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रायपुर: जंगलों की कटाई कर अपात्रों को पट्टे बांटने का मामला, नितिन सिंघवी जाएंगे सुप्रीम कोर्ट - छत्तीसगढ़ के जंगल

छत्तीसगढ़ में जंगल काटकर अपात्रों को बांटे जा रहे वन अधिकार पट्टे का मुद्दा गरमाता जा रहा है. इसे रद्द करने की मांग काफी समय से हो रही है. इस मामले में रायपुर के नितिन सिंघवी हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.

जंगलों की कटाई के मुद्दे पर SC जाएंगे नितिन सिंघवी
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Published : Nov 6, 2019, 5:10 PM IST

Updated : Nov 6, 2019, 6:00 PM IST

रायपुर: जंगलों की कटाई और अपात्रों को वन अधिकार पट्टे दिए जाने के मामले में रायपुर के नितिन सिंघवी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. इससे पहले भी नितिन सिंघवी इस मुद्दे पर हाईकोर्ट का रुख कर चुके हैं. अब वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे.

जंगलों की कटाई के मुद्दे पर SC जाएंगे नितिन सिंघवी

दरअसल छत्तीसगढ़ में जंगल काटकर अपात्रों को बांटे जा रहे वन अधिकार पट्टे को निरस्त करने और इस पर रोक लगाने की लगातार मांग हो रही है.

वन अधिकार पट्टे बांटने पर लगी एक महीने की रोक

नितिन सिंघवी की याचिका और रिटायर्ड अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. अनूप भल्ला की हस्तक्षेप याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि, 'समान प्रकरण माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी लंबित है.याचिकाकर्ता चाहे तो सर्वोच्च न्यायालय जा सकते हैं. इसलिए वन अधिकार पट्टे बांटने पर एक महीने तक और रोक लगी रहेगी.'

  • डॉक्टर अनूप भल्ला ने महासमुंद, कवर्धा, धमतरी, में पिछले कुछ वर्षों में वन अधिकार पट्टे के लिए हुई वनों की कटाई के वीडियो को हस्तक्षेप याचिका में कोर्ट में पेश किया है. इस वीडियो में वन कर्मचारियों और ग्रामीणों का पक्ष भी है.
  • वन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक अगर कोई अनुसूचित जनजाति का 13 दिसंबर 2005 के पहले 10 एकड़ वनभूमि पर कब्जा था तो वह पट्टा प्राप्त करने की पात्रता रखेगा, जिसके लिए उसे प्रमाण प्रस्तुत करना होगा.
  • इसी तरह से अन्य परंपरागत वन निवासियों जो 13 दिसम्बर 2005 के पहले साल 1930 से वन क्षेत्रों में रह रहे हैं, वे भी पट्टा प्राप्त करने के पात्र होंगे.

पढ़ें- धान खरीदी को लेकर फिर केंद्र पर बरसे बघेल, कहा- 'किसान विरोधी है मोदी सरकार'

जंगल को काटकर बनाए गए पीएम आवास योजना के घर
याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने कहा कि, ओड़िशा की तरफ से उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है. और वहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाए जा रहे हैं.

वहीं नितिन ने कहा कि जंगलों की लगातार कटाई करने से हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए ये परेशानी की बात होगी और इससे पर्यावरण को काफी नुकसान होगा.

रायपुर: जंगलों की कटाई और अपात्रों को वन अधिकार पट्टे दिए जाने के मामले में रायपुर के नितिन सिंघवी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. इससे पहले भी नितिन सिंघवी इस मुद्दे पर हाईकोर्ट का रुख कर चुके हैं. अब वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे.

जंगलों की कटाई के मुद्दे पर SC जाएंगे नितिन सिंघवी

दरअसल छत्तीसगढ़ में जंगल काटकर अपात्रों को बांटे जा रहे वन अधिकार पट्टे को निरस्त करने और इस पर रोक लगाने की लगातार मांग हो रही है.

वन अधिकार पट्टे बांटने पर लगी एक महीने की रोक

नितिन सिंघवी की याचिका और रिटायर्ड अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. अनूप भल्ला की हस्तक्षेप याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि, 'समान प्रकरण माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी लंबित है.याचिकाकर्ता चाहे तो सर्वोच्च न्यायालय जा सकते हैं. इसलिए वन अधिकार पट्टे बांटने पर एक महीने तक और रोक लगी रहेगी.'

  • डॉक्टर अनूप भल्ला ने महासमुंद, कवर्धा, धमतरी, में पिछले कुछ वर्षों में वन अधिकार पट्टे के लिए हुई वनों की कटाई के वीडियो को हस्तक्षेप याचिका में कोर्ट में पेश किया है. इस वीडियो में वन कर्मचारियों और ग्रामीणों का पक्ष भी है.
  • वन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक अगर कोई अनुसूचित जनजाति का 13 दिसंबर 2005 के पहले 10 एकड़ वनभूमि पर कब्जा था तो वह पट्टा प्राप्त करने की पात्रता रखेगा, जिसके लिए उसे प्रमाण प्रस्तुत करना होगा.
  • इसी तरह से अन्य परंपरागत वन निवासियों जो 13 दिसम्बर 2005 के पहले साल 1930 से वन क्षेत्रों में रह रहे हैं, वे भी पट्टा प्राप्त करने के पात्र होंगे.

पढ़ें- धान खरीदी को लेकर फिर केंद्र पर बरसे बघेल, कहा- 'किसान विरोधी है मोदी सरकार'

जंगल को काटकर बनाए गए पीएम आवास योजना के घर
याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने कहा कि, ओड़िशा की तरफ से उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है. और वहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाए जा रहे हैं.

वहीं नितिन ने कहा कि जंगलों की लगातार कटाई करने से हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए ये परेशानी की बात होगी और इससे पर्यावरण को काफी नुकसान होगा.

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रायपुर, जंगल काट कर अपात्रों को बांटे जा रहे वन अधिकार पट्टों पर जांच, अपात्रों को बांटे गये पट्टो को निरस्त करने और बांटने पर रोक की मांग लेकर रायपुर निवासी नितिन सिंघवी अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। वे छत्तीसगढ़ के जंगलों को बचाने के लिए वे सुप्रीम कोर्ट जाकर अपना पक्ष रखेंगे।

Body: दरअसल छत्तीसगढ़ में जंगल काटकर अपात्रो को बांटे जा रहे वन अधिकार पट्टो पर जांच अपात्रो को बांटे गए पट्टो को निरस्त करने और इस पर रोक लगाने के लिए ही लगातार मांग की जा रही है। रायपुर निवासी नितिन सिंघवी द्वारा दायर की गई याचिका और सेवानिवृत्त अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ अनूप भल्ला की हस्तक्षेप याचिका की सुनवाई करते हुए मान. मुख्य न्यााधीश पी.आर. रामचन्द्रन मेनन तथा न्यायमूर्ति पी.पी.साहू की बेंच ने कहा कि समान प्रकरण मान सर्वोच्च न्यायालय में भी लंबित है। इसके बाद ही याचिकाकर्ता चाहे तो सर्वोच्च न्यायालय जा सकते है। इस लिए वन अधिकार पट्टे बांटने पर एक माह तक और रोक लगी रहेगी। डॉक्टर अनूप भल्ला ने महासमुंद, कवर्धा, धमतरी, में पिछले कुछ वर्षो वन अधिकार पट्टे के लिए हुई वनों की कटाई के वीडयो ग्रामीणों और वन कर्मचारियों के साथ लिए गए साक्षात्कार के साथ हस्तक्षेप याचिका में प्रस्तुस्त किये। वन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अगर कोई अनुसूचित जनजाति का 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व 10 एकड़ वनभूमि तक कब्जा था तो वह ही वह पट्टा प्राप्त करने की पात्रता रखेगा, जिसके लिये उसे प्रमाण प्रस्तुत करना पड़ेगा। इसी प्रकार अन्य परंपरागत वन निवासियों जो 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व वर्ष 1930 से वन क्षेत्रों में रह रहे हैं वे भी पट्टा प्राप्त करने के पात्र होंगे । याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने कहा कि ओडिसा की तरफ से उदन्ती सीतानदी टाईगर रिजर्व में हो रही वनों की कटाई के फोटो प्रस्तुत करते हुये बताया गया कि पेड़ो की छाल को नीचे से काट कर उन्हें मार दिया जाता है। पेड़ो को जलाया जाता है। टाईगर रिजर्व क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के मकान बनाये गये है।

बाईट नितिन सिंघवी, याचिकाकर्ता

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुरConclusion:
Last Updated : Nov 6, 2019, 6:00 PM IST
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