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Amalaki Ekadashi 2023 : आमलकी एकादशी व्रत से मिलती है भगवान विष्णु की असीम कृपा

आमलकी एकादशी इस बार 3 मार्च को मनाई जा रही है. इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. जिससे समृद्ध भविष्य का आशीर्वाद मिलता है. इस दिन लोग आंवला के पेड़ की भी पूजा करते हैं. माना जाता है कि आंवले के पेड़ में विष्णु भगवान का वास रहता है.

Amalaki Ekadashi 2023
आमलकी एकादशी व्रत से मिलती है भगवान विष्णु की असीम कृपा
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Published : Feb 24, 2023, 4:55 AM IST

Updated : Mar 2, 2023, 8:19 AM IST

रायपुर: भारतीय पंचांग के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर में यह फरवरी या मार्च के महीने में मनाया जाता है. आमलकी एकादशी एक हिंदू पवित्र दिन है, जो फाल्गुन (फरवरी-मार्च) के चंद्र महीने में वैक्सिंग चंद्रमा के 11वें दिन (एकादशी) को मनाया जाता है. यह अमलका या आंवला के पेड़ का उत्सव है, जिसे भारतीय आंवले के रूप में जाना जाता है. माना जाता है कि देवता विष्णु, जिनके लिए एकादशियां पवित्र हैं, आंवले के पेड़ में निवास करते हैं. यह दिन रंगों के मुख्य त्यौहार होली की शुरुआत का प्रतीक है.

Falgun Vinayak Chaturthi 2023: संतान के मानसिक विकास के लिए फाल्गुन विनायक चतुर्थी का करें व्रत

आमलकी एकादशी व्रत का महत्व: आमलकी एकादशी फाल्गुन (फरवरी-मार्च) के महीने में आती है. इसे 'फाल्गुन शुक्ल एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है. आमलकी एकादशी भगवान विष्णु की अमला से पूजा करने और अमला से बना भोजन ग्रहण करने के लिए बहुत शुभ मानी जाती है. जो कोई भी इस पवित्र आमलकी एकादशी का पालन करता है, वह निस्संदेह भगवान विष्णु के सर्वोच्च निवास को प्राप्त करता है .अमलकी एकादशी का दिन हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है.

यह भी पढें :Falgun Vinayak Chaturthi 2023: संतान के मानसिक विकास के लिए फाल्गुन विनायक चतुर्थी का करें व्रत

क्यों है आमलकी एकादशी खास : आमलकी एकादशी को आम भाषा में आंवला एकादशी भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में आंवला को खास माना जाता है. माना जाता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है इसके साथ ही आयुर्वेद में भी इसे खास माना गया है. मान्यता है कि जब विष्णु जी ने सृष्टि के लिए ब्रह्मा जी को जन्म दिया, उस समय उन्होंने आंवले के पेड़ को भी जन्म दिया. यह दिन रंगों के त्योहार होली की शुरुआत का प्रतीक है .

रायपुर: भारतीय पंचांग के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर में यह फरवरी या मार्च के महीने में मनाया जाता है. आमलकी एकादशी एक हिंदू पवित्र दिन है, जो फाल्गुन (फरवरी-मार्च) के चंद्र महीने में वैक्सिंग चंद्रमा के 11वें दिन (एकादशी) को मनाया जाता है. यह अमलका या आंवला के पेड़ का उत्सव है, जिसे भारतीय आंवले के रूप में जाना जाता है. माना जाता है कि देवता विष्णु, जिनके लिए एकादशियां पवित्र हैं, आंवले के पेड़ में निवास करते हैं. यह दिन रंगों के मुख्य त्यौहार होली की शुरुआत का प्रतीक है.

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आमलकी एकादशी व्रत का महत्व: आमलकी एकादशी फाल्गुन (फरवरी-मार्च) के महीने में आती है. इसे 'फाल्गुन शुक्ल एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है. आमलकी एकादशी भगवान विष्णु की अमला से पूजा करने और अमला से बना भोजन ग्रहण करने के लिए बहुत शुभ मानी जाती है. जो कोई भी इस पवित्र आमलकी एकादशी का पालन करता है, वह निस्संदेह भगवान विष्णु के सर्वोच्च निवास को प्राप्त करता है .अमलकी एकादशी का दिन हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है.

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क्यों है आमलकी एकादशी खास : आमलकी एकादशी को आम भाषा में आंवला एकादशी भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में आंवला को खास माना जाता है. माना जाता है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है इसके साथ ही आयुर्वेद में भी इसे खास माना गया है. मान्यता है कि जब विष्णु जी ने सृष्टि के लिए ब्रह्मा जी को जन्म दिया, उस समय उन्होंने आंवले के पेड़ को भी जन्म दिया. यह दिन रंगों के त्योहार होली की शुरुआत का प्रतीक है .

Last Updated : Mar 2, 2023, 8:19 AM IST
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