रायपुर: छत्तीसगढ़ में चोरी की घटनाओं में कमी की वजह बढ़ोत्तरी हो रही है. इनमें से एक बकरा चोरी भी है. प्रदेश में बढ़ती बकरा चोरी की वजह से किसान परेशान और चिंतित है. रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा और बस्तर समेत कई जिलों में बकरा चोरी के मामले सामने आते रहते हैं. बकरा चोरी के बढ़ते मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर जायजा लिया तो कई चौंकाने वाली बात सामने आई. जिसमें पता चला कि पिछले एक साल में छत्तीसगढ़ में 300 से ज्यादा बकरा चोरी के मामले सामने आए हैं. बहुत से बकरा पालक कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए बकरा चोरी करने वाले गिरोह या आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करवाते हैं.
FIR के लिए मांगी जाती है रिश्वत
रायपुर से लगे खुड़मुड़ा गांव के बकरा पालक किसान संतराम सोनकर बताते हैं कि वे पिछले 40 वर्षों से इसी पेशे में है. तीन अलग अलग दफा उनके यहां से बकरा चोरी की वारदात हुई. जिसमें चोरों ने कुल 13 बकरे चोरी किए. जब चोरी की रिपोर्ट लिखाने जब वे थाने पहुंचे तो पुलिस स्टाफ ने रिपोर्ट लिखने से पहले माना किया लेकिन उन्होंने रिपोर्ट के लिए पुलिस से गुहार लगाई तो बदले में पीड़ित से रिश्वत की मांग की. इतना ही नहीं बल्कि 'पुलिस कर्मियों ने यह तक कह दिया कि यहां इंसान चोरी हो जाता है तो यह तो आपका बकरा है'.
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10 बकरे चोरी, नहीं हुई कार्रवाई
रायपुर के भाठागांव में रहने वाले बकरा पालक किसान तुलसीराम लंबे समय से बकरा पालन का काम कर रहे हैं. तुलसी राम के यहां से 4 बार बकरा चोरी की घटना हुई है. हाल ही में उनके यहां से एक साथ 10 बकरों को चोर ले उड़े. उन बकरों की कीमत करीब दो लाख रुपये थी. उन्होंने इसकी शिकायत पुरानी बस्ती थाना में दर्ज कराई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. किसान तुलसी राम कहते हैं वे इन बकरा चोर गिरोह से काफी परेशान है. यही हाल रहा तो वे बकरा पालन का काम बंद कर देंगे. उन्होंने पुलिस विभाग के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी गुहार लगाई है. भूपेश सरकार को बकरा चोरी रोकने के लिए बेहतर कदम उठाना चाहिए, अन्यथा लोग बकरा पालन बंद कर देंगे.
बंद किया बकरा पालना
दुर्ग जिले के खुड़मुड़ा गांव के किसान भुनेश्वर ने बकरा पालन करना बंद कर दिया है. उन्होंने बताया कि उनकी बाड़ी से चोरों
ने बकरा चुरा लिया था. इसकी शिकायत अमलेश्वर थाना में दर्ज कराई गई. लेकिन कार्रवाई ठंडे बस्ते में है. हम लोग बकरे को पाल पोसकर तैयार करते हैं. जब वह बेचने के लायक हो जाते हैं तो एक दिन वह चोरी हो जाते हैं. मेरे चाचा के यहां भी चोरी का मामला सामने आया था. उसके बाद से हमने बकरा पालन करना ही बंद कर दिया है. किसान चंद्र कुमार सिंह कहते हैं कि दो बार उनके यहां से बकरा चोरी हुआ है. पहली बार 80 हजार रुपये का बकरा चोरी हुआ था. उसके बाद दूसरी बार कम लागत के बकरों की चोरी हुई. हमने बकरा पालना ही बंद कर दिया है.
डेढ़ से दो साल में तैयार होता है बकरा
बकरे की कीमत करीब 10 हजार से शुरू होती है, जो एक से डेढ़ लाख रुपये तक पहुंच जाती है. किसान बकरा पालन कर डेढ़ से दो साल में अपने खून पसीने की मेहनत से बेचने योग्य तैयार करते हैं. किसानों को एक बकरे को तैयार करने में करीब 20 से 50 हजार रुपये खर्च हो जाता है. किसी तरह जब वह बेचने के योग्य हो जाता है तो उसे चोर ले उड़ते हैं.
बकरा चोरी की घटनाओं से चिंतित किसान
सबसे अधिक बकरा चोरी के मामले में दुर्ग से सामने आए हैं. सीएम बघेल के विधानसभा क्षेत्र के लोग बकरा चोरी की घटनाओं से चिंतित है. ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि खुद को किसान हितैसी बताने वाली सरकार कितनी संवेदनशील है. यदि राजधानी से लगे आसपास जिलों के थानों की बात करें तो अमलेश्वर थाना में सबसे अधिक शिकायतें हुई हैं.
पुलिस के लिए सरदर्द बना बकरा चोरी
बकरा चोरी के मामले में बहुत कम एफआईआर दर्ज होती है. कुछ माह पहले मंदिर हसौद थाने में 14 नग बकरियां चोरी होने का मामला प्रकाश में आया था. इसके साथ कबीर नगर थाने में भी इसी तरह का मामला आया है. जानकारों की माने तो बकरा चोरी का मामला पुलिस के लिए सिर दर्द होता है. चूंकि एफआईआर के दौरान हाइट, साइज समेत तमाम सारी चीजों का जिक्र किया जाता है. ऐसे में पुलिस वालों के लिए बकरा ढूंढना किसी चुनौती से कम नहीं है.