रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की अहट को देखते हुए राजनीतिक दलों में भी हलचल तेज हो गई है. कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए बैठकों का दौर शुरू हो चुका है तो वहीं वोटरों को साधने की भी जुगत लगाई जाने लगी है. पिछले चुनाव के आंकड़ों के देखते हुए रणनीति भी बनाई जाने लगी है. इसी क्रम में कांग्रेस ने महिला वोटरों को साधने की रणनीति तैयार की है, जिसके तहत कांग्रेस की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष शनिवार को छत्तीसगढ़ प्रवास पर रहीं. आगामी विधानसभा चुनाव में महिला वोटरों की भूमिका क्या रहेगी, महिला वोट कितना महत्वपूर्ण हैं, किस पार्टी की ओर महिला वोटरों का झुकाव है, इन सारे सवालों के जवाब के लिए ईटीवी भारत में पक्ष विपक्ष सहित राजनीति के जानकार से बात की.
नेटा डिसूजा ने ली प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक: सबसे पहले बात करते हैं महिला कांग्रेस की. महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेटा डिसूजा शनिवार को रायपुर प्रवास पर रहीं. इस दौरान उन्होंने महिला कांग्रेस प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक ली. इसमें उन्होंने महिला पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए चार्ज करने की कोशिश की. राष्ट्रीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष ने महिला पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को बताया कि "किस तरह से राज्य सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाएं और उसके लाभ की भी जानकारी दें. ताकि ज्यादा से ज्यादा महिला वोटरों को साधा जा सके."
क्या धर्मांतरण और आरक्षण छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में बनेगा बड़ा मुद्दा ?
केंद्रीय मुद्दे को लेकर राज्य में सक्रिय हुई महिला कांग्रेस: मीडिया से बातचीत में राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष नेटा डिसूजा ने बताया कि "आगामी विधानसभा चुनाव जो महिला लड़ना चाहती है, वह कैसे ग्राउंड लेवल पर काम करें, ताकि टिकट मिले, इस पर चर्चा की जा रही है. इसके अलावा संगठन को मजबूत करने पर भी जोर दिया जा रहा है." राष्ट्रीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष के दौरे के बाद महिला कांग्रेस केंद्रीय मुद्दे को लेकर सक्रिय हो गई है. इसी कड़ी में रविवार को महिला कांग्रेस ने लगातार बढ़ती महंगाई के विरोध में सांसद सुनील सोनी के घर का घेराव किया.
शराबबंदी का वादा साबित हो रहा छलावा: भाजपा इस पूरे मामले को महज चुनावी स्टंट करार दे रही है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता मीनल चौबे का कहना है कि "कांग्रेस ने प्रदेश में शराबबंदी का वादा किया था और सत्ता पर काबिज हुई थी. लेकिन अब तक उनके द्वारा शराबबंदी नहीं की गई है, जो कहीं ना कहीं प्रदेश के महिलाओं के साथ छलावा है." वहीं महिला कांग्रेस की ओर से महंगाई के विरोध को लेकर मीनल चौबे ने कहा कि "महंगाई सिर्फ केंद्र सरकार की वजह से नहीं बढ़ रही है. राज्य सरकार चाहे तो डीजल पेट्रोल पर अपना राज्यांश कम कर सकती है. महंगाई कम करने के लिए राज्य सरकार के पास भी बहुत सारे संसाधन और व्यवस्थाएं हैं." मीनल चौबे ने कहा कि "आज प्रदेश में जो भी कार्य हो रहे हैं वह केंद्र की राशि से हो रहे हैं."
35 फीसदी विधानसभा क्षेत्र में पुरुषों से ज्यादा महिला वोटर: राजनीति जानकार और वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि "सात आठ महीने बाद चुनाव की एक प्रक्रिया शुरू होगी. पिछले चुनाव के वोट को देखा जाए तो लगभग 30 से 35 फीसदी ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां पर महिला मतदाता पुरुषों से ज्यादा वोट करती हैं. यही वजह है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हो कांग्रेस की महिला इकाई को सक्रिय किया गया है. दूसरी बात यह है कि अभी जो भरोसे का बजट मुख्यमंत्री ने पेश किया है उसमें आप देखेंगे कि महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा सुविधा दी गई है, उसको भी गांव-गांव में प्रचारित किए जाने की महिला कांग्रेस रणनीति तैयार कर रही है. यही वजह है कि कांग्रेस की राष्ट्रीय नेत्री का छत्तीसगढ़ प्रवास हो रहा है."
बीजेपी के पक्ष में हमेशा से रहीं हैं महिलाएं: शशांक शर्मा ने कहा कि "बीजेपी के पक्ष में महिलाएं हमेशा से रही हैं. बीजेपी की लगातार तीन बार सरकार बनाने की बात हो या केंद्र में लगातार दो बार मोदी की सरकार बनाने की बात, इसमें महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से कहीं ज्यादा रही है. छत्तीसगढ़ में डॉक्टर रमन सिंह की सरकार के समय धीरे-धीरे शराबबंदी की प्रक्रिया चल रही थी. लेकिन जब कांग्रेस पार्टी ने कहा कि हम पूर्ण शराबबंदी करेंगे तो यह जो पूरे मतदाता, जो शराब को लेकर प्रताड़ित थे वे कांग्रेस की ओर पलट गए. क्योंकि शराबबंदी नहीं हुई तो मुझे लगता है यह मतदाता वापस भाजपा की ओर लौट सकते हैं. शायद यही बात कांग्रेस को डरा रही है और वो महिलाओं को साधने में जुट गए हैं."