रायपुर : हर साल विश्व एड्स दिवस (World Aids Day 2021) पूरे विश्व में 1 दिसम्बर को मनाया जाता है. इस दिवस के मनाने का उद्देश्य लोगों को एड्स के बारे में जागरूक करना है. एड्स ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी (HIV) वायरस के संक्रमण के कारण होने वाला महामारी का रोग है. संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने साल 1995 में विश्व एड्स दिवस के लिए एक आधिकारिक घोषणा की थी, जिसके बाद से दुनियाभर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाने लगा. एड्स एक ऐसी बीमारी है, जिसमें इंसान की संक्रमण से लड़ने की शारीरिक क्षमता धीरे-धीरे घटने लगती है. अब तक एड्स का कोई प्रभावी इलाज नहीं है. इस बीमारी से बचने का एकमात्र उपाय सावधानी ही है.
ऐसे हुई शुरुआत
थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न दोनों विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) जिनेवा स्विट्जरलैंड के एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक सूचना अधिकारी थे. दोनों ने एड्स दिवस का विचार डॉ. जॉननाथन मन्न (एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के निदेशक) से साझा किया. उन्होंने इसे स्वीकृति दे दी और साल 1988 से 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
कॉन्गो में आया था पहला मामला
साल 1959 में अफ्रीका के कॉन्गो में एड्स का पहला मामला सामने आया था. इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. जब उसके खून की जांच की गई तब जाकर उसे एड्स होने की पुष्टि हुई. साल 1980 की शुरुआत में यह बीमारी सामने आई, जिसके बाद अबतक पूरी दुनिया में लाखों की तादाद में लोग इस बीमारी से जान गंवा चुके हैं. जारी रिपोर्ट के अनुसार 900 नए बच्चे पूरी दुनिया में हर दिन एड्स का शिकार (900 New Children Are Becoming Victims of AIDS Every Day All Over The World) हो रहे हैं.
मनुष्य तक कैसे पहुंचा एड्स
वैज्ञानिकों के मुताबिक एचआईवी चिंपैजी वायरस का एक परिवर्तित रूप है, जो सिमियन इम्युनोडिफिसिएंसी वायरस के नाम से भी जाना जाता है. किन्शासा बुशमीट का बड़ा बाजार था और संभवतः संक्रमित खून के संपर्क में आने से यह मनुष्यों तक पहुंचा. वैज्ञानिकों के मुताबिक इस वायरस ने धीरे-धीरे सबसे पहले चिंपैंजी, गोरिल्ला, बंदर और फिर मनुष्यों को अपने प्रभाव में लिया.
एड्स से जुड़ी रोचक जानकारी
- एड्स पर बनी पहली हॉलीवुड फिल्म का नाम ‘एंड द बैंड प्लेन ऑन’ है.
- 900 नए बच्चे पूरी दुनिया में हर दिन एड्स का शिकार हो रहे हैं.
- साल 1986 में भारत में एड्स का पहला मामला सामने आया था.
- 60 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान होने पर एचआईवी के विषाणु मर जाते हैं.
एड्स के लक्षण
- बुखार.
- ठिठुरन.
- जोड़ों में दर्द.
- मांसपेशियों में दर्द.
- गले में खराश.
- पसीना (खासकर रात में).
- बढ़ी हुई ग्रंथियां.
- लाल चकत्ता.
- थकावट.
- कमजोरी.
- वजन में गिरावट.
एचआईवी संक्रमण के कारण
- असुरक्षित यौन संपर्क.
- संक्रमित रक्त चढ़ाने से.
- संक्रमित इंजेक्शन, ब्लेड से.
इनसे नहीं होता एचआईवी
- त्वचा के स्पर्श से.
- थूकना.
- दांत काटने.
- छींकने.
- स्नानगृह, तौलिया और बर्तनों के प्रयोग से.
- मच्छरों के काटने से.
संक्रमित व्यक्ति ऐसे करें बचाव
- हर बार यौन संपर्क बनाते समय नया कंडोम इस्तेमाल करें.
- एचआईवी संक्रमित हैं तो अपने यौन साथी को बताएं.
- स्वच्छ सुई का प्रयोग करें, शराब और धूम्रपान न करें.
- व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएं जैसे रेजर, टूथब्रश या चिमटी को अलग रखें.
- रक्तदान अथवा अंगदान ना करें, स्तनपान न कराएं.
- गर्भधारण से पूर्व विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें.
क्या करें, क्या न करें
- इस बीमारी के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें.
- हमेशा जीवाणुरहित या डिस्पोजेबल सीरिंज का ही उपयोग करें.
- एचआईवी संक्रमित महिला गर्भधारण के दौरान अपने खून में संक्रमण की मात्रा कम करने वाली दवा नियमित लें.
- कोई भी दवा बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं लेनी चाहिए.
- एचआईवी संक्रमण, एड्स में न तब्दील हो जाए, इसके लिए पीड़ित नियमित दवा लें.
- इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए हेल्दी फूड और संतुलित भोजन का ही सेवन करें.
- संक्रमण से पीड़ित व्यक्तियों में सिगरेट के कारण हार्ट अटैक और फेफड़ों में कैंसर होने की संभावना अधिक होती है.
- इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को सिगरेट पीने से परहेज करना चाहिए.