रायपुर: जंगलों की कटाई और अपात्रों को वन अधिकार पट्टे दिए जाने के मामले में रायपुर के नितिन सिंघवी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. इससे पहले भी नितिन सिंघवी इस मुद्दे पर हाईकोर्ट का रुख कर चुके हैं. अब वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे.
दरअसल छत्तीसगढ़ में जंगल काटकर अपात्रों को बांटे जा रहे वन अधिकार पट्टे को निरस्त करने और इस पर रोक लगाने की लगातार मांग हो रही है.
वन अधिकार पट्टे बांटने पर लगी एक महीने की रोक
नितिन सिंघवी की याचिका और रिटायर्ड अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. अनूप भल्ला की हस्तक्षेप याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि, 'समान प्रकरण माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी लंबित है.याचिकाकर्ता चाहे तो सर्वोच्च न्यायालय जा सकते हैं. इसलिए वन अधिकार पट्टे बांटने पर एक महीने तक और रोक लगी रहेगी.'
- डॉक्टर अनूप भल्ला ने महासमुंद, कवर्धा, धमतरी, में पिछले कुछ वर्षों में वन अधिकार पट्टे के लिए हुई वनों की कटाई के वीडियो को हस्तक्षेप याचिका में कोर्ट में पेश किया है. इस वीडियो में वन कर्मचारियों और ग्रामीणों का पक्ष भी है.
- वन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक अगर कोई अनुसूचित जनजाति का 13 दिसंबर 2005 के पहले 10 एकड़ वनभूमि पर कब्जा था तो वह पट्टा प्राप्त करने की पात्रता रखेगा, जिसके लिए उसे प्रमाण प्रस्तुत करना होगा.
- इसी तरह से अन्य परंपरागत वन निवासियों जो 13 दिसम्बर 2005 के पहले साल 1930 से वन क्षेत्रों में रह रहे हैं, वे भी पट्टा प्राप्त करने के पात्र होंगे.
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जंगल को काटकर बनाए गए पीएम आवास योजना के घर
याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने कहा कि, ओड़िशा की तरफ से उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में लगातार पेड़ों की कटाई हो रही है. और वहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर बनाए जा रहे हैं.
वहीं नितिन ने कहा कि जंगलों की लगातार कटाई करने से हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए ये परेशानी की बात होगी और इससे पर्यावरण को काफी नुकसान होगा.