रायपुर: कोरोना वायरस का असर मंदिरों में साफ देखने को मिल रहा है, जिन मंदिरों में पूरे नवरात्र पैर रखने की जगह नहीं होती थी, वो आज वीरान पड़े हुए हैं. पूरे नवरात्र मंदिरों में मेला लगता था. दूर-दूर से लोग माता के दर्शन के लिए पहुंचते थे. सुबह से ही मंदिरों के बाहर कतारें लगनी शुरू हो जाती थी, वहां आज कोरोना के प्रभाव से मंदिरों में घंटियों की आवाज भी लोग सुनने को तरस रहे हैं. मंदिरों में ज्योति कलश की स्थापना नहीं की गई है. त्योहारों की रौनक कोरोना के खौफ में कही गुम हो गई है.
21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा के बाद सभी मंदिरों में पुजारी ही पूजा पाठ कर मंदिर के पट बंद कर देते हैं. रामनवमी के दिन जहां भक्तों का मंदिरों में तांता लगा होता था, वहीं बस कुछ ही श्रद्धालु मंदिर में दिख रहे हैं. धारा 144 के लागू होने की वजह से अधिकतर मंदिरों के पट पूजा-अर्चना के बाद बंद कर दिए गए हैं.
मंदिरों में पसरा सन्नाटा
चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन रामनवमी मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि श्रीराम का इसी दिन जन्म हुआ है, इसलिए इसे रामजन्मोत्सव के रूप में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. अधिकतर मंदिरों में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण की वजह से सभी मंदिरों में सन्नाटा पसरा हुआ है. रायपुर के डगनिया में स्थिति श्री शक्तिपीठ मां बम्लेश्वरी और श्री शक्तिपीठ मां शीतला मंदिरों में भी कोरोना संक्रमण का असर साफ दिख रहा है.
सोशल डिस्टेंसिंग का हो रहा पालन
कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए सभी श्रद्धालु सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं. मंदिरों में दर्शन के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालु एक-एक मंदिर में प्रवेश कर रहे हैं.