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SPECIAL: छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिकों ने सीजी लाल भाजी 1 और सीजी चौलाई भाजी 1 की किस्में विकसित की

रायपुर में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सीजी लाल भाजी- 1 और सीजी चौलाई भाजी-1 की नई किस्में विकसित की. जिससे किसानों को काफी फायदा होगा.

chhattisgarh bhaji
छत्तीसगढ़ की भाजी
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Published : Jul 19, 2020, 3:54 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के किसानों की बाड़ियों में अब नई किस्म की भाजी उगने वाली है. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में लाल भाजी और चौलाई भाजी की नई किस्में विकसित की गई है. कृषि विश्वविद्यालय ने सीजी लाल भाजी- 1 और सीजी चौलाई भाजी-1 की नई वेराइटी तैयार की है. जिससे किसानों को एक महीने में प्रति एकड़ 60 से 70 हजार रुपए तक की आय हो सकती है.

भाजियों की नई किस्में

बिना भाजी के छत्तीसगढ़ी व्यंजन अधूरा

छत्तीसगढ़ की बाड़ियों में अलग-अलग किस्मों की भाजियों का काफी महत्व है. लगभग गांव-शहर के हर घर में भाजियां ना सिर्फ उगाई जाती है बल्कि बड़े ही चाव से खाई भी जाती है. या यूं कहें तो बिना भाजी के छत्तीसगढ़ी व्यंजन अधूरे है. इसे देखते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने करीब 6-7 साल के रिसर्च के बाद सर्वाधिक खाई जाने वाली लाल भाजी और चौलाई भाजी की नई किस्में बनाई हैं. जिनसे सिर्फ 1 माह में किसानों को प्रति एकड़ 60 से 70 हजार रुपए तक की आय हो सकती है.

cg lal bhaji 1 and cg chaulai bhaji 1
किसान होंगे मालामाल

पढ़ें: SPECIAL: महंगी हुई थाली, टमाटर के बाद मिर्च हुई और तीखी

प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में रिसर्च कर बनाई नई किस्म

विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रवीण शर्मा ने बताया कि लाल भाजी की नवीन किस्म सीजी लाल भाजी-1 और चौलाई भाजी की नवीन किस्म सीजी चौलाई- 1 विकसित की है. वैज्ञानिकों की मानें तो ये नई वेरायटी भाजियों की प्रचलित उन्नत किस्मों की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा देने में सक्षम है. ये नई किस्में छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में रिसर्च कर तैयार की गई है. जो छत्तीसगढ़ की स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है. वे बताते हैं कि भाजियां छत्तीसगढ़ में भोजन का अनिवार्य अंग है और प्रत्येक किसान अपने खेत, बाड़ियों में भाजी जरूर लगाते हैं. लेकिन अब इस तरह के प्रजातियों को लगाने से किसानों को पहले के मुकाबले ज्यादा पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो पाएगी. यह नई किस्मों में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व साधारण भाजियों के मुकाबले में और अधिक पोषक तत्वों से भरपूर है.

cg lal bhaji 1 and cg chaulai bhaji 1
नई किस्मों से किसानों को ज्यादा फायदा

जल्द किसानों को मिलेगी सीजी लाल भाजी- 1 और सीजी चौलाई भाजी-1

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में हुए रिसर्च में यह बात सामने आई है कि छत्तीसगढ़ में भाजियों का प्रयोग खाने-पीने में दूसरे राज्यों के मुकाबले में कई गुना ज्यादा होता है. इतना ही नहीं बल्कि ये भाजियां यहां के लोगों की संस्कृति का भी हिस्सा है. कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने बताया कि साधारण तौर पर भाजियों को लोग अपने बाड़ियो में यूं ही उगाते रहे हैं जो कि सब्जी के काम आ जाता है. लेकिन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की ओर से रिसर्च की गई है. नई प्रजातियां किसानों के आर्थिक लाभ के लिए भी एक बड़ा काम कर सकती है. इन दोनों किस्मों से किसान 1 माह की अवधि में ही 70 हजार प्रति एकड़ की आय प्राप्त कर सकते हैं. छत्तीसगढ़ राज्य बीज उप समिति की ओर से इन दोनों किस्मों को छत्तीसगढ़ राज्य के लिए जारी करने की अनुशंसा भी कर ली गई है. इन दोनों भाजियों को छत्तीसगढ़ राज्य में प्रसारित करने के लिए अनुमति भी दे दी गई है. सीजी लाल भाजी 1 और सीजी चौलाई भाजी 1 दोनों ही किस्में अब किसानों को उपलब्ध होगी. जो साधारण भाजियों की तुलना में 43 प्रतिशत तक अधिक उपज दे सकती है. यह साधारण भाजियों की तुलना में स्वादिष्ट किस्में हैं, जो तेजी से बढ़ती है और पत्तियां भी ज्यादा लाल होती है. यह किस्में स्थानीय परिस्थितियों में 140 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन देती है. वहीं सीजी चौलाई 1 की खेती, अलका-अरुणिमा की तुलना में 56 प्रतिशत तक ज्यादा हो सकती है.

cg lal bhaji 1 and cg chaulai bhaji 1
लाल भाजी और चौलाई भाजी की नई किस्म

पढ़ें: SPECIAL: छात्रों के परिजनों की मांग, कोरोना काल में न खोले जाएं स्कूल

प्रदेश में मिलती है 36 तरह की भाजियां

छत्तीसगढ़ में वैसे भी भाजियों को लेकर लोगों में खास उत्सुकता होती है. गांव से लेकर शहरों तक लोग भाजियों को बड़े ही चाव से खाते हैं. अब इस तरह के रिसर्च से भाजियों की लोकप्रियता और ज्यादा बढ़ेगी. दरअसल कोरोनावायरस और लॉकडाउन के दौरान लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सजग हो गए है. बता दें कि छत्तीसगढ़ में लाल भाजी, चौलाई भाजी, करमत्ता भाजी, अमारी भाजी, चेच भाजी, चना, बर्रे, सरसों, कुम्हड़ा भाजी, बोहार, कांदा, कुसुम भाजी, पालक, मेथी, तिवरा भाजी, बथुआ, मुनगा भाजी, खेड़ा भाजी, चुनचुनिया, प्याज भाजी, जरी, कोचई, चपेटा, ब्राह्मी भाजी, मूली भाजी और इसके साथ ही कई ऐसी भाजियां है जिन्हें छत्तीसगढ़ी बड़े ही चाव से खाते हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ के किसानों की बाड़ियों में अब नई किस्म की भाजी उगने वाली है. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में लाल भाजी और चौलाई भाजी की नई किस्में विकसित की गई है. कृषि विश्वविद्यालय ने सीजी लाल भाजी- 1 और सीजी चौलाई भाजी-1 की नई वेराइटी तैयार की है. जिससे किसानों को एक महीने में प्रति एकड़ 60 से 70 हजार रुपए तक की आय हो सकती है.

भाजियों की नई किस्में

बिना भाजी के छत्तीसगढ़ी व्यंजन अधूरा

छत्तीसगढ़ की बाड़ियों में अलग-अलग किस्मों की भाजियों का काफी महत्व है. लगभग गांव-शहर के हर घर में भाजियां ना सिर्फ उगाई जाती है बल्कि बड़े ही चाव से खाई भी जाती है. या यूं कहें तो बिना भाजी के छत्तीसगढ़ी व्यंजन अधूरे है. इसे देखते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने करीब 6-7 साल के रिसर्च के बाद सर्वाधिक खाई जाने वाली लाल भाजी और चौलाई भाजी की नई किस्में बनाई हैं. जिनसे सिर्फ 1 माह में किसानों को प्रति एकड़ 60 से 70 हजार रुपए तक की आय हो सकती है.

cg lal bhaji 1 and cg chaulai bhaji 1
किसान होंगे मालामाल

पढ़ें: SPECIAL: महंगी हुई थाली, टमाटर के बाद मिर्च हुई और तीखी

प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में रिसर्च कर बनाई नई किस्म

विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रवीण शर्मा ने बताया कि लाल भाजी की नवीन किस्म सीजी लाल भाजी-1 और चौलाई भाजी की नवीन किस्म सीजी चौलाई- 1 विकसित की है. वैज्ञानिकों की मानें तो ये नई वेरायटी भाजियों की प्रचलित उन्नत किस्मों की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा देने में सक्षम है. ये नई किस्में छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में रिसर्च कर तैयार की गई है. जो छत्तीसगढ़ की स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है. वे बताते हैं कि भाजियां छत्तीसगढ़ में भोजन का अनिवार्य अंग है और प्रत्येक किसान अपने खेत, बाड़ियों में भाजी जरूर लगाते हैं. लेकिन अब इस तरह के प्रजातियों को लगाने से किसानों को पहले के मुकाबले ज्यादा पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो पाएगी. यह नई किस्मों में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व साधारण भाजियों के मुकाबले में और अधिक पोषक तत्वों से भरपूर है.

cg lal bhaji 1 and cg chaulai bhaji 1
नई किस्मों से किसानों को ज्यादा फायदा

जल्द किसानों को मिलेगी सीजी लाल भाजी- 1 और सीजी चौलाई भाजी-1

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में हुए रिसर्च में यह बात सामने आई है कि छत्तीसगढ़ में भाजियों का प्रयोग खाने-पीने में दूसरे राज्यों के मुकाबले में कई गुना ज्यादा होता है. इतना ही नहीं बल्कि ये भाजियां यहां के लोगों की संस्कृति का भी हिस्सा है. कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने बताया कि साधारण तौर पर भाजियों को लोग अपने बाड़ियो में यूं ही उगाते रहे हैं जो कि सब्जी के काम आ जाता है. लेकिन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की ओर से रिसर्च की गई है. नई प्रजातियां किसानों के आर्थिक लाभ के लिए भी एक बड़ा काम कर सकती है. इन दोनों किस्मों से किसान 1 माह की अवधि में ही 70 हजार प्रति एकड़ की आय प्राप्त कर सकते हैं. छत्तीसगढ़ राज्य बीज उप समिति की ओर से इन दोनों किस्मों को छत्तीसगढ़ राज्य के लिए जारी करने की अनुशंसा भी कर ली गई है. इन दोनों भाजियों को छत्तीसगढ़ राज्य में प्रसारित करने के लिए अनुमति भी दे दी गई है. सीजी लाल भाजी 1 और सीजी चौलाई भाजी 1 दोनों ही किस्में अब किसानों को उपलब्ध होगी. जो साधारण भाजियों की तुलना में 43 प्रतिशत तक अधिक उपज दे सकती है. यह साधारण भाजियों की तुलना में स्वादिष्ट किस्में हैं, जो तेजी से बढ़ती है और पत्तियां भी ज्यादा लाल होती है. यह किस्में स्थानीय परिस्थितियों में 140 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन देती है. वहीं सीजी चौलाई 1 की खेती, अलका-अरुणिमा की तुलना में 56 प्रतिशत तक ज्यादा हो सकती है.

cg lal bhaji 1 and cg chaulai bhaji 1
लाल भाजी और चौलाई भाजी की नई किस्म

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प्रदेश में मिलती है 36 तरह की भाजियां

छत्तीसगढ़ में वैसे भी भाजियों को लेकर लोगों में खास उत्सुकता होती है. गांव से लेकर शहरों तक लोग भाजियों को बड़े ही चाव से खाते हैं. अब इस तरह के रिसर्च से भाजियों की लोकप्रियता और ज्यादा बढ़ेगी. दरअसल कोरोनावायरस और लॉकडाउन के दौरान लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सजग हो गए है. बता दें कि छत्तीसगढ़ में लाल भाजी, चौलाई भाजी, करमत्ता भाजी, अमारी भाजी, चेच भाजी, चना, बर्रे, सरसों, कुम्हड़ा भाजी, बोहार, कांदा, कुसुम भाजी, पालक, मेथी, तिवरा भाजी, बथुआ, मुनगा भाजी, खेड़ा भाजी, चुनचुनिया, प्याज भाजी, जरी, कोचई, चपेटा, ब्राह्मी भाजी, मूली भाजी और इसके साथ ही कई ऐसी भाजियां है जिन्हें छत्तीसगढ़ी बड़े ही चाव से खाते हैं.

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