नहीं हो पाना
- करियर में स्थायी समस्याएं या बढ़ती हुई अस्थिरता
कालसर्प दोष के उपाय
- कालसर्प दोष शांति पूजा: कालसर्प दोष को दूर करने के लिए कालसर्प शांति पूजा करवाने से लाभ होता है. यह पूजा किसी पंडित या प्राचीन मंदिर में करवाई जा सकती है.
- रहस्यमयी मंत्र: कुछ रहस्यमयी मंत्रों का जाप भी कालसर्प दोष को दूर करने में मदद कर सकता है.यह मंत्र केवल ज्ञानी गुरु के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए.
- दान: कालसर्प दोष को कम करने के लिए धार्मिक दान करने का भी महत्व है. सर्प दान, सर्प प्रतिष्ठा, सर्प शांति जैसे दान उपाय किए जा सकते हैं.
- मानसिक शांति: आपकी मानसिक शांति भी आपको कालसर्प दोष से बचने में मदद कर सकती है. ध्यान, योग, और प्राणायाम की अभ्यास करना भी आपकी मानसिक शांति को बढ़ाने में मदद करेगा.
- कुंडली विशेषज्ञ से परामर्श: कालसर्प दोष को ठीक करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है कुंडली विशेषज्ञ से परामर्श करना. उन्हें आपके जन्मकुंडली को देखकर सटीक उपाय बताया जा सकता है.
कालसर्प दोष पर ज्योतिष की राय : ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉक्टर महेंद्र कुमार ठाकुर ने कालसर्प दोष को लेकर अनुभव बताएं. महेंद्र ठाकुर के मुताबिक बहुत से लोग जिन्होंने कालसर्प योग की शांति करवाई. उसके 100 दिनों के अंदर किसी को लकवा मार दिया, किसी को मेजर एक्सीडेंट का शिकार होना पड़ा. कुछ को हाथ पैर हमेशा के लिए कटवाने पड़े. इसका आशय ये है कि कालसर्प योग की शांति नहीं करवानी चाहिए. अन्यथा इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं. अनेक ज्योतिषी हर एक जातक को उसकी कुंडली में कालसर्प योग बता देते हैं. उसकी शांति करवा देते हैं. जबकि कुंडली में ऐसा कुछ होता ही नहीं. ऐसी स्थिति में जातक बर्बाद तो नहीं होता पर मानसिक शांति खो देता है.
''कालसर्प योग तो होता ही नहीं है. वस्तुत वह कालसर्प दोष है. जिसकी शांति महामृत्युंजय के सवा लाख अनुष्ठान से हो जाती है. अनुष्ठान के पश्चात राहु और केतु की नकारात्मकता समाप्त हो जाती है.कुंडली के बली ग्रह, शुभ ग्रह, राजयोग दाता ग्रह अपना फल देना प्रारंभ कर देते हैं,जातक का जीवन सुखी संतुष्ट और आनंदमय हो जाता है.''-डॉ महेंद्र ठाकुर,ज्योतिषाचार्य
कालसर्प योग नहीं कालसर्प दोष की करवाएं शांति : महामृत्युंजय के अनुष्ठान से वैसे भी किसी भी जातक को कोई नुकसान नहीं होता लाभ ही होता है. उसके स्वास्थ्य में वृद्धि होती है. वह निरोग रहता है, और जब व्यक्ति निरोग रहेगा. मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेगा तो वह बली भी होगा. उसकी कार्य के प्रति रुचि भी बढ़ेगी क्षमता भी बढ़ेगा समर्पण भी बढ़ेगा.''
नोट : यह उपाय आम ज्ञान के आधार पर बताए गए हैं. लेकिन ध्यान रहे कि किसी भी उपाय को करने से पहले, एक विशेषज्ञ के साथ परामर्श करना सर्वोत्तम होता है.