रायपुर: भारतीय पंचांग के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर में यह फरवरी या मार्च के महीने में मनाया जाता है. आमलकी एकादशी एक हिंदू पवित्र दिन है, जो फाल्गुन (फरवरी-मार्च) के चंद्र महीने में वैक्सिंग चंद्रमा के 11वें दिन (एकादशी) को मनाया जाता है. यह अमलका या आंवला के पेड़ का उत्सव है, जिसे भारतीय आंवले के रूप में जाना जाता है. माना जाता है कि देवता विष्णु, जिनके लिए एकादशियां पवित्र हैं, आंवले के पेड़ में निवास करते हैं. यह दिन रंगों के मुख्य त्यौहार होली की शुरुआत का प्रतीक है.
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आमलकी एकादशी व्रत का महत्व: आमलकी एकादशी फाल्गुन (फरवरी-मार्च) के महीने में आती है. इसे 'फाल्गुन शुक्ल एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है. आमलकी एकादशी भगवान विष्णु की अमला से पूजा करने और अमला से बना भोजन ग्रहण करने के लिए बहुत शुभ मानी जाती है. जो कोई भी इस पवित्र आमलकी एकादशी का पालन करता है, वह निस्संदेह भगवान विष्णु के सर्वोच्च निवास को प्राप्त करता है .अमलकी एकादशी का दिन हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है.
क्यों है आमलकी एकादशी खास : आमलकी एकादशी को आम भाषा में आंवला एकादशी भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में आंवला को खास माना जाता है. माना जाता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है इसके साथ ही आयुर्वेद में भी इसे खास माना गया है. मान्यता है कि जब विष्णु जी ने सृष्टि के लिए ब्रह्मा जी को जन्म दिया, उस समय उन्होंने आंवले के पेड़ को भी जन्म दिया. यह दिन रंगों के त्योहार होली की शुरुआत का प्रतीक है .