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'महिला सुरक्षा के लिए कानून को मजबूत बनाने के साथ ही बच्चों को दें नैतिक शिक्षा' - gorvernor anusiya uike

राष्ट्रीय महिला आयोग के 27वें स्थापना दिवस पर आज नई दिल्ली में‘बीजिंग-25 की समीक्षा पर राष्ट्रीय परामर्श’पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने संबोधन किया. महिला आयोग का काम राज्यों में भी मजबूत करना चाहिए ताकि सभी महिलाओं को न्याय मिल सके.

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अनुसुईया उइके, राज्यपाल
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Published : Feb 1, 2020, 7:08 AM IST

रायपुर: राष्ट्रीय महिला आयोग के 27वें स्थापना दिवस पर नई दिल्ली में ‘बीजिंग-25 की समीक्षा पर राष्ट्रीय परामर्श’ पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि, 'महिला सुरक्षा के लिए कानून को मजबूत बनाने के साथ ही बच्चों को नैतिक शिक्षा भी दी जाए. महिला आयोग का काम राज्यों में भी मजबूत करना चाहिए, ताकि सभी महिलाओं को न्याय मिल सके'.

उन्होंने कहा कि 'किसी संस्था को हमेशा प्रभावी बनाने के लिए हमें नवाचार भी अपनाना चाहिए. उन्होंने महिला आयोग के संबंध में आवश्यक सुझाव देते हुए कहा कि, 'इस पर सार्थक चर्चा की गुंजाइश बनी तो कुछ नए कार्य भी शुरू हो सकते हैं'. राज्यपाल ने महिला सुरक्षा के लिए तकनीक के प्रयोग पर जोर दिया, ताकि पीड़ित महिला फौरन थानों में सूचना दे सकें'.

'न्यूनतम अनुपात में करनी चाहिए अनुशंसा'

उन्होंने कहा कि 'अभी भी पुलिस में महिलाओं की संख्या कम है. इसके कारण कहीं महिला के साथ अन्याय होता है, तो जांच में पुलिस को ज्यादा वक्त लग जाता है. आयोग को इस संबंध में महिलाओं के सुरक्षाबलों में न्यूनतम अनुपात के संबंध में अनुशंसा भी करनी चाहिए. महिलाओं के पुलिस बल में अधिक संख्या में होने से महिलाएं अपनी पीड़ा भी एक महिला पुलिस अधिकारी को खुलकर बता सकेंगी.

'दोषियों को जल्द सजा मिले'

उइके ने कहा कि 'लैंगिक उत्पीड़न के प्रकरणों पर बने कानूनों में संशोधन करने की आवश्यकता भी है. प्रयास किया जाना चाहिए कि ऐसे मामलों में जितनी जल्दी फैसले आएं और दोषियों को जल्द साजा मिले. इससे पीड़िता को न्याय मिल सकेगा और दोषियों के दिमाग में खौफ रहे'.

रायपुर: राष्ट्रीय महिला आयोग के 27वें स्थापना दिवस पर नई दिल्ली में ‘बीजिंग-25 की समीक्षा पर राष्ट्रीय परामर्श’ पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि, 'महिला सुरक्षा के लिए कानून को मजबूत बनाने के साथ ही बच्चों को नैतिक शिक्षा भी दी जाए. महिला आयोग का काम राज्यों में भी मजबूत करना चाहिए, ताकि सभी महिलाओं को न्याय मिल सके'.

उन्होंने कहा कि 'किसी संस्था को हमेशा प्रभावी बनाने के लिए हमें नवाचार भी अपनाना चाहिए. उन्होंने महिला आयोग के संबंध में आवश्यक सुझाव देते हुए कहा कि, 'इस पर सार्थक चर्चा की गुंजाइश बनी तो कुछ नए कार्य भी शुरू हो सकते हैं'. राज्यपाल ने महिला सुरक्षा के लिए तकनीक के प्रयोग पर जोर दिया, ताकि पीड़ित महिला फौरन थानों में सूचना दे सकें'.

'न्यूनतम अनुपात में करनी चाहिए अनुशंसा'

उन्होंने कहा कि 'अभी भी पुलिस में महिलाओं की संख्या कम है. इसके कारण कहीं महिला के साथ अन्याय होता है, तो जांच में पुलिस को ज्यादा वक्त लग जाता है. आयोग को इस संबंध में महिलाओं के सुरक्षाबलों में न्यूनतम अनुपात के संबंध में अनुशंसा भी करनी चाहिए. महिलाओं के पुलिस बल में अधिक संख्या में होने से महिलाएं अपनी पीड़ा भी एक महिला पुलिस अधिकारी को खुलकर बता सकेंगी.

'दोषियों को जल्द सजा मिले'

उइके ने कहा कि 'लैंगिक उत्पीड़न के प्रकरणों पर बने कानूनों में संशोधन करने की आवश्यकता भी है. प्रयास किया जाना चाहिए कि ऐसे मामलों में जितनी जल्दी फैसले आएं और दोषियों को जल्द साजा मिले. इससे पीड़िता को न्याय मिल सकेगा और दोषियों के दिमाग में खौफ रहे'.

Intro:Body:रायपुर । महिला सुरक्षा के लिए कानून को मजबूत बनाने के साथ ही बच्चों को नैतिक शिक्षा भी दी जाए। महिला आयोग का कार्य राज्यों में भी मजबूत करना चाहिए ताकि सभी महिलाओं को न्याय मिल सके। राज्यों में वर्कशॉप का आयोजन किया जाए, जिससे महिलाओं को अधिकारों की जानकारी हो सके। यह बात राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कही। वे राष्ट्रीय महिला आयोग के 27वें स्थापना दिवस पर आज नई दिल्ली में आयोजित ‘बीजिंग-25 की समीक्षा पर राष्ट्रीय परामर्श’ को संबोधित कर रही थी। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग के 27वें स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी।
उन्होंने कहा कि किसी संस्था को हमेशा प्रभावी बनाने के लिए हमें नवाचार भी अपनाना चाहिए। उन्होंने महिला आयोग के संबंध में आवश्यक सुझाव देते हुए कहा कि इस पर सार्थक चर्चा की गुंजाइश बनी तो कुछ नये कार्य भी शुरू हो सकते हैं अथवा उन्हें और बेहतर तरीके से किया जा सकता है। राज्यपाल ने महिला सुरक्षा के लिए तकनीक के प्रयोग पर जोर दिया, ताकि पीड़ित महिला त्वरित रूप से थानों में सूचना दे सके। उन्होंने कहा कि अभी भी पुलिस में महिलाओं की संख्या काफी कम है। इसके कारण कहीं महिला के साथ अन्याय होता है तो जांच में पुलिस को काफी वक्त लग जाता है। आयोग को इस संबंध में महिलाओं के सुरक्षा बलों में न्यूनतम अनुपात के संबंध में अनुशंसा भी करनी चाहिए। महिलाओं के पुलिस बल में अधिक संख्या में होने से महिलाएं अपनी पीड़ा भी एक महिला पुलिस अधिकारी को खुलकर बना सकेगी।


उइके ने कहा कि लैंगिक उत्पीड़न के प्रकरणों पर बने कानूनों में संशोधन करने की आवश्यकता भी है। प्रयास किया जाना चाहिए कि ऐसे मामलों में जितनी जल्दी फैसले आएं और दोषियों को दण्डित किया जाए। इससे पीड़िता को न्याय मिल सकेगा और असामाजिक तत्व हतोत्साहित होंगे। उन्होंने कानूनों को तो कड़ा करने की आवश्यकता भी जताई।
राज्यपाल ने कहा कि जनजाति महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जनजाति क्षेत्र की महिलाओं में हुनर बहुत है लेकिन उनके उत्पादों की मार्केटिंग नहीं हो पाने की वजह से आर्थिक रूप से पिछड़ी हुईं हैं। उनकी उत्पादों के लिए प्रभावी रूप से बाजार उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 से 2003 तक मैंने इस आयोग में सदस्य के रूप में काम किया है। यहां पर बहुत कुछ सीखने को मिला। हम उस समय श्रीमती निर्मला सीतारमन, श्रीमती नफीसा हुसैन, श्रीमती शांता रेड्डी के साथ टीम बनाकर कार्य किया और महिलाओं की स्थिति पर अनुशंसा की और कई अनुशंसा स्वीकार हुई। Conclusion:
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