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लाउडस्पीकर से पढ़ाई: ध्वनि प्रदूषण के साथ बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक!

कोरोना संकट के कारण बच्चों को लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है. लाउडस्पीकर की पढ़ाई से जहां बच्चों को फायदा मिल रहा है वहीं इससे कई नुकसान भी हो रहा है. आइए जानते है लाउडस्पीकर से पढ़ाई पर क्या कहते है एक्सपर्ट .

study with loudspeaker
लाउडस्पीकर से पढ़ाई
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Published : Aug 20, 2020, 5:45 PM IST

Updated : Aug 20, 2020, 7:12 PM IST

रायपुर: कोरोना संकट को दौर में उद्योग-व्यापार के साथ लगभग सभी काम प्रभावित रहा है, हालांकि अनलॉक के बाद कई सेक्टर को खोल दिया गया है. इन सबके बीच एक सेक्टर ऐसा है जो अबतक कोरोना का कहर झेल रहा है और इसके खुलने का आगे भी फिलहाल कोई आसार नहीं दिख रहा है. हालांकि अब इसके कुछ विकल्प निकाले जा रहे हैं. ये शिक्षा का क्षेत्र है और इसका विकल्प ऑनलाइन क्लास के रूप में देखा जा रहा है.

लाउडस्पीकर से पढ़ाई के प्रभाव

ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पहले सरकार ने पहल की और बच्चों की पढ़ाई के लिए कई विकल्प लाए गए. जो शहरी क्षेत्रों में तो कुछ हद तक कामयाब रहा, लेकिन ग्रामीण अंचलों में लगभग फेल हो गया है. दरअसल, ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बच्चों को मोबाइल और नेटवर्क के साथ मोबाइल डेटा की जरूरत है, जो ग्रामीण अंचल के बच्चों के पास लगभग नहीं के बराबर उपलब्ध है. कुछ बच्चों के पास उपलब्ध है भी तो नेटवर्क नहीं मिलना उनके सामने बड़ी समस्या बनकर उभरी है. इसे देखते हुए अब स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा नई पहल की गई है, जिसमें बच्चों को लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाया जाएगा. इसे कुछ ग्रामीण अंचलों में लिए शुरू भी कर दिया गया है.

पढ़ें: SPECIAL: बस्तर की भाटपाल पंचायत में बजता है लाउडस्पीकर, पढ़ते हैं बच्चे, गढ़ते हैं भविष्य

कितने स्कूलों में लाउडस्पीकर से हो रही है पढ़ाई

रायपुर जिले के 357 स्कूलों में लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई हो रही है. इसमें अभनपुर के 147, आरंग के 105, धरसींवा ग्रामीण के 82, धरसींवा शहरी के 13 और तिल्दा के 10 स्कूलों में लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई हो रही है. इन 357 स्कूलों में लगभग 25 हजार बच्चों को लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है.

क्या हैं फायदे ?

शिक्षा विभाग कहता है, लाउडस्पीकर से जब बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, तो ऐसे में बच्चों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन आसानी से करवाया जा सकता है, क्योंकि लाउडस्पीकर से आवाज तेज होती है. ऐसे में बच्चे यदि दूर भी बैठे होंगे तब भी उन्हें सुनाई देगा. ऐसे में 2 गज की दूरी को आसानी से मेंटेन किया जा सकता है.

पढ़ें: SPECIAL: कोरोना काल में लाउडस्पीकर बना वरदान, 200 से ज्यादा छात्रों को पढ़ाई में मिल रही मदद

क्या हैं नुकसान ?

इधर, जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर का कहना है, लाउडस्पीकर से पढ़ाई का मुख्य उद्देश्य यहीं था कि बच्चों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा सके, लेकिन अब जो फील्ड में दिक्कतें आ रही है, वह यह है कि जब लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई कराई जाती है तो ऐसे में बच्चे और उनके परिजन जहां पर स्पीकर लगा होता है उसके पास आकर एकत्रित हो जाते हैं, इससे भीड़ बढ़ती है और कहीं न कहीं संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है.

पढ़ें: SPECIAL: सूरजपुर के इस गांव में बच्चों को पढ़ाते हैं 'लाउडस्पीकर गुरुजी' !

क्या कहते है एक्सपर्ट ?

वहीं, शिक्षाविद जवाहर शूरी शेट्टी बताते हैं, सरकार ने ऑनलाइन क्लासेज शुरू की जो कि एक अच्छी पहल थी, लेकिन 40 परसेंट ऐसे बच्चे थे जिनतक यह एजुकेशन नहीं पहुंच पा रही थी. इसके बाद सरकार ने अलग-अलग आयाम खोजे रेडियो और दूरदर्शन की बात की और उसके बाद लाउडस्पीकर से भी पढ़ाई की शुरुआत की, लेकिन लाउडस्पीकर से जब पढ़ाई होती है तो हमें यह समझना होगा कि उस एरिया में अन्य लोग भी रहते हैं, साथ ही साथ बच्चे एकाग्रचित्त होकर नहीं पढ़ते लाउडस्पीकर से जब पढ़ाई होगी तो बच्चों का ध्यान पढ़ाई से ज्यादा ध्वनि पर रहेगा.

आंख-कान के लिए खतरनाक

आंख-कान के एक्सपर्ट डॉ राकेश गुप्ता ने कहते हैं, जब लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों को पढ़ाए जाएंगे, तो ऐसे में ध्वनि प्रदूषण के चांस होते हैं. बच्चों का शरीर काफी सेंसेटिव होता है. वह इस वक्त ग्रोथ कर रहे होते हैं और ऐसे में उनका लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ना खतरनाक साबित हो सकता है. कई ऐसे एक्ट हैं जो लाउडस्पीकर के खिलाफ हैं, लाउडस्पीकर से पढ़ाई के दौरान उन एक्ट का भी उल्लंघन किया जाएगा. मुझे लगता है कि सरकार को लाउडस्पीकर से पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं देना चाहिए और यदि लागू कर दिया है तो इससे रोक देना चाहिए.

रायपुर: कोरोना संकट को दौर में उद्योग-व्यापार के साथ लगभग सभी काम प्रभावित रहा है, हालांकि अनलॉक के बाद कई सेक्टर को खोल दिया गया है. इन सबके बीच एक सेक्टर ऐसा है जो अबतक कोरोना का कहर झेल रहा है और इसके खुलने का आगे भी फिलहाल कोई आसार नहीं दिख रहा है. हालांकि अब इसके कुछ विकल्प निकाले जा रहे हैं. ये शिक्षा का क्षेत्र है और इसका विकल्प ऑनलाइन क्लास के रूप में देखा जा रहा है.

लाउडस्पीकर से पढ़ाई के प्रभाव

ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पहले सरकार ने पहल की और बच्चों की पढ़ाई के लिए कई विकल्प लाए गए. जो शहरी क्षेत्रों में तो कुछ हद तक कामयाब रहा, लेकिन ग्रामीण अंचलों में लगभग फेल हो गया है. दरअसल, ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बच्चों को मोबाइल और नेटवर्क के साथ मोबाइल डेटा की जरूरत है, जो ग्रामीण अंचल के बच्चों के पास लगभग नहीं के बराबर उपलब्ध है. कुछ बच्चों के पास उपलब्ध है भी तो नेटवर्क नहीं मिलना उनके सामने बड़ी समस्या बनकर उभरी है. इसे देखते हुए अब स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा नई पहल की गई है, जिसमें बच्चों को लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाया जाएगा. इसे कुछ ग्रामीण अंचलों में लिए शुरू भी कर दिया गया है.

पढ़ें: SPECIAL: बस्तर की भाटपाल पंचायत में बजता है लाउडस्पीकर, पढ़ते हैं बच्चे, गढ़ते हैं भविष्य

कितने स्कूलों में लाउडस्पीकर से हो रही है पढ़ाई

रायपुर जिले के 357 स्कूलों में लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई हो रही है. इसमें अभनपुर के 147, आरंग के 105, धरसींवा ग्रामीण के 82, धरसींवा शहरी के 13 और तिल्दा के 10 स्कूलों में लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई हो रही है. इन 357 स्कूलों में लगभग 25 हजार बच्चों को लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है.

क्या हैं फायदे ?

शिक्षा विभाग कहता है, लाउडस्पीकर से जब बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, तो ऐसे में बच्चों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन आसानी से करवाया जा सकता है, क्योंकि लाउडस्पीकर से आवाज तेज होती है. ऐसे में बच्चे यदि दूर भी बैठे होंगे तब भी उन्हें सुनाई देगा. ऐसे में 2 गज की दूरी को आसानी से मेंटेन किया जा सकता है.

पढ़ें: SPECIAL: कोरोना काल में लाउडस्पीकर बना वरदान, 200 से ज्यादा छात्रों को पढ़ाई में मिल रही मदद

क्या हैं नुकसान ?

इधर, जिला शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर का कहना है, लाउडस्पीकर से पढ़ाई का मुख्य उद्देश्य यहीं था कि बच्चों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा सके, लेकिन अब जो फील्ड में दिक्कतें आ रही है, वह यह है कि जब लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई कराई जाती है तो ऐसे में बच्चे और उनके परिजन जहां पर स्पीकर लगा होता है उसके पास आकर एकत्रित हो जाते हैं, इससे भीड़ बढ़ती है और कहीं न कहीं संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है.

पढ़ें: SPECIAL: सूरजपुर के इस गांव में बच्चों को पढ़ाते हैं 'लाउडस्पीकर गुरुजी' !

क्या कहते है एक्सपर्ट ?

वहीं, शिक्षाविद जवाहर शूरी शेट्टी बताते हैं, सरकार ने ऑनलाइन क्लासेज शुरू की जो कि एक अच्छी पहल थी, लेकिन 40 परसेंट ऐसे बच्चे थे जिनतक यह एजुकेशन नहीं पहुंच पा रही थी. इसके बाद सरकार ने अलग-अलग आयाम खोजे रेडियो और दूरदर्शन की बात की और उसके बाद लाउडस्पीकर से भी पढ़ाई की शुरुआत की, लेकिन लाउडस्पीकर से जब पढ़ाई होती है तो हमें यह समझना होगा कि उस एरिया में अन्य लोग भी रहते हैं, साथ ही साथ बच्चे एकाग्रचित्त होकर नहीं पढ़ते लाउडस्पीकर से जब पढ़ाई होगी तो बच्चों का ध्यान पढ़ाई से ज्यादा ध्वनि पर रहेगा.

आंख-कान के लिए खतरनाक

आंख-कान के एक्सपर्ट डॉ राकेश गुप्ता ने कहते हैं, जब लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों को पढ़ाए जाएंगे, तो ऐसे में ध्वनि प्रदूषण के चांस होते हैं. बच्चों का शरीर काफी सेंसेटिव होता है. वह इस वक्त ग्रोथ कर रहे होते हैं और ऐसे में उनका लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ना खतरनाक साबित हो सकता है. कई ऐसे एक्ट हैं जो लाउडस्पीकर के खिलाफ हैं, लाउडस्पीकर से पढ़ाई के दौरान उन एक्ट का भी उल्लंघन किया जाएगा. मुझे लगता है कि सरकार को लाउडस्पीकर से पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं देना चाहिए और यदि लागू कर दिया है तो इससे रोक देना चाहिए.

Last Updated : Aug 20, 2020, 7:12 PM IST
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