रायपुर: हिन्दू धर्म की मान्यताओं के हिसाब से आषाढ़ अमावस्या बेहद महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन स्नान, दान श्राद्ध, पितरों का तर्पण, पितरों के नाम से पूजा पाठ किया जाता है. इस दिन सूर्योदय के पहले उठकर स्नान, ध्यान, योग आदि से निवृत्त होकर पितरों, देव पितरों, ऋषि पितरों आदि के लिए श्राद्ध कर्म पूजन करना चाहिए. ऐसा पुण्य कार्य करना बहुत ही शुभ माना गया है.
माता पिता की करें सेवा: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "आज के शुभ दिन जीवित माता पिता की भरपूर सेवा करनी चाहिए. जीवित माता पिता के प्रति श्रद्धा आस्था और अनंत विश्वास के साथ सेवा और उनका ध्यान रखने पर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यह अमावस्या समस्त पितरों के लिए विशिष्ट मानी गई है. पितरों के लिए दान पुण्य कार्य शुभ कार्य करना बहुत शुभ माना गया है. इस अमावस्या में सभी तरह के मंत्र तंत्र सिद्धि और पूजन पाठ करने से लाभ मिलता है."
"ज्योतिष में अमावस्या को रिक्ता तिथि के नाम से भी जाना जाता है. यानी इस तिथि में किए गए काम का फल नहीं मिलता. यह तिथि या दिन पितरों को समर्पित है. ऐसे में कोई शुभ काम नहीं करना चाहिए. अमावस्या के दिन महत्वपूर्ण चीजों की खरीदी बिक्री, गृह प्रवेश ,मुंडन, मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसके अशुभ परिणाम मिलते हैं." -पंडित विनीत शर्मा
"अमावस्या तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है. इस दिन पितृगण वायु के रूप में सूर्यास्त तक घर के दरवाजे पर रहते हैं, और अपने परिवार से तर्पण और श्राद्ध की इच्छा भी रखते हैं. इसलिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर तर्पण करना चाहिए. घर में ब्राह्मणों को भोजन कराकर यथाशक्ति दान भी देना चाहिए. पितृ पूजा करने से आयु में वृद्धि और परिवार में सुख शांति और समृद्धि रहती है." -पंडित विनीत शर्मा
आषाढ़ अमावस्या के शुभ मुहूर्त: आषाढ़ अमावस्या 17 जून को सुबह 09 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 18 जून को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी. इस बीच 18 जून को सुबह 07 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक स्नान और दान के लिए काफी शुभ मुहूर्त है.