रायपुर: छत्तीसगढ़ में इस बार दसवीं बोर्ड (CGBSE,Chhattisgarh Board of Secondary Education) के परीक्षा परिणाम (cg board 10th result) शत-प्रतिशत रहे. इस बार दसवीं की परीक्षा में सभी को जनरल प्रमोशन (general promotion) दे दिया गया. ज्यादातर दसवीं के स्टूडेंट्स 90 प्रतिशत से ज्यादा नंबर से पास हुए हैं. ऐसे में अब स्टूडेंट्स और उनके पालकों के सामने 11वीं क्लास में सब्जेक्ट चयन करने की परेशानी खड़ी हो गई है. ETV भारत ने हाल ही में 10th क्लास पास हुए छात्र-छात्राओं के परिजनों से बातचीत की और सब्जेक्ट सलेक्शन (subject selection) को लेकर उनकी स्थिति को जाना.
क्लास 10th का रिजल्ट किसी भी छात्र के भविष्य की पढ़ाई के लिए एक मोड़ होता है. दसवीं के रिजल्ट के आधार पर ही 11वीं में सब्जेक्ट सलेक्ट किया जाता है. हालांकि इस साल दसवीं के स्टूडेंट्स बिना परीक्षा दिए जनरल प्रमोशन से पास हुए हैं. इसके चलते उन्हें इस बार अच्छे नंबर मिले हैं. अब ऐसे में स्टूडेंट्स के सामने कंफ्यूजन की स्थिति है.
आगे की पढ़ाई के लिए चिंतित
एक छात्र की मां कविता साहू ने बताया कि उनके बेटे ने हाल ही में दसवीं बोर्ड की परीक्षा पास की है. लेकिन अब उसके आगे की पढ़ाई की चिंता बनी हुई है. 11th में किस सब्जेक्ट से बच्चा पढ़ाई करेगा इस बारे में परिवार में लगातार चर्चा हो रही है. क्योंकि इस बार सरकार ने परीक्षा नहीं लेकर जनरल प्रमोशन दिया है. ऐसे में बच्चों ने किस प्रकार मेहनत की है और उनका कितना अंक रहा है यह हमें वास्तविक पता नहीं चल पा रहा है. उन्होंने बताया कि स्टूडेंट्स के जिस तरह से मार्क्स आए हैं ऐसे में उनके बेटे को मैथ्स या साइंस जैसा सब्जेक्ट आसानी से मिल जाएगा. पैरेंट्स अपने बच्चों से भी बात कर रहे हैं और समझा रहे हैं कि जिस सब्जेक्ट में उन्हें आसानी हो रही है वे उसी विषय को लें.
स्टूडेंट्स को नहीं समझ आता कंटेंट
शिवानी वर्मा ने बताया कि उनकी बहन 10th में अच्छे नंबरों से पास हुई हैं. उन्होंने कहा कि दसवीं की परीक्षा इसलिए होती है कि बच्चे अपने भविष्य को एक रास्ता दें. यहां से एक विद्यार्थी अपने लक्ष्य को तय करता है. लेकिन जनरल प्रमोशन के चलते स्टूडेंट्स को यह पता नहीं है कि, उनके सब्जेक्ट में क्या कंटेंट है. जनरल प्रमोशन के चलते एक ऐसी सिचुएशन क्रिएट हो गई है कि बच्चे अपना ग्यारहवीं का सब्जेक्ट चयन नहीं कर पा रहे हैं.
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भविष्य में न हो दिक्कत
तेजस्विनी ने बताया कि उनके भाई ने इस साल दसवीं की परीक्षा पास की है. लेकिन सब्जेक्ट चयन को लेकर वे बेहद दुविधा में हैं. जिस तरह से नंबर दिए गए हैं ऐसे में अगर हाई लेवल के सब्जेक्ट का चयन कर लिया जाता है और उसे पढ़ाई में दिक्कत होगी तो भविष्य में उन्हें दिक्कत हो सकती है.
छात्र जानते हैं अपना स्तर
जेएन पांडे शासकीय मल्टीपरपज स्कूल के प्राचार्य एमआर सावंत ने बताया कि जिस तरह से रिजल्ट आया है, कोरोना संक्रमण के चलते परीक्षा आयोजित नहीं की जा सकती थी. ऐसे में जो फैसला लिया गया वह सही है. शासकीय विद्यालयों में इस तरह की दिक्कतें नहीं आएंगी कि छात्रों को किस संकाय को लेना है. छात्र अपना स्तर अच्छे से जानते हैं. उन्होंने बताया कि अगर कोई दिक्कत आती है, या किसी विषय को लेकर ज्यादा लोगों ने आवेदन कर दिया है, उस दौरान प्रशासन द्वारा जो गाइडलाइन आएगी उस आधार पर कारवाई की जाएगी.
शासन के प्रोजेक्ट की मदद लें स्टूडेंट्स
शासकीय पीजी कन्या विद्यालय की प्राचार्य विद्या सक्सेना ने बताया कि दसवीं कक्षा के हर स्कूल का रिजल्ट अच्छा आया है. छात्रों का जनरल प्रमोशन हुआ है. ऐसे में सब्जेक्ट अलग-अलग करने को लेकर थोड़ी दिक्कत आ रही है. उन्होंने बताया कि शासन की ओर से आमा राइट समर प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है. जिसके तहत सभी बच्चों को हायर क्लासेस में जोड़ा जा रहा है. इस दौरान टीचर्स को बच्चों के साथ जोड़कर उनकी काउंसलिंग कराई जा रही है. उनके इंटरेस्ट के आधार पर उनके विषय का चयन किया जा रहा है.
पैरेंट्स और बच्चों की हो रही काउंसलिंग
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि जनरल प्रमोशन से जो नंबर आए हैं वह वास्तविक नहीं है. जिन बच्चों के ज्यादा परसेंटेज आए हैं वो साइंस ग्रुप में जाना चाहते हैं या मैथ्स और बायोलॉजी लेना चाहते हैं. फिलहाल पैरेंट्स और बच्चों की काउंसलिंग की जा रही है. उन्हें समझाया जा रहा है कि 10th का जो रिजल्ट आया है वह वास्तविक नहीं है. जिन स्कूलों में ज्यादा दिक्कत है, जहां साइंस संकाय बच्चे ज्यादा लेना चाहते हैं, तो वहां एग्जाम के बारे में भी विचार किया जा रहा है. ज्यादा मामला काउंसलिंग के जरिए सुलझ जाए इसकी कोशिश की जा रही है.
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क्या कहते हैं शिक्षाविद्
वहीं इस पूरे मामले पर ETV भारत ने शिक्षाविद जवाहर सूरी शेट्टी से बात की. उनका कहना है कि जिस तरह से जनरल प्रमोशन दिए गए हैं, ऐसे में बच्चों के अंक 90% से ज्यादा आए हैं. ऐसे में बच्चो के साथ-साथ स्कूल के सामने भी सब्जेक्ट चयन को लेकर दिक्कत आ रही है. कोई मापदंड उनके सामने दिखता भी नहीं है. इसके लिए तीन उपाए हो सकते हैं:
- पहला, ऐसी परिस्थिति में बच्चों के विवेक पर छोड़ दें कि वो क्या सब्जेक्ट लेना चाहता है. एक तो पहला अवसर है कि इस बार सभी को समान रूप से देखा जाएगा. दूसरा बच्चे अपने हिसाब से सब्जेक्ट ले सकते हैं.
- दूसरा, बच्चों को उनके इंटरेस्ट पर छोड़ दें, उन्हें अपनी रुचि के हिसाब से सब्जेक्ट लेने दें. क्योंकि कई बार माता-पिता के अलावा शिक्षकों को भी लगता है उन्होंने जो सपने देखे हैं उस हिसाब से उनकी क्षमता के हिसाब से बच्चे ने वह सब्जेक्ट नहीं लिया. ऐसे में बच्चा पैरेंट्स के कहने पर दूसरा सब्जेक्ट ले लेता है.
- तीसरा, ऑनलाइन टेस्ट उपलब्ध है. जो सब्जेक्ट चयन करने में स्टूडेंट्स की मदद करेगा. ऑनलाइन टेस्ट में बच्चा भाग ले, इससे क्षमता और बच्चे के इंटरेस्ट का आंकलन कर सब्जेक्ट चयन में मदद मिल सकती है.
- स्कूल प्रबंधन की ओर से भी ये व्यवस्था की जा सकती है कि इस साल जो बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, अभी अपना सब्जेक्ट चयन करें. 2 महीने तक बच्चे ऑनलाइन क्लास में बैठें. अगर उन्हें वो सब्जेक्ट समझ आ जाता है तो ठीक है. नहीं तो वे अपना सब्जेक्ट बदल सकते हैं.