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जाति मामले में अमित जोगी के खिलाफ जांच समिति का गठन, हाईकोर्ट का करेंगे रूख

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Published : Aug 14, 2020, 6:03 PM IST

Updated : Aug 14, 2020, 8:01 PM IST

अमित जोगी के जाति प्रकरण मामले में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर ने जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति का गठन किया है. अमित जोगी ने जांच समिति के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की बात कही है.

amit jogi
अमित जोगी

रायपुर: जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के अध्यक्ष अमित जोगी के जाति प्रकरण मामले में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर ने जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति का गठन किया है. जांच समिति के खिलाफ अब अमित जोगी हाई कोर्ट में याचिका दायर करेंगे. अमित जोगी ने ट्वीट कर कहा है कि वह अपने मौलिक अधिकारों के हनन को रोकने के लिए कोर्ट की शरण में जाएंगे और राज्यपाल से भी इस पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.

अमित जोगी हाईकोर्ट का करेंगे रूख

अमित जोगी ने ट्वीट कर लिखा है कि उनके जाति के मामले में भूपेश सरकार ने राज्यपाल के नाम पत्र जारी किया है और गौरेला पेंड्रा मरवाही कलेक्टर के गैर कानूनी आदेश पर अवैधानिक जिला छानबीन समिति का गठन किया गया है.

  • मैं अपने मौलिक अधिकारों के हनन को रोकने न्यायपालिका की शरण में जाऊँगा और महामहिम @GovernorCG से हस्तक्षेप करने का आग्रह करता हूँ।

    मेरा निवेदन है कि संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध लोग राजनीतिक दबाव में न आकर निष्पक्षता और निडरता से अपना काम करें। 🙏
    3/3

    — Amit Ajit Jogi (@amitjogi) August 14, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

अमित जोगी ने किए 4 सवाल

  • 2. किसके दबाव में कलेक्टर ने अवैधानिक समिति के गठन के ग़ैर-क़ानूनी आदेश पारित किए?

    3. जब समिति का गठन ही नहीं हुआ था, तो शिकायतकर्ताओं ने किसके समक्ष शिकायत की?

    4. समिति में 6 की जगह पहले 4 और फिर 5 सदस्य ही क्यों शामिल किए गए? 2/3

    — Amit Ajit Jogi (@amitjogi) August 14, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  1. राज्यपाल का स्थान गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर ने कैसे ले लिया?
  2. किसके दबाव में कलेक्टर ने समिति का गठन और गैर कानूनी आदेश पारित किया ?
  3. जब समिति का गठन ही नहीं हुआ था तो शिकायत कर्ताओं ने किसके समक्ष शिकायत की?
  4. समिति में छह की जगह पहले चार और फिर 5 सदस्य ही क्यों शामिल किए गए?


जांच समिति पर उठाए सवाल
जेसीसीजे प्रवक्ता भगवानु नायक ने बताया की छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति और जनजाति नियमों के अनुसार जिला स्तरीय छानबीन समिति का गठन राज्यपाल के आदेश पर सरकार द्धारा अधिसूचना जारी कर किया जाता है, लेकिन जेसीसीजे प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी के जाति प्रकरण पर गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के कलेक्टर ने जो छानबीन समिति बनाई है इसमें कई सवाल खड़े हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से नियमों को ताक पर रखकर छानबीन समिति बनाई गई है उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि छत्तीसगढ़ में कानून की कोई एहमियत नहीं है.

  • मेरी जाति की जाँच के लिए महामहिम राज्यपाल @GovernorCG के नाम पर राज्य सरकार द्वारा जारी राजपत्र में अधिसूचना की जगह @GMarwahi कलेक्टर के ग़ैर-क़ानूनी आदेश पर अवैधानिक जिला छानबीन समिति का गठन हुआ है।इस सम्बंध में मेरे 4 सवाल हैं-

    1. राज्यपाल का स्थान कलेक्टर ने कैसे ले लिया?1/3 pic.twitter.com/NMesM4HTxP

    — Amit Ajit Jogi (@amitjogi) August 14, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पढ़ें: खुशखबरी: अमित जोगी बने पिता, ट्वीट कर जाहिर की खुशी

भाजपा नेता समीरा पैकरा ने 16 जून 2020 और 17 जून 2020 को संत कुमार नेताम ने लिखित शिकायत करते हुए अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र को अविलंब रद्द करने की मांग की थी. शिकायत में 2019 में हाई पावर कमेटी जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने के निर्णय के साथ ही अमित जोगी के जन्म स्थान को लेकर की गई FIR का भी जिक्र करते हुए कहा गया था कि उसमें नियमों की अनदेखी और दस्तावेजों की जांच किए बिना ही अमित जोगी को जाति प्रमाण पत्र 2 दिन में जारी कर दिया गया था. आदिवासी नेता संत कुमार नेताम ने 17 जून को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर को आवेदन देकर मामले में अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र रद्द करने को कहा है.

पढ़ें: जाति मामले में अमित जोगी की मुश्किलें बढ़ी, छानबीन समिति ने जारी किया नोटिस

बता दें कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति के मामले में हाई-पावर कमेटी की रिपोर्ट में उन्हें आदिवासी नहीं माना था. इसके बाद छत्तीसगढ़ में उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कंवर आदिवासी होने के प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया था. साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ की तत्कालीन रमन सिंह सरकार को पूर्व आईएएस अधिकारी जोगी की जाति का पता लगाने के लिए एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए थे. जून, 2017 में कमेटी ने अपनी जांच में जोगी को आदिवासी नहीं माना. इसके खिलाफ जोगी हाईकोर्ट पहुंच गए. 2018 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दूसरी बार उच्चाधिकार स्क्रूटनी कमेटी का गठन किया था.

रायपुर: जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के अध्यक्ष अमित जोगी के जाति प्रकरण मामले में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर ने जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति का गठन किया है. जांच समिति के खिलाफ अब अमित जोगी हाई कोर्ट में याचिका दायर करेंगे. अमित जोगी ने ट्वीट कर कहा है कि वह अपने मौलिक अधिकारों के हनन को रोकने के लिए कोर्ट की शरण में जाएंगे और राज्यपाल से भी इस पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.

अमित जोगी हाईकोर्ट का करेंगे रूख

अमित जोगी ने ट्वीट कर लिखा है कि उनके जाति के मामले में भूपेश सरकार ने राज्यपाल के नाम पत्र जारी किया है और गौरेला पेंड्रा मरवाही कलेक्टर के गैर कानूनी आदेश पर अवैधानिक जिला छानबीन समिति का गठन किया गया है.

  • मैं अपने मौलिक अधिकारों के हनन को रोकने न्यायपालिका की शरण में जाऊँगा और महामहिम @GovernorCG से हस्तक्षेप करने का आग्रह करता हूँ।

    मेरा निवेदन है कि संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध लोग राजनीतिक दबाव में न आकर निष्पक्षता और निडरता से अपना काम करें। 🙏
    3/3

    — Amit Ajit Jogi (@amitjogi) August 14, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

अमित जोगी ने किए 4 सवाल

  • 2. किसके दबाव में कलेक्टर ने अवैधानिक समिति के गठन के ग़ैर-क़ानूनी आदेश पारित किए?

    3. जब समिति का गठन ही नहीं हुआ था, तो शिकायतकर्ताओं ने किसके समक्ष शिकायत की?

    4. समिति में 6 की जगह पहले 4 और फिर 5 सदस्य ही क्यों शामिल किए गए? 2/3

    — Amit Ajit Jogi (@amitjogi) August 14, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  1. राज्यपाल का स्थान गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर ने कैसे ले लिया?
  2. किसके दबाव में कलेक्टर ने समिति का गठन और गैर कानूनी आदेश पारित किया ?
  3. जब समिति का गठन ही नहीं हुआ था तो शिकायत कर्ताओं ने किसके समक्ष शिकायत की?
  4. समिति में छह की जगह पहले चार और फिर 5 सदस्य ही क्यों शामिल किए गए?


जांच समिति पर उठाए सवाल
जेसीसीजे प्रवक्ता भगवानु नायक ने बताया की छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति और जनजाति नियमों के अनुसार जिला स्तरीय छानबीन समिति का गठन राज्यपाल के आदेश पर सरकार द्धारा अधिसूचना जारी कर किया जाता है, लेकिन जेसीसीजे प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी के जाति प्रकरण पर गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के कलेक्टर ने जो छानबीन समिति बनाई है इसमें कई सवाल खड़े हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से नियमों को ताक पर रखकर छानबीन समिति बनाई गई है उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि छत्तीसगढ़ में कानून की कोई एहमियत नहीं है.

  • मेरी जाति की जाँच के लिए महामहिम राज्यपाल @GovernorCG के नाम पर राज्य सरकार द्वारा जारी राजपत्र में अधिसूचना की जगह @GMarwahi कलेक्टर के ग़ैर-क़ानूनी आदेश पर अवैधानिक जिला छानबीन समिति का गठन हुआ है।इस सम्बंध में मेरे 4 सवाल हैं-

    1. राज्यपाल का स्थान कलेक्टर ने कैसे ले लिया?1/3 pic.twitter.com/NMesM4HTxP

    — Amit Ajit Jogi (@amitjogi) August 14, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पढ़ें: खुशखबरी: अमित जोगी बने पिता, ट्वीट कर जाहिर की खुशी

भाजपा नेता समीरा पैकरा ने 16 जून 2020 और 17 जून 2020 को संत कुमार नेताम ने लिखित शिकायत करते हुए अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र को अविलंब रद्द करने की मांग की थी. शिकायत में 2019 में हाई पावर कमेटी जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने के निर्णय के साथ ही अमित जोगी के जन्म स्थान को लेकर की गई FIR का भी जिक्र करते हुए कहा गया था कि उसमें नियमों की अनदेखी और दस्तावेजों की जांच किए बिना ही अमित जोगी को जाति प्रमाण पत्र 2 दिन में जारी कर दिया गया था. आदिवासी नेता संत कुमार नेताम ने 17 जून को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर को आवेदन देकर मामले में अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र रद्द करने को कहा है.

पढ़ें: जाति मामले में अमित जोगी की मुश्किलें बढ़ी, छानबीन समिति ने जारी किया नोटिस

बता दें कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति के मामले में हाई-पावर कमेटी की रिपोर्ट में उन्हें आदिवासी नहीं माना था. इसके बाद छत्तीसगढ़ में उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कंवर आदिवासी होने के प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया था. साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ की तत्कालीन रमन सिंह सरकार को पूर्व आईएएस अधिकारी जोगी की जाति का पता लगाने के लिए एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए थे. जून, 2017 में कमेटी ने अपनी जांच में जोगी को आदिवासी नहीं माना. इसके खिलाफ जोगी हाईकोर्ट पहुंच गए. 2018 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दूसरी बार उच्चाधिकार स्क्रूटनी कमेटी का गठन किया था.

Last Updated : Aug 14, 2020, 8:01 PM IST
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