रायपुर : देशभर में 7 मई को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी. इस तिथि को अक्षय तृतीया और आखा तीज भी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु और उनके अवतार भगवान परशुराम की पूजा-अर्चना करने का भी विधान है.
इस माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि तो अत्यंत ही शुभकारी और सौभाग्यशाली मानी जाती है. मान्यता है कि इस दिन उपवास और सत्तू ककड़ी और चना दाल का भोग अर्पित करना चाहिए. इस व्रत का फल न कभी कम होता है और न नष्ट होता है, इसलिए इसे अक्षय (कभी न नष्ट होने वाला) तृतीया कहा जाता है. इस दिन किए गए कर्म अक्षय हो जाते हैं.
जूता-चप्पल दान करने का विशेष महत्व
इस दिन साक्षी मिट्टी का घड़ा, मौसमी फल, हाथ से चलने वाली पंछी, अनाज, गर्मी से बचाने वाले जूता-चप्पल का दान करने का विशेष महत्व है. ज्योतिष अरुणेश शर्मा ने बताया कि पुराणों के अनुसार महाराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से अक्षय तृतीया का महत्वपूर्ण था. भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि यह तिथि कभी क्षय ना होने वाली तिथि है. इस दिन पुण्य करने से वह सदा सर्वदा के लिए अक्षय हो जाता है. अक्षय तृतीया पर भगवान के 3 अवतार हुए थे.
भगवान विष्णु के 24 अवतारों
पुराणों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से 3 अवतार हुए हैं. 24 अवतारों में से चौथा अवतार नर नारायण का है. धर्म की पत्नी मूर्ति के गर्भ से भगवान नर-नारायण की उत्पत्ति हुई. धर्म की स्थापना के लिए भगवान ने इस रूप में जन्म लिया था. वहीं बदरीनाथ धाम दो पहाड़ियों के बीच स्थित है. एक पर भगवान नारायण ने तपस्या की थी जबकि दूसरे पर नर ने.
उर्वशी को उत्पन्न करके इंद्र को भेंट किया
नारायण ने द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया जबकि नर अर्जुन रूप में अवतरित हुए थे. नारायण का तप भंग करने के लिए इंद्र ने अपनी सबसे सुंदर अप्सरा रंभा को भेजा था, लेकिन नारायण ने अपनी जंघा से रंभा से भी सुंदर अप्सरा उर्वशी को उत्पन्न करके इंद्र को भेंट कर दिया था.
अक्षय तृतीया पर क्या करें
इस दिन स्नान जब-तप यज्ञ, स्वाध्याय, पितृ तर्पण और दान करने वाला व्यक्ति अक्षय पुण्य फल का भागी होता है.