रायपुर: रायपुर में नई राजधानी का निर्माण (Construction of new capital in Raipur) भाजपा शासनकाल में कराया गया था. जहां पर लगभग 27 गांव के हजारों किसानों की जमीन आपसी सहमति के आधार पर सरकार ने अपने कब्जे में ली थी. सरकार ने कहा था कि 27 गांव के प्रभावित किसानों को 4 गुना मुआवजा राशि, पुनर्वास योजना का लाभ और रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा. लेकिन इन किसानों की समस्याएं जस की तस बनी हुई है. इसको लेकर प्रभावित किसानों में गुस्सा और नाराजगी देखने को मिल रही है. प्रभावित किसान सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर एनआरडीए ऑफिस के सामने 3 जनवरी से अनिश्चितकालीन (indefinite protest in Raipur) प्रदर्शन करेंगे.
किसान महापंचायत का भी है आयोजन (Kisan Mahapanchayat organized)
किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष रूपनलाल चंद्राकर (Roopanlal Chandrakar President of Farmers Welfare Committee) ने बताया कि नई राजधानी के प्रभावित लगभग 27 गांव के किसान दिल्ली की तर्ज पर नया रायपुर स्थित एनआरडीए के ऑफिस के सामने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. तब तक प्रदर्शन किया जाएगा जब तक सरकार के द्वारा उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता. इसी महीने की 27 और 28 दिसंबर के बीच एक महापंचायत (Kisan Mahapanchayat organized) भी इस प्रदर्शन को लेकर आयोजित किया जाएगा. जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी. रूपन चंद्राकर ने बताया कि प्रदर्शन को लेकर किसान नेता शिव कुमार कका और राकेश टिकैत से भी बात हुई है.
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किसान सड़क पर उतरकर अपनी लड़ाई लड़ने को तैयार
वर्ष 2013 में भाजपा सरकार और प्रभावित किसानों के बीच आपसी समझौता हुआ था. नियम और शर्तों के साथ किसानों ने अपनी जमीन नई राजधानी के लिए दे दी. जिसमें कयाबांधा, राखी, बरौंदा, नवागांव, कोटराभाठा जैसे 27 गांव के लगभग 6,000 किसान प्रभावित हुए हैं. कई किसानों को मुआवजा राशि के साथ ही पुनर्वास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है और ना ही किसी तरह का रोजगार उपलब्ध कराया गया है. इस मुद्दे पर किसान अब गुस्से में हैं.