रायपुर: शहर की 9 साल की बच्ची आशिता अग्रवाल ने क्रिसमस का महत्व समझा और अपने आसपास रहने वाले जरुरतमंद बच्चों के चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए, एक प्यारी सी कोशिश की. आशिता ने कुछ बच्चों को ड्राइंग सेट्स बांटे. ताकि वह क्रिएटिव अंदाज में क्रिसमस मना सकें और कलर पैड के साथ अपनी जिंदगीयों में भी खुशी के रंग भर सकें.
मम्मी से पूछा सांता का मतबल
रायपुर के डीडी नगर इलाके की रहने वाली आशिता अग्रवाल, केंद्रीय विद्यालय की छात्रा हैं. बीती रात मां दीपिका के साथ क्रिसमस को लेकर इस छोटी बच्ची की बातचीत हुई. आशिता ने मां से पूछा कि क्या सांता सचमुच में होते हैं. इसके बाद आशिता खुद सांता को देखने या उससे गिफ्ट लेने की जिद करने लगी. जब मां ने सांता का असल मतलब बताया, जो कि दूसरों को खुशियां बांटना भी है, तो आशिता को यह बात काफी अच्छी लगी. उसने मम्मी के साथ जाकर ड्राइंग सेट खरीदे और जरुरतमंद बच्चों को खुद सांता बनकर तोहफे बांटे.
पढ़ें: कोंडागांव: साईं जन्मोत्सव और क्रिसमस की धूम, कोरोना से निजात के मांगी दुआएं
औरों के लिए प्रेरणा बनीं आशिता
रायपुर के स्टेशन रोड, देवेंद्र नगर, काली मंदिर, घड़ी चौक, जयस्तंभ चौक जैसे हिस्सों पर रहने वाले जरुरतमंद बच्चों को आशिता ने रंगीन बक्सों में बंद तोहफे दिए. जिससे उनके चेहरों पर खुशी देखते ही बन रही थी. अनजाने में ही सही लेकिन इस छोटी सी बच्ची ने कोरोना के इस काल में खुशियां बांटने का जो संदेश दिया, वह औरों को भी प्रेरित करता है.