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रायपुर: सराफा व्यापार पर कोरोना का ग्रहण, 500 करोड़ का हुआ नुकसान - सराफा कारीगर परेशान

छत्तीसगढ़ के सराफा बाजार पर कोरोना काल का ग्रहण लगा हुआ है. लॉकडाउन की वजह से प्रदेश के सराफा व्यापारियों को तकरीबन 500 करोड़ का नुकसान हुआ है. सराफा व्यापारियों का कहना है कि बिजनेस ठप होने के कारण इससे जुड़े लोग खासा प्रभवित हुए हैं. अब उनके सामने भी रोजगार को लेकर बड़ी समस्या खड़ी हो गई है.

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सराफा व्यापार को नुकसान
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Published : May 11, 2020, 3:59 PM IST

Updated : May 14, 2020, 3:40 PM IST

रायपुर: कोविड-19 के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए लॉकडाउन की तारीख को बढ़ाकर 17 मई कर दिया गया है. इस लॉकडाउन के कारण हर तरह के छोटे-बड़े कारोबार प्रभावित हुए हैं, जिसमें सराफा भी शामिल है. लॉकडाउन की वजह से प्रदेश के ज्वेलर्स को तकरीबन 500 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है. पिछले 50 दिनों के लॉकडाउन के कारण सराफा व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है. ज्वेलर्स का कहना है कि सब बंद होने के बाद भी स्टाफ और कर्मचारियों को पेमेंट देना पड़ रहा है.

बंद पड़ा सराफा बाजार

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सराफा कारोबारियों का कहना है मार्च-अप्रैल और मई के महीने में शादियों का सीजन रहता है, लेकिन लॉकडाउन के कारण सराफा व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ा है. जिससे कमाई पर पूरी तरह ब्रेक लगा हुआ है. कारीगरी का काम, रिफाइनरी का काम और हाल मार्किंग का काम भी बंद है. इससे जुड़े लोग भी पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं. प्रदेश में अगर सराफा दुकानों की बात की जाए, तो 5 हजार 500 सराफा की छोटी-बड़ी दुकानें हैं. अकेले राजधानी रायपुर में सराफा की छोटी-बड़ी मिलाकर लगभग 15 सौ दुकानें हैं.

loss due to lockdown to jewelers
बंद पड़ा सराफा बाजार

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सराफा व्यवसाय से जुड़े लोग भी परेशान

सराफा कारोबारियों का कहना है कि 5 हजार 500 सराफा दुकानों पर आश्रित जो स्टाफ और कर्मचारी हैं, उन सबके सामने रोजी-रोटी की परेशानी आ गई है. जो बड़े कारोबारी हैं, वो तो अपने कर्मचारी और स्टाफ को पेमेंट दे रहे हैं, लेकिन जो छोटे व्यापारी हैं वो कर्मचारियों का पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं.

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50 दिनों से बंद पड़ा है व्यापार

बता दें कि छत्तीसगढ़ में सराफा दुकान में काम करने वाले कर्मचारी और स्टाफ की संख्या लगभग 12 हजार है, तो वहीं कारीगरी का काम करने वाले कारीगरों की संख्या प्रदेश में 2,000 है. रिफाइनरी का काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 300 है. प्रदेश में हाल मार्किंग सेंटर 5 जगहों पर है. रायपुर में 3, दुर्ग में 1 और बिलासपुर में 1 हॉल मार्किंग सेंटर है, जो लॉकडाउन के कारण पिछले 50 दिन से बंद है.

रायपुर: कोविड-19 के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए लॉकडाउन की तारीख को बढ़ाकर 17 मई कर दिया गया है. इस लॉकडाउन के कारण हर तरह के छोटे-बड़े कारोबार प्रभावित हुए हैं, जिसमें सराफा भी शामिल है. लॉकडाउन की वजह से प्रदेश के ज्वेलर्स को तकरीबन 500 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है. पिछले 50 दिनों के लॉकडाउन के कारण सराफा व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है. ज्वेलर्स का कहना है कि सब बंद होने के बाद भी स्टाफ और कर्मचारियों को पेमेंट देना पड़ रहा है.

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सराफा कारोबारियों का कहना है मार्च-अप्रैल और मई के महीने में शादियों का सीजन रहता है, लेकिन लॉकडाउन के कारण सराफा व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ा है. जिससे कमाई पर पूरी तरह ब्रेक लगा हुआ है. कारीगरी का काम, रिफाइनरी का काम और हाल मार्किंग का काम भी बंद है. इससे जुड़े लोग भी पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं. प्रदेश में अगर सराफा दुकानों की बात की जाए, तो 5 हजार 500 सराफा की छोटी-बड़ी दुकानें हैं. अकेले राजधानी रायपुर में सराफा की छोटी-बड़ी मिलाकर लगभग 15 सौ दुकानें हैं.

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सराफा कारोबारियों का कहना है कि 5 हजार 500 सराफा दुकानों पर आश्रित जो स्टाफ और कर्मचारी हैं, उन सबके सामने रोजी-रोटी की परेशानी आ गई है. जो बड़े कारोबारी हैं, वो तो अपने कर्मचारी और स्टाफ को पेमेंट दे रहे हैं, लेकिन जो छोटे व्यापारी हैं वो कर्मचारियों का पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं.

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बता दें कि छत्तीसगढ़ में सराफा दुकान में काम करने वाले कर्मचारी और स्टाफ की संख्या लगभग 12 हजार है, तो वहीं कारीगरी का काम करने वाले कारीगरों की संख्या प्रदेश में 2,000 है. रिफाइनरी का काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 300 है. प्रदेश में हाल मार्किंग सेंटर 5 जगहों पर है. रायपुर में 3, दुर्ग में 1 और बिलासपुर में 1 हॉल मार्किंग सेंटर है, जो लॉकडाउन के कारण पिछले 50 दिन से बंद है.

Last Updated : May 14, 2020, 3:40 PM IST
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